- कौन किसका शव पता लगा पाना मुश्किल
- सवाल: करोड़ों के सालाना बजट वाले रिम्स का मॉर्चरी खराब? नींद में रिम्स प्रबंधन
Ranchi: आज रिम्स और मानवता दोनों शर्मसार हो गया या फिर लाखों की तनख्वाह लेने वाले रिम्स के बड़े अधिकारियों की संवेदना मर गई है. यह लापरवाही ही ऐसी है कि अब कौन किसका शव है यह पता लगा पाना मुश्किल हो गया है. दरसअल, राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान रिम्स के नए मॉर्चरी (शव गृह) में 50 शवों को रखने की क्षमता है. लेकिन इनमें से लगभग सभी कूलिंग कंपार्टमेंट खराब होने के कारण 24 शव सड़-गल गए हैं. ये शव किसके हैं ये पता लगा पाना भी मुश्किल है. ऐसे में सवाल उठता है कि करोड़ों रुपये के सालाना बजट वाले रिम्स में शवों को रखने के लिए प्रबंधन को कोई चिंता तक नहीं है.
रिम्स में लाशों को रखने की व्यवस्था से कराएंगे अवगत
सामाजिक कार्यकर्ता विकास चंद्र उर्फ गुड्डु बाबा जिन्होंने लावारिश लाशों को गंगा नदी में बहाने के मामले को लेकर पीआईएल दायर किया था. उन्होंने कहा कि 2012 में सुप्रीम कोर्ट में दायर पीआईएल के बाद 2018 में कोर्ट ने लावारिश लाशों को डिकॉम्पोज करने के लिए गाइडलाइन बनाया है. लेकिन रिम्स की व्यवस्था शर्मशार कर देने वाली है. यहां के नए मॉर्चरी में अधिकांश कूलिंग कंपार्टमेंट खराब हैं. इस वजह से यहां रखे गए 24 शव गल कर बह गए हैं. रिम्स प्रशासन और जिला प्रशासन ने जघन्य अपराध किया है. उन्होंने कहा कि 2017 में भी व्यवस्था को देखने आया था, लेकिन आज जो हालत देखा वो दंग कर देने वाला है. रिम्स की मानवीय संवेदना खत्म हो गई है. आज की वस्तुस्थिति से सर्वोच्च न्यायालय को अवगत कराया जाएगा.
लाशों के सड़ जाने के मामले पर प्रबंधन ने साधी चुप्पी
वहीं रिम्स की चिकित्सा उपाधीक्षक डॉ शैलेश त्रिपाठी ने कहा कि विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा सराहनीय काम कर रहे हैं. उनके विचारों पर प्रबंधन भी सहयोग कर रहा है. उन्होंने कहा कि रिम्स में राज्य और राज्य के बाहर से लाए गए शवों को रखा जाता है. इसके लिए अस्पताल के पास मॉर्चरी है, हालांकि इसके खराब होने के सवाल पर प्रबंधन के लोगों ने चुप्पी साध ली है.
वहीं इस मामले पर रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ राजीव रंजन ने कहा कि कई ऐसे शव हैं जिसे खराब परिस्थितियों में ही रिम्स में लाया जाता है. वहीं मॉर्चरी के मेंटेनेंस को लेकर नए सिरे से टेंडर निकाला गया है. जल्द ही व्यवस्था ठीक हो जाएगी.