Koderma/Jamtara: शिवरात्रि को लेकर ध्वजा धारी आश्रम में दो दिवसीय मेले का शुभारंभ हुआ. इस दौरान मेला समिति और पुलिस प्रशासन की ओर से चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है. ज्ञात हो कि इस आश्रम का इतिहास काफी पुराना है. प्राचीन काल में महाऋषि कर्दम यहां तपस्या किया करते थे. इनके ही नाम से कोडरमा शहर का नामकरण हुआ है.
आपको बता दें कि आश्रम के महंत सुखदेव दास जी को महामंडलेश्वर स्वामी की उपाधि प्राप्त है. जो पूरे राज्य भर में एक ही संत को मिली है. दो दिवसीय मेले के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. साथ ही अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आराधना करते हैं. उसके बाद यहां पर ध्वजा और त्रिशूल चढ़ाने की परंपरा है. ऐसी कहा जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने ध्वजा और त्रिशूल के साथ महाऋषि कर्दम को साक्षात दर्शन दिये थे.
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जामताड़ा स्थित मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर सुबह से ही जामताड़ा शहर के मंदिरों में श्रद्धालुओं का भीड़ उमड़ने लगी. शहर के प्रसिद्ध पुराना ट्रेजरी शिव मंदिर, ब्लॉक रोड, दुमका रोड, सूर्य मंदिर, राजबाड़ी और बाजार रोड स्थित शिव मंदिर में श्रद्धालु की भीड़ देखने को मिली. यहां दोपहर तक दर्शन करने वाले शिवभक्तों की लंबी कतार लगी रहती है. इसके अलावे नारायणपुर प्रखंड क्षेत्र के करमदाहा स्थित दुखिया बाबा, नाला के देवलेश्वर धाम साथ ही जामताड़ा के भरचंडी और अमलाचातर गांव के मंदिर में भी श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी है.
मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया
राजबाड़ी स्थित शिव मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. फूल और कृत्रिम सजावट आकर्षण का केंद्र बना है. मंदिर के बाहर द्वारपाल के रुप में बैठे नंदी बाबा की भी पूजा की जा रही है. ऐसी मान्यता है कि अगर नंदी बाबा के समक्ष किसी मन्नत को मांगा जाये, तो वह मनोकामना जल्द ही पूरी होती है.
राजबाड़ी शिव मंदिर का इतिहास है पौराणिक
राजबाड़ी स्थित शिव मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है. इस संबंध में शिव बारात आयोजन कमेटी के सदस्य सुनील कुमार ने बताया कि यह मंदिर अतिप्राचीन है. हाल के वर्षो में यहां से निकलने वाली शिव बारात विशेष आकर्षण का केंद्र होती है. इसमें भगवान शिव और पार्वती की झांकी निराली होती है.
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