kuntlesh Pandey
Koderma : भारत त्योहारों और परंपराओं का देश है. ऐसे में अलग-अलग मौकों पर यहां रहने वाले लोग अनेकों त्यौहार मनाते हैं. इन सभी त्योहारों और व्रतों का अपना-अपना इतिहास रहा है. इन्हीं में से एक त्योहार है नवरात्रि का त्योहार. नवरात्रि का त्यौहार मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों को समर्पित है. आसान भाषा में समझे तो इसका मतलब होता नौ विशेष रातें हैं. इसलिए इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. साल में मुख्य रूप से पांच नवरात्रि मनाई जाती है. चैत्र नवरात्रि, शरद नवरात्रि, पौष गुप्त नवरात्रि, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि और माघ गुप्त नवरात्रि. इनमें से चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर, सोमवार से प्रारंभ हो रहा है. इसका समापन बुधवार 5 अक्टूबर को होगा.
किस तिथि में कौन-सी देवी की होती है पूजा
नवरात्रि में रात्रि शब्द सिद्धि का प्रतीक माना गया है. इसके दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. नवरात्रि का यह पावन दिन बेहद ही शुभ होता है. ऐसे में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति के लिए इस दौरान व्रत करते हैं. नवरात्रि में नियम पूर्वक और संयम से जीवन व्यतीत करते और यज्ञ पूजन आदि करते हैं. आइये आपको बताते हैं कि किस तिथि में कौन सी देवी की पूजा की जायेगी.
दिन और वार नवरात्रि दिन तिथि किस देवी की करें पूजा
दिन और वार | नवरात्रि दिन | तिथि | किस देवी की करें पूजा |
26 सितंबर 2022 (सोमवार) | नवरात्रि दिन 1 | प्रतिपदा | मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
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27 सितंबर 2022(मंगलवार) | नवरात्रि दिन 2 | द्वितीया | माँ ब्रह्मचारिणी पूजा |
28 सितंबर 2022(बुधवार) | नवरात्रि दिन 3 | तृतीया | मां चंद्रघंटा पूजा
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29 सितंबर 2022(गुरुवार) | नवरात्रि दिन 4 | चतुर्थी | मां कुष्मांडा पूजा |
30 सितंबर 2022(शुक्रवार) | नवरात्रि दिन 5 | पंचमी
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मां स्कंदमाता पूजा |
1 अक्टूबर 2022 (शनिवार) | नवरात्रि दिन 6 | षष्ठी | मां कात्यायनी पूजा |
2 अक्टूबर 2022 (रविवार) | नवरात्रि दिन 7 | सप्तमी | मां कालरात्रि पूजा |
3 अक्टूबर 2022 (सोमवार) | नवरात्रि दिन 8 | अष्टमी | माँ महागौरी पूजा, दुर्गा महाअष्टमी पूजा |
4 अक्टूबर 2022 (मंगलवार) | नवरात्रि दिन 9 | नवमी
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मां सिद्धिदात्री पूजा, महा नवमी पूजा |
5 अक्टूबर 2022 (बुधवार) | नवरात्रि दिन 10 | दशमी | दुर्गा विसर्जन, विजयदशमी |
इस नवरात्रि क्या है खास?
नवरात्रि की सबसे खास बात होती है मां का वाहन. यानी मां किस वाहन पर बैठकर आ रही हैं और किस वाहन पर बैठकर जायेंगी? 2022 में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आने वाली हैं. दरअसल जब भी नवरात्रि रविवार या फिर सोमवार से आरंभ होती है तो मां का वाहन हाथी होता है. वहीं इस साल माता हाथी पर ही वापस भी जायेंगी. दरअसल विजयदशमी बुधवार को है. जब भी माता की विदाई बुधवार या शुक्रवार के दिन होती है तो माता हाथी के वाहन पर ही वापस जाती हैं.
क्या है हाथी पर सवार होने का अर्थ? इस वर्ष मां हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. ऐसे में इस बात के प्रबल संकेत मिल रहे हैं कि इससे सर्वत्र सुख संपन्नता बढ़ेगी. साथ ही देश भर में शांति के लिए किये जा रहे प्रयासों में सफलता मिलेगी. यानी कि पूरे देश के लिए यह नवरात्रि शुभ साबित होने वाली है.
नवरात्रि से जुड़ी पौराणिक मान्यता
नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. पहले दिन घरों में कलश स्थापना से नवरात्रि का शुभारंभ होता है. इसके बाद लोग अलग-अलग दिनों पर मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हैं. दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और आरती करते हैं, मां दुर्गा को विभिन्न भोग प्रसाद समर्पित करते हैं. इस दौरान देश भर में अलग-अलग शक्तिपीठों पर मेले भी आयोजित किये जाते हैं. इसके अलावा मंदिरों में मां दुर्गा के स्वरूपों की झांकियां तैयार की जाती है. शास्त्रों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में ही भगवान श्रीराम ने देवी शक्ति की आराधना की थी और दुष्ट राक्षस रावण का वध किया था.
नवरात्रि में ग्रह दोष करें दूर
नवरात्रि में मां दुर्गा के जिन विभिन्न नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है उन स्वरूपों का हमारे नौ ग्रहों से भी गहरा संबंध होता है. ऐसे में माना जाता है कि यदि विधि पूर्वक हम नवरात्रि में मां दुर्गा के इन स्वरूपों की पूजा करें तो उनसे संबंधित ग्रह मजबूत होते हैं और उस ग्रह से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं. तो आइये जानते हैं मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का किन ग्रहों के साथ संबंध होता है.
देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूप | ग्रहों से मां के स्वरूपों का संबंध |
मां शैलपुत्री | चंद्रमा ग्रह |
मां ब्रह्मचारिणी | मंगल गृह |
मां चंद्रघंटा | शुक्र ग्रह |
मां कुष्मांडा | सूर्य ग्रह |
मां स्कंदमाता | बुध ग्रह |
मां कात्यायनी | बृहस्पति ग्रह |
मां कालरात्रि | शनि ग्रह |
मां महागौरी | राहु ग्रह |
मां सिद्धिदात्री | केतु ग्रह |
शरद नवरात्रि पूजा विधि
नवरात्रि के पहले दिन व्रती द्वारा व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन लोग अपने सामर्थ्य अनुसार 2, 3 या पूरे 9 दिन का उपवास रखने का संकल्प लेते हैं. संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी में जौ बोया जाता है और इस वेदी को कलश पर स्थापित किया जाता है. बता दें कि हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक काम से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है और कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है इसलिए इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है. कलश को गंगाजल से साफ की गयी जगह पर रख दें. इसके बाद देवी-देवताओं का आवाहन करें. कलश में सात तरह के अनाज, कुछ सिक्के और मिट्टी भी रखकर कलश को पांच तरह के पत्तों से सजा लें. इस कलश पर कुल देवी की तस्वीर स्थापित करें. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें औक अखंड ज्योति प्रज्वलित करें. अंत में देवी मां की आरती गायें और प्रसाद को सभी लोगों में बांटें.
शारदीय नवरात्रि में क्या करें और क्या ना करें
- इन 9 दिनों में भूल से भी लहसुन, प्याज और मांस मदिरा का सेवन ना करें.
- नमक का सेवन ना करें. आप सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- चमड़े का प्रयोग ना करें.
- अगरबत्ती का प्रयोग ना करें.
- खंडित मूर्तियों पूजा के इस्तेमाल में ना लें.
- मां दुर्गा की आरती अवश्य करें.
- नौ दिनों तक दोनों पहर पूजा अवश्य करें.
- माता को अपनी यथाशक्ति के अनुसार अलग-अलग तरह के भोग अर्पित करें.
- दिन में सोने से बचें.
- इन 9 दिनों में दाढ़ी, मूंछ, और बाल भूल से भी ना काटें.
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर के साफ कपड़े पहनें और तब पूजा करें.
- झूठ बोलने से बचें.
- ब्रम्हचर्य का पालन करें.
नवरात्रि में रंगों और भोग का महत्व
नवरात्रि के 9 दिनों में मां को अलग-अलग भोग अर्पित किये ही जाते हैं. साथ ही माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त रंगीन वस्त्र धारण कर उनकी पूजा करते हैं. यहां हम आपको बता दें कि जिस तरह से नवरात्रि के हर एक दिन अलग-अलग देवी को समर्पित माना गया है ठीक उसी तरह से हर देवी का प्रिय भोग अलग होता है. साथ ही उन्हें प्रसन्न करने के लिए किए जाने वाले रंगों का इस्तेमाल भी अलग होता है. आइए जानते हैं कि नवरात्रि में किस दिन कौन सी देवी को किस चीज का भोग लगाना और कौन से रंग के वस्त्र पहनना आपके लिए शुभ साबित हो सकता है.
मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूप | उनका प्रिय रंग | उनका मनपसंदीदा भोग |
मां शैलपुत्री | पीला रंग | गाय के घी से बनी सफेद चीजों, सफेद मिठाई का भोग लगाएं |
मां ब्रह्मचारिणी | हरा रंग | मिश्री, चीनी, और पंचामृत का भोग लगाएं |
मां चंद्रघंटा | ग्रे स्लेटी रंग | दूध और दूध से बनी वस्तुओं का भोग लगाएं
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मां कुष्मांडा | नारंगी रंग | मालपुए का भोग लगाएं |
मां स्कंदमाता | सफेद रंग | केले का भोग लगाएं |
मां कात्यायनी | लाल रंग | शहद का भोग लगाएं |
मां कालरात्रि | नीला रंग | गुड़ का नैवेद्य पूजा में शामिल करें |
मां महागौरी | गुलाबी रंग | नारियल और नारियल से बनी वस्तुओं का भोग लगाएं |
माँ सिद्धिदात्री | बैंगनी रंग | हलवा चना पूरी खीर का भोग लगाएं |
नवरात्रि में अखंड ज्योत जलाने का महत्व और नियम
शास्त्रों में नवरात्रि के 9 दिनों तक लगातार अखंड ज्योत जलाने का विधान बताया गया है. अखंड ज्योत प्रज्जवलित करने के बाद इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि गलती से भी अखंड ज्योत बुझे नहीं और ना ही इसे कभी अकेला छोड़ा जाए. मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योत जलाने से भगवती देवी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को मनोवांछित फल देती हैं. इसके अलावा इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अखंड ज्योति हमेशा गाय के शुद्ध घी से ही जलाएं. हालांकि यदि शुद्ध घी नहीं है तो आप तेल से भी अखंड ज्योति जला सकते हैं.
अखंड ज्योत जलाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है और साथ ही व्यक्ति के सभी मनवांछित कार्य पूरे हो जाते हैं. इसीलिए नवरात्रि के पहले दिन व्रत और माता की पूजा का संकल्प लेकर अखंड दीप जलाया जाता है. नवरात्रि के 9 दिनों तक नियम के अनुसार अखंड ज्योति को सरंक्षित करने का प्रावधान होता है. अखंड ज्योत माता की तस्वीर या मूर्ति के दायें ओर रखा जाना चाहिए. हालांकि यदि आप तेल से अखंड ज्योत जला रहे हैं तो उसे माता के बाईं ओर रख दें. इसके अलावा ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा देवी देवताओं का स्थान माना जाता है. इसीलिए अखंड ज्योति हमेशा इसी दिशा में रखना शुभ होता है. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अखंड ज्योति की बाती बार-बार न बदलें.