Ranchi: शेल कंपनी और खनन लीज आवंटन के खिलाफ दायर जनहित याचिका के खिलाफ राज्य सरकार की SLP पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. सुनवाई के बाद जारी किए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालत ने इस मामले की मेरिट पर किसी प्रकार का कोई आदेश नहीं दिया है. आदेश के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट पहले जनहित याचिका की मेंटेनबिलिटी पर सुनवाई करे, उसके बाद आगे की सुनवाई यदि आवश्यक हो तो की जाए.
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कपिल सिब्ब्ल ने याचिका की मेंटेनबिलिटी पर उठाया था सवाल
मंगलवार की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के द्वारा 13 मई की सुनवाई के दौरान पारित आदेश का भी जिक्र किया है. 13 मई को हुई सुनवाई के बाद पारित आदेश में हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया था. इसके साथ ही ईडी को भी प्रतिवादी बनाया गया था. जिसके बाद रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की ओर से अदालत को बताया गया, वह सिर्फ चार कंपनियों के बारे में आवश्यक सूचना दे पा रही है.
शेष 45 कंपनी उसके क्षेत्र अधिकार से बाहर की है. साथ ही ईडी की ओर से उपस्थित वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ने बताया था कि अभी अनुसंधान चल रहा है. ऐसे में जांच में सामने आए अब तक के तथ्यों को अदालत के रिकॉर्ड में रखा जाना उचित नहीं होगा. यदि आवश्यक हो तो अदालत को देखने के लिए सील कवर लिफाफे में अब तक मिले साक्ष्य ED दे सकती है. इसी सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष रख रहे वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जनहित याचिका की मेंटेनबिलिटी पर सवाल उठाया था. उन्होंने अपनी बहस में कहा था कि यह याचिका मेंटेनेबल नहीं है.
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