आंगनबाड़ी केंद्र शेखा की सेविका-सहायिका रहती हैं गायब
कड़ाके की ठंड में फर्श पर बैठ कर नन्हे नौनिहाल करते हैं भोजन
Pramod Upadhyay
Hazaribagh: हजारीबाग सदर प्रखंड के शेखा आंगनबाड़ी-दो (कोड संख्या 114) का हाल बेहाल है. चंद पैसों को बचाने के लिए यहां नन्हे मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है. एक तो यहां बच्चों को नाश्ता भी नहीं मिलता है और खिचड़ी में पौष्टिक आहार नदारद रहते हैं. सरकारी आदेश के अनुसार बच्चों को यहां भोजन नहीं कराया जा रहा है. ‘शुभम संदेश’ की टीम ने शुक्रवार को वहां जाकर ग्राउंड रिपोर्टिंग की, तो नजारा कुछ और ही था. आंगनबाड़ी केंद्र शेखा की सेविका-सहायिका गायब मिलीं. अपना स्कूल छोड़ सहायिका की नाबालिग बेटी वहां खिचड़ी बना रही थी. वहीं एक महिला अभिभावक अपने बच्चे को खाना खिलाने के लिए पहुंची थी. ठिठुरन भरी ठंड में फर्श पर बैठ कर नन्हे नौनिहाल भोजन कर रहे थे. वहां उन्हें बैठने के लिए एक बोरा या दरी तक नसीब नहीं था.
सहायिका की नाबालिग बेटी ने पूछे जाने पर बताया कि सेविका कहीं घूमने गई है और सहायिका अस्पताल गई है. उसकी जगह वह अपना स्कूल छोड़कर भोजन बना रही है. बच्चों की थाली में परोसी गई खिचड़ी में न कोई दाल और न कोई मसाला दिया गया था. गीले चावल में हल्दी मिलाकर खिचड़ी बना दी गई थी. वहां मौजूद एक महिला अभिभावक ने बताया कि सेविका-सहायिका नहीं हैं. इसलिए खड़ी होकर वह अपने बच्चे को खाना खिला रही थी.
‘शुभम संदेश’ के बुलाने पर पहुंचीं सेविका
‘शुभम संदेश’ के फोन करने पर आंगनबाड़ी केंद्र में सेविका बेबी देवी पहुंचीं. उन्होंने बताया कि बच्चों का सर्वे का आदेश आया था, तो वह गांव गई थीं. उन्होंने यह भी कहा कि सहायिका अपनी मर्जी से गायब है. उनसे छुट्टी नहीं ली है और अपनी जगह अपनी बेटी को भोजन बनाने के लिए भेजी है. उनकी ड्यूटी दिन के 1:00 बजे तक रहती है. खिचड़ी में दाल वह डाल कर गई थीं. इसमें कोई कमी नहीं है. उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से यहां बच्चों के लिए जूते-मौजे या फर्नीचर नहीं दिए गए हैं.
सहायिका ने दी जानकारी
सहायिका से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सेविका को जानकारी देकर आए हैं कि इमरजेंसी इलाज के लिए सदर अस्पताल जा रहे हैं. बच्चों का भोजन बंद नहीं हो, इसलिए अपनी बेटी को भोजन बनाने के लिए भेज दिए हैं.