Ranchi : शेल कंपनी (shell company) मामले में झारखंड हाईकोर्ट ( Jharkhand High Court ) में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान ED द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत किए गए दस्तावेज अदालत के समक्ष खोले गये. सुनवाई के दौरान शेल कंपनी मामला में हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि मनरेगा से जुड़ी 16 FIR की डीटेल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं. राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल( (Kapil Sibal) , महाधिवक्ता राजीव रंजन( Rajeev Ranjan), अधिवक्ता पीयूष चित्रेश (Piyush Chitresh) ने कोर्ट के समक्ष बहस की. ED की ओर से वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ( Tushar Mehta) व CBI की ओर से ASGI प्रशांत पल्लव (Prashant Pallav) और अधिवक्ता पार्थ जालान( Partha Jalan) ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा.और मुख्यमंत्री की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतोगी (Mukul Rohtogi) और हाईकोर्ट के अधिवक्ता अमृतांश वत्स (Amritansh Vats )के समक्ष उपस्थित हुए.
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क्यों CBI को दे,जबकि इस मामले में किसी तरह की FIR दर्ज नहीं
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि इस मामले की जांच क्यों CBI को दे, जबकि इस मामले में किसी तरह की FIR दर्ज नहीं है. जिसपर राजीव कुमार ने अदालत के समक्ष बहस करते हुए कहा कि जनहित से जुड़े मुद्दों पर अदालत जांच के आदेश पारित कर सकती है. इसके साथ ही उन्होंने अदालत को जानकारी दी कि यह मामला पूजा सिंघल के मामले से जुड़ा हुआ है.
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वर्ष 2010 में 16 FIR हुए थे
ED की ओर से उपस्थित वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि वर्ष 2010 में 16 FIR हुए थे. जिसके बाद ED ने अपनी जांच में यह पाया कि करोड़ों रुपए पूजा सिंघल के पास हैं. उन्हें मिलने वाली रिश्वत की रकम सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों तक पहुंचती थी. रिश्वत के पैसों को शेल कंपनी के माध्यम से मनी लॉड्रिंग की जाती थी. जांच में कुछ लोगों ने यह स्वीकार किया है कि मनी लॉड्रिंग की जाती थी. जांच के दौरान एक व्यक्ति ने मनी लॉड्रिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली कंपनियों की लिस्ट दी है. जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस सुजित नारायण प्रसाद की बेंच में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई.
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