- निगम क्षेत्र में सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम के लिए बनेगा नया डीपीआर, बहाल किये जाएंगे नये कंसल्टेंट
Ranchi : रांची नगर निगम क्षेत्र में निर्माणाधीन सीवरेज ड्रेनेज की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. बारिश के मौसम में तो शहर के कई मुहल्ले और सड़कें ऐसे हैं, जो डूब जाते हैं. पता नहीं चलता कि वहां कोई मोहल्ला है या तालाब. इसके लिए राजधानी के सीवरेज ड्रेनेज को एक मात्र कारण माना जाता है. ऐसा नहीं है कि सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम पर काम नहीं हुआ. 2007 में इस पर काम शुरू हुआ. तत्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास ने सीवरेज ड्रेनेज का डीपीआर बनाने के लिए सिंगापुर की मैनहर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को कंसल्टेंट बनाया था. डीपीआर बनाने के लिए कंपनी को 21 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ. पर काम अधूरा ही रह गया. अब हेमंत सोरेन सरकार फिर से रांची में सीवरेज ड्रेनेज के लिए नया डीपीआर बनाने जा रही है. इसके लिए कंसल्टेंट बहाल किये जाएंगे. नए डीपीआर के लिए सरकार 31.16 करोड़ रुपये खर्च करेगी. साफ है कि 2007 में बने 21 करोड़ रुपए का डीपीआर आज तक धरातल पर नही उतरा.
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मैनहर्ट के डीपीआर में रांची को चार जोन में बांटा गया था
राजधानी में बेहतर सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम बने, इसके लिए मैनहर्ट ने शहर का सर्वे कर डीपीआर बनाया. हालांकि बाद में मामला हाईकोर्ट पहुंच गया. कारण यह बना कि नियमों को ताक पर मैनहर्ट को कंसल्टेंट बहाल किया गया. चार साल मामला कोर्ट में चला. 2011 में कोर्ट ने सीवरेज ड्रेनेज प्रोजेक्ट को लागू करने का आदेश दिया. मैनहर्ट ने फिर से डीपीआर को रिवाइज्ड किया. सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को चार फेज और राजधानी को चार जोन में बांटकर काम करने का डीपीआर बनाया गया. इन चारों फेज के लिए मैनहर्ट ने 1200 करोड़ रुपए का खर्च बताया. सबसे पहले जोन वन में काम करना था. जोन वन में काम शुरू हुआ. जोन में कुल 9 वार्ड को (वार्ड संख्या 1 से 5 और 30 से 33) को शामिल किया गया. इन 9 वार्डों में कांके रोड, मोरहाबादी, बड़गाईं, बूटी बस्ती, गोंदा टाउन, मिसिर गोंदा, रातू रोड के अल्कापुरी, धोबी घाट, इंद्रपुरी रोड नंबर 1, पिस्का मोड़, बैंक कोलोनी आदि शामिल थे. 2015 में सीवरेज ड्रेनेज का काम शुरू हुआ.
पहली कंपनी के काम को देख मेयर ने किया था टर्मिनेट
पहले फेज में सीवरेज ड्रेनेज के काम के लिए ज्योति बिल्डटेक कंपनी का चयन किया गया. फेज वन में कुल 357 करोड़ रुपए खर्च कर कंपनी को सीवरेज ड्रेनेज का काम करना था. कंपनी ने काम शुरू किया. लेकिन 84 करोड़ खर्च कर कंपनी 113 किमी सीवरेज-ड्रेनेज का काम ही कर पायी. कंपनी के कामों में शिथिलता को देख रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा ने ज्योति बिल्डटेक को दिसंबर 2018 में ही टर्मिनेट कर दिया. उसके बाद फेज वन का काम तो रुका ही, साथ ही दो, तीन और चार फेज के लिए निकाले जाने वाले टेंडर प्रक्रिया भी रुक गयी.
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मैनहर्ट मामले में ही रघुवर पर सरयू राय ने लगाया था आरोप
सीवरेज ड्रेनेज का डीपीआर बनाने के लिए मैनहर्ट कंपनी को कंसल्टेंट नियुक्ति किए जाने पर निर्दलीय विधायक सरयू राय ने भी सवाल उठाया था और रघुवर दास पर गंभीर आरोप लगाये थे. सरयू ने कहा था कि सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण का डीपीआर तैयार करने के लिए मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में हुई अनियमितता, भ्रष्टाचार और षडयंत्र हुआ है. इसकी जांच जरूरी है. सरयू राय ने इसकी शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो से करने की भी मांग की. सरयू राय का कहना था कि मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त करने में ही करीब 21 करोड़ रुपये खर्च हुए. लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ. इसकी जांच के लिए कमेटी भी गठित की गई. कमेटी ने करीब 17 पेज की रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में कहा गया कि एजेंसी और इसे नियुक्त करने वाले पर कार्रवाई होनी चाहिए. यहां तक कि हाईकोर्ट ने भी दो बार सरकार को नोटिस जारी दिया, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
सरकार ने 31.16 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी है
रांची में सीवरेज ड्रेनेज व्यवस्था सुधरे, इसके लिए हेमंत सरकार नया डीपीआर बनवायेगी. नगर विकास एवं आवास विभाग ने नए डीपीआर का जो प्रस्ताव तैयार किया है, उस पर बीते दिनों ही कैबिनेट से स्वीकृति मिली है. इसके लिए सरकार ने 31.16 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी है. प्रस्ताव के तहत वर्तमान डीपीआर का अध्ययन होगा. जरूरत पड़ी तो फिर से आकलन किया जायेगा. इसका अपडेट भी किया जा सकता है.
क्यों जरूरी है सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम प्रोजेक्ट
रांची में पिछले कई सालों से बेहतर सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम प्रोजेक्ट की आवश्यकता महसूस की जा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि बरसात के मौसम में शायद ही शहर का ऐसा गली-मोहल्ला हो, जहां पानी सड़कों में जाम नहीं होता है. इस समस्या को दूर करने और शहर को खूबसूरत बनाने के उद्देश्य से बेहतर सीवरेज-ड्रेनेज योजना की जरूरत है. ऐसा होने से घरों के शौचालय का कनेक्शन सीधे सीवर लाइन से हो जाएगा.
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