Mumbai/patna: बिहार में एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल हुई है. बिहार में भी महाराष्ट्र की ही तरह शिंदे गुट अलग करके भाजपा के दिल्लीश्वर नीतीश कुमार को मात देने की साजिश रच रहे थे. उसके लिए नीतीश कुमार के शिंदे आरसीपी सिंह को मोहरा बनाकर खात्मे का खेल शुरू ही किया गया था, लेकिन नीतीश कुमार ने भाजपा को ही धोबी पछाड़ देने वाली पलटी मारी है. शिवसेना के मुखपत्र सामना ने अपने संपादकीय में बिहार के महागठबंधन का खुलकर समर्थन करते हुए भाजपा पर हल्ला बोला है.
भाजपा पर ही खेल उलट गया
सामना ने गुरुवार को अपने संपादकीय में लिखा कि बिहार में मंगलवार को भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने का एलान जदयू ने किया. नीतीश कुमार ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंपा. बुधवार को नीतीश ने CM पद की शपथ ली. राजद के तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने. सामना ने लिखा कि नयी महागठबंधन सरकार में जदयू, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस समेत अन्य घटक दल शामिल हैं. भाजपा नीतीश कुमार की पार्टी में ही सेंधमारी करने चली थी. लेकिन खेल भाजपा पर ही उलट गया.
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भाजपा नीतीश को अस्थिर करना चाहती थी
संपादकीय कहता है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू के राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह को नीतीश कुमार की इच्छा के विरुद्ध शामिल किया गया, लेकिन सिंह को समर्थन देकर भाजपा बिहार में नीतीश कुमार को अस्थिर करना चाहती थी. यह बात संज्ञान में आते ही नीतीश कुमार ने दिल्ली से संपर्क ही तोड़ दिया. दिल्ली के बगैर हमारा कुछ भी नहीं रुकता है, यह दिखा दिया.
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भाजपा के फंदे में कोई नहीं फंसा
जदयू और तेजस्वी यादव के कुछ विधायकों पर ईडी का शिकंजा कसा, फिर भी भाजपा के फंदे में कोई नहीं फंसा. बिहारी अस्मिता की रक्षा के लिए लड़ेंगे परंतु समर्पण नहीं करेंगे, ऐसी नीति वहां गैर भाजपाई विधानसभा सदस्यों ने अपनाई और अंतत: मंगलवार को नीतीश कुमार ने ऊंट की पीठ पर आखिरी डंडा रखा.
सामना ने लिखा कि बिहार में घटने वाली राजनीतिक क्रांति पर पूरे देश में प्रतिक्रिया होती है. भाजपा ने महाराष्ट्र की शिवसेना आघाड़ी की सरकार को गिराया. इस आनंद में खुशी का गाजर खाने के दौरान ही बिहार में भाजपा के खिलाफ बगावत की चिंगारी भड़की. पड़ोस में पश्चिम बंगाल है ही, महाराष्ट्र भी अशांत टापू बन गया है.
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विपक्ष को नीतीश के कदम का स्वागत करना चाहिए
2024 के आम चुनाव का गणित तय करके नीतीश कुमार ने यह साहसिक कदम उठाया होगा तो देश के समस्त विपक्ष को नीतीश कुमार के कदम का स्वागत करना चाहिए. ईडी की धौंस, कपट, साजिश से महाराष्ट्र की सरकार को गिराया. परंतु बिहार में नीतीश कुमार ने भाजपा को ही सत्ता से दूर फेंक दिया, यह सच्चाई है.
2024 में फिर हम और हम ही, यह भाजपा का अहंकार है
2024 में एक बार फिर हम और हम ही, यह भाजपा का अहंकार है. वर्ष 2024 में देश में सिर्फ भाजपा ही रहेगी और कोई नहीं रहेगा’, ऐसी डींग भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हांक रहे थे और वहां बिहार जैसा राज्य भाजपा गंवा रही थी. जयप्रकाश नारायण की भूमि से ही इस विद्रोह की मशाल जली है. नीतीश कुमार जयप्रकाश की संपूर्ण क्रांति के आंदोलन में थे, लालू यादव भी थे. परंतु यादव व नीतीश कुमार में हमेशा संघर्ष रहा है. वह अब तो रुकना चाहिए.’
तेजस्वी यादव बिहार में युवा नेता के रूप में लोकप्रिय हैं
लालू यादव के सुपुत्र तेजस्वी यादव बिहार में युवा नेता के रूप में लोकप्रिय हो गये हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी व जदयू गठबंधन के समक्ष उन्होंने चुनौती खड़ी की थी. उस समय वे बहुमत के करीब पहुंच ही गये थे लेकिन अंतिम चक्र में 10-12 सीटों पर गड़बड़-घोटाला करके भाजपा ने बाजी मार ली. परंतु तेजस्वी यादव ने मैदान नहीं छोड़ा.लालू यादव का स्वास्थ्य बेहद बिगड़ गया है. वे कमजोर हो गये हैं. बहुत ज्यादा घूमना, बोलना उनसे अब होता नहीं है. उनकी यह अवस्था भाजपा ने ही की है,
यह गठबंधन लोकसभा चुनावे का परिणाम बदल सकता है…
नीतीश कुमार अब तेजस्वी उनके सहयोग से सरकार बना रहे हैं. यह गठबंधन 2024 में इसी तरह मजबूत रहा तो लोकसभा चुनाव का परिणाम बदल सकता है, यह सच्चाई है. महाराष्ट्र में ‘मैं फिर आऊंगा’ इस घोषणा की तरह ही नड्डा का ‘हम ही आयेंगे, सिर्फ हम ही..यह घोषणा है. लोकतंत्र में मतपेटी के रास्ते कोई भी आ सकेगा. परंतु हम ही आयेंगे, ऐसा कहने वाले लोकतंत्र को मानते हैं क्या? बिहार में भाजपा के नेता सुशील मोदी ने अब कबूला है कि शिवसेना को हमने तोड़ा, जो हमारे साथ नहीं रहेंगे, उन्हें परिणाम भुगतना होगा. शिवसेना को यह भुगतना पड़ा.