Seraikela (Bhagysagar Singh) : सरायकेला के गुंडिचा मंदिर में हेरा पंचमी के मौके पर मंगलवार को प्रभु जगन्नाथ-बलभद्र ने भक्तों को मत्स्य-कच्छप रूप में दर्शन दिये. गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ के अलग-अलग वेशभूषा में रूप सज्जा यहां के रथ यात्रा की विशेषता है. सरायकेला की रथ यात्रा क्षेत्र की इकलौती रथ यात्रा है, जहां वेश (रुप) परंपरा की जाती है. कहा जाता है कि सरायकेला की रथ यात्रा में आयोजित होने वाली वेश ही यहां की विशेषता है. आज महाप्रभु श्री जगन्नाथ भक्तों को मत्स्य और भगवान बलभद्र ने कच्छप अवतार में दर्शन दिये थे. साथ ही मंगलवार को संकट तारिणी व्रत के दौरान मां सुभद्रा भक्तों को विपदातारिणी स्वरूप में दर्शन दी. इस वर्ष भी गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में कलाकार सुमित महापात्र, अमित महापात्र, उज्जवल सिंह, पार्थ सारथी दास, शुभम कर , मुकेश साहू, मानू सत्पथी, विक्की सत्पथी एव गौतम बनर्जी द्वारा भगवान की वेश सज्जा की गई.
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इस वर्ष तीन दिन होगी वेश सज्जा
कहा जाता है कि पहले गुंडिचा मंदिर में रहने के दौरान प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा की हर दिन अलग-अलग वेश सज्जा की जाती थी. परंतु वर्तमान में भगवान श्री हरि विष्णु के दशावतारों के रूप में की जाने वाली वेश परंपरा वर्तमान में दो-तीन दिन ही हो पाती है. इस वर्ष भी गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में कलाकार सुमित महापात्र, अमित महापात्र, उज्ज्वल सिंह, पार्थ सारथी दास, शुभम कर और मुकेश साहू द्वारा भगवान की वेष सज्जा की जाएगी. इसके तहत मंगलवार को भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की वेश की जा रही है. गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में इस वर्ष भगवान विष्णु की नरसिंह-वराह और कल्कि अवतार के रूप में भी वेष सज्जा की जाएगी.
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सरायकेला रथ यात्रा में वर्ष 70 के दशक से जारी है वेश परंपरा
बताया जाता है कि सरायकेला रथ यात्रा में वेश परंपरा की शुरुआत 70 के दशक में शुरू हुई थी. गुरु प्रसन्न कुमार महापात्र, डोमन जेना, सुशांत महापात्र जैसे कलाकारों कलाकारों द्वारा प्रभु की वेश सज्जा की जाती थी. वर्तमान में गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में स्थानीय कलाकारों द्वारा सरायकेला रथ यात्रा में वेष परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. गुंडिचा मंदिर (मौसी बाड़ी) का कपाट बंद कर मध्य रात्रि से वेष सज्जा प्रारंभ की जाती है. अहले सुबह गुंडिचा मंदिर का कपाट खुलते ही अवतार के स्वरूप में महाप्रभु श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के दर्शन भक्त करते हुए पूजा अर्चना करते हैं.
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