Seraikela (Bhagya sagar singh) : विश्वव्यापी महामारी कोरोना के कारण विगत दो वर्षों तक अन्य पूजा एवं त्योहारों की तरह दीपावली के त्योहार पर भी असर पड़ा था. प्रकाशोत्सव दीपावली में क्षेत्र के कुम्हार परिवारों की रोजी-रोटी का सीधे तौर से जुड़ाव रहता है. मिट्टी के बने दिये, ग्वालिन व अन्य खिलौने , श्री लक्ष्मी गणेश जी की मूर्तियों सहित पूजा में उपयोगी मिट्टी से बने अन्य वस्तुओं की दीपावली में जम कर खरीददारी होती है.
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दो वर्ष से दीपावली में कारोबार रहा ठप – सन्तोष प्रजापति
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सरायकेला बाजार क्षेत्र में मिट्टी के दिये एवं अन्य वस्तुओं के निर्माता सह विक्रेता सन्तोष प्रजापति ने कहा विगत दो वर्ष दीपावली में हमलोग का कारोबार ठप रहा. इस वर्ष अच्छा बाजार मिलने की उम्मीद है. दिए एवं मूर्तियों की अभी से मांग होने लगी है.
बताया कि महगाई का असर भी धंधे पर पड़ रहा है फिर भी नई उम्मीद के साथ हमलोग सपरिवार दिए एवं अन्य वस्तुएं बनाने में लगे हैं. अभी सौ घनफिट मिट्टी की कीमत 1500 रुपये, जलावन लकड़ी के छोटे बंडल 50 से 60 रुपये, पुआल प्रति आंटी 5 से 6 रुपये में खरीदनी पड़ रही है. उसी अनुपात आकर अनुसार दो से पांच रुपये प्रति दीये, खिलौने की मूर्तियां 50 से 100 रुपये एवं पूजा की मूर्तियां 150 से 200 रुपये तक अगर विक्री हो तभी कुछ मेहनताना निकल सकती है.
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