Seraikela (Bhagya sagar singh) : सरकारी निर्देशानुसार नगर पंचायत द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए छापेमारी शुरू कर दी गयी है. बाजार से थर्मोकोल की कप-प्लेट एवं कटोरियां अब गायब हो गयी हैं. जिनके पास स्टॉक था वे चोरी-छिपे ग्रामीण क्षेत्रों में उन्हें खपाने में लगे हैं. दूसरी ओर पत्तों से बने प्लेट और दोना (कटोरी) का मार्केट पुनर्जीवित हो गया है. साप्ताहिक हाट और दुकानों में साल पत्तों से बनाये गए प्लेट और कटोरी बेचने वालों की पूछ बढ़ने लगी है. वर्षों पूर्व तक शादी ब्याह, पिकनिक, देवालयों में भंडारा सहित अन्य भोज भात में साल पत्तों से बने प्लेट एवं कटोरियों का उपयोग होता था. इसे बनाने वालों को आवश्यकता के अनुसार अग्रिम देकर पत्ते कटोरी बुक कराने पड़ते थे. थर्मोकोल के मार्केट में आते ही यह कारोबार लगभग बंद हो गया था.
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वन क्षेत्र की महिलाओं का स्वरोजगार पत्ता प्लेट- कटोरी
सरायकेला के वन क्षेत्र में साल के वृक्षों की बहुतायत है. इसके पत्तों से प्लेट एवं कटोरियां बनाने के पुस्तैनी धंधे से वन क्षेत्र की महिलाएं जुड़ी हुई हैं. बांस के पतले सींकों से पत्तों को प्लेट एवं कटोरियों का आकार देने में ये दक्ष हैं. अधिकतर महिलाएं इस कार्य से जुड़ी हैं और ऑर्डर मिलने पर या नजदीकी हाट-बाजारों में ये बेचने जाती हैं. नई पीढ़ी की महिलाएं कहती हैं कि अगर स्थायी रूप से थर्मोकोल जैसी प्रदूषण उत्पन्न करने वाली वस्तुओं पर प्रतिबंध लगायी जा रही है तो पत्तल-प्लेट के धंधे को बढ़ावा देना चाहिये. इस धंधे से जुड़े लोग पूंजी के अभाव में कम कीमत पर दुकानदारों को बेच देते हैं. दुकानदार उसी को अधिक कीमत पर बाजार में बेच कर मुनाफा कमाते हैं.