Arun Burnwal
कोडरमा : झुमरीतिलैया थाना के पीछे एक और थाना है. वह पुराना थाना है, जिसे अब ‘बैरक’ बना दिया गया है. यानी नया थाना आगे, पुराना पीछे. दोनों के बीच गलियारा है. पुराने थाने के परिसर में शिव मंदिर है. जब्त दो पहिया वाहनों का जखीरा है. इस परिसर में अजीब-सी महक है. कुछ सड़ती गाड़ियों और कुछ कदाचार की.
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थाने के थानेदार नहीं, बड़ा ‘बाबू’ अजय सिंह की महफ़िल पुराने थाने के एक कमरे में जमती है. इस महफ़िल में शहर के छंटे दलाल रहते हैं. नए थाने में फरियादी आते हैं, यानी ‘डिस्टरबेंस’. सो, साहब की महफ़िल में खलल. ‘लेन-देन संवाद’ में व्यवधान. इसलिए थानेदार साहब पुराने थाने में ही दरबार लगाते हैं. नए थाने में फरियादी इंतजार करते हैं और साहब हैं कि दूसरी ही फ़रियाद में मशगूल. इसी संवाद और फ़रियाद से साहब अकूत कमाई कर रहे हैं. साहब की कमाई आरा से आदित्यपुर तक फैली है. आरा में जड़ है और आदित्यपुर में महफ़िल जमा चुके हैं.
इस ‘अकूत’ और महफ़िल की महक SP तक पहुंच गई है. साहब के कारनामों की शिकायत तमाम ठिकानों तक मौखिक-लिखित हो रही है. अब तो सोशल मीडिया पर भी हो रही है. सामाजिक कार्यकर्ता अशोक यादव ‘अकेला’ SP को शिकायती पत्र भेज रहे हैं. उन्होंने लगातार से कहा : सच बोलना बगावत है? सच का साथ नहीं छूटेगा. twitter पर संवाद हो रहा है. ऐसे ही ट्वीट में एक सीनियर पत्रकार ने इन्हें ‘पूजा सिंघल का बाप’ बताया है. ये साहब आर्थिक सेहत के साथ शारीरिक सेहत का भी ख्याल रखते हैं. दिन में फलाहारी है. अनाज नहीं लेते. मीठा बोलते हैं. पर काम कराना है, तो ‘मीठा के साथ मीठा’ चाहिए. [ जारी. कल पढ़िए: कौन है थानेदार का राजदार ]
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