चुनाव आयोग बीजेपी का एजेंट हो गया है, मामला कोर्ट में विचाराधीन है : उद्धव गुट
New Delhi : महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से उठापटक जारी है. शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान तीर-कमान उद्धव ठाकरे से छिन गया है. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का चुनाव चिह्न तीर कमान सौंप दिया है. आयोग ने कहा कि एकनाथ शिंदे की पार्टी का चुनाव चिह्न धनुष और तीर बरकरार रखा जाएगा. कहा कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है. चुनाव आयोग का ये फैसला जहां उद्धव ठाकरे गुट के लिए बड़ा झटका है, तो वहीं शिंदे गुट को बड़ी जीत मिली. विधानसभा में कुल 67 में से 40 विधायकों का समर्थन शिंदे गुट के साथ है. वहीं संसद में 13 सांसद शिंदे गुट के साथ और 7 उद्धव ठाकरे गुट के साथ हैं. केंद्रीय चुनाव आयोग ने इसी आधार पर शिंदे गुट के पक्ष में फैसला दिया है.
शिवसेना से अब उद्धव गुट की दावेदारी खत्म
चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया है. आयोग ने शुक्रवार शाम को शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और तीर-कमान का निशान भी इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी. आयोग ने पाया कि उद्धव गुट की पार्टी का संविधान अलोकतांत्रिक है. इसमें लोगों को बिना किसी के चुनाव के नियुक्त किया गया था.चुनाव आयोग ने यह भी पाया कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई. इन तरीकों को चुनाव आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका था. इसी के साथ महाराष्ट्र में शिवसेना से अब उद्धव गुट की दावेदारी खत्म मानी जा रही है.
दोनों गुट दावा ठोक रहे थे
एकनाथ शिंदे के विद्रोह और उद्धव ठाकरे सरकार के पतन के बाद से ही दोनों गुट शिवसेना के नाम और धनुष-बाण के मूल चुनाव चिह्न पर दावा ठोक रहे हैं. मामला चुनाव आयोग के पास लंबित होने के कारण धनुष-बाण के चिह्न को फ्रीज कर दिया गया था. उपचुनाव के लिए, दो गुटों को दो अलग-अलग सिंबल आवंटित किए गए थे. जिसमें शिंदे गुट को दो तलवारें और एक ढाल और उद्धव गुट को मशाल का सिंबल दिया गया था.
शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक- इसीआई
चुनाव आयोग ने देखा कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है. बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर दिया गया है. इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है. चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में संशोधित शिवसेना का संविधान भारत के चुनाव आयोग को नहीं दिया गया है. आयोग के आग्रह पर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की ओर से लाए गए 1999 के पार्टी संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को पेश करने के कार्य को संशोधनों ने पूर्ववत कर दिया था. चुनाव आयोग ने यह भी देखा कि शिवसेना के मूल संविधान के अलोकतांत्रिक मानदंड, जिसे 1999 में आयोग की ओर से स्वीकार नहीं किया गया था, को गुप्त तरीके से वापस लाया गया है, जिससे पार्टी एक जागीर के समान हो गई है.
लोकतंत्र की हत्या, कानून की लड़ाई भी लड़ेंगे- राउत
चुनाव आयोग के फैसले पर ठाकरे गुट के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. शिवसेना (ठाकरे गुट) सांसद संजय राउत ने कहा कि हम नया चिह्न लेकर जनता के दरबार में जाएंगे और फिर एक नई शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे. ये लोकतंत्र की हत्या है. हम कानून की लड़ाई भी लड़ेंगे. उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी का एजेंट है. बीजेपी के लिए काम करता है. अब देश की जनता को विश्वास हो गया है.
SC बोला- केस के मैरिट तय करेंगे मामला 7 जजों की बेंच को भेजें या नहीं
इधर, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में शिवसेना बनाम शिंदे गुट विवाद पर फैसला 21 फरवरी तक टाल दिया है. बेंच ने कहा, ‘नबाम रेबिया के सिद्धांत इस मामले में लागू होते हैं या नहीं, केस को 7 जजों की बेंच को भेजा जाना चाहिए या नहीं, ये मौजूदा केस के गुण-दोष के आधार पर तय किया जा सकता है. इसे मंगलवार को सुनेंगे.’ CJI की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ इस केस को 7 जजों की बेंच को रेफर करने का फैसला एक दिन पहले सुरक्षित रख लिया था. बेंच में जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा समेत CJI डीवाय चंद्रचूड़ भी शामिल थे.
पिछली सुनवाई में कहा था- राज्यपाल को राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को फटकार लगाई थी. CJI ने कहा कि सरकार बनाने की प्रक्रिया में राज्यपाल को राजनीति से दूर रहना चाहिए. कोई भी धड़ा यदि सरकार बनाने का दावा करता है तो राज्यपाल को सदन में विश्वास मत सुनिश्चित करना चाहिए. महाराष्ट्र में जून 2022 में CM एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को उद्धव ठाकरे गुट ने अयोग्य ठहराने की मांग की थी. हालांकि, ठाकरे गुट की मांग से पहले ही शिंदे गुट की ओर से डिप्टी स्पीकर सीताराम जिरवाल को हटाने का नोटिस लंबित था.
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