कम मानदेय पर कंपनी के माध्यम से काम पर लगा दिए गए हैं अनुभवहीन कर्मी
Pramod Upadhyay
Hazaribagh : हजारीबाग सदर अस्पताल में कर्मियों को न इंजेक्शन देने की जानकारी है और ड्रेसिंग करने का अनुभव है. फिर भी वह मरीजों को इंजेक्शन देने और ड्रेसिंग करने के लिए लगा दिए गए हैं. दो साल की पढ़ाई के बाद एएनएम और जीएनएम का सर्टिफिकेट तो मिल गया, लेकिन कहीं नौकरी नहीं मिली. ऐसे में किसी तरह आउटसोर्स कंपनी में रोजगार के लिए गए, तो उन्हें कम पैसे पर आउटसोर्सिंग के रूप में काम करने के लिए रख लिया गया. इन कर्मियों एएनएम, जीएनएम, टेक्नीशियन आदि के पास काम का अनुभव नहीं है. यह ‘शुभम संदेश’ नहीं, मरीज, उनके परिजन और धरना-प्रदर्शन पर बैठे अनुबंध पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है.
धरना पर बैठे ट्रेंड एएनएम और जीएनएम कर्मियों का आरोप है कि इन्हें काम न देकर आउटसोर्स कंपनी कम पैसे पर अनुभवहीन कर्मियों को काम पर रख लिया है. ऐसे कई एएनएम और जीएनएम सर्टिफिकेट लेकर नौकरी की तलाश में चक्कर काट रहे हैं. जब कहीं रोजगार नहीं मिलता तो आउटसोर्स कंपनी का दामन थाम लेते हैं. कंपनी भी कम पैसे में इन्हें नौकरी पर रख ले रही है, जिसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है. मरीज को बैंडेज, इंजेक्शन और स्लाइन चढ़ाने में काफी समस्या उत्पन्न हो रही है.
केस-1 : सदर अस्पताल के ट्रामा सेंटर में आयीं हजारीबाग शिवपुरी की मरीज पूनम कुमारी ने बताया कि एक घंटे से स्लाइन के लिए एएनएम हाथ की नस (वेन) ढूंढ़ती रही, लेकिन वह स्लाइन चढ़ाने के लिए उनकी हाथों की नस नहीं तलाश पायी. वह पांच बार से ज्यादा हाथ में स्लाइन चढ़ाने के लिए इंजेक्शन लगा चुकीं, लेकिन उन्हें नस नहीं मिली. ऐसे में उन्हें प्राइवेट नर्सिंग होम में जाना उचित लगा.
केस-2 : आउटसोर्सिंग के तहत काम करनेवाली एक एएनएम ने बताया कि उनके पास सर्टिफिकेट है, लेकिन काम का अनुभव नहीं है. वह काम सीख रही हैं. कम पैसे में काम कर रही हैं. कंपनी ने उन्हें सदर अस्पताल में रखवा दिया है. उनके जैसे कई स्टाफ यहां काम कर रहे हैं. उनके पास भी अनुभव की कमी है.
केस-3 : सिविल सर्जन कार्यालय के सामने बेमियादी धरने पर बैठीं अनुबंध पर करने वाली एएनएम-जीएनएम रेशमी तिर्की, ज्योति तिर्की, रेणु कुमारी, अनूपा कुशवाहा, सुनीता कुमारी, मंजू कुमारी, सवा फैज आदि का कहना है कि सर्टिफिकेट के अलावा पांच साल का अनुभव भी चाहिए. उनलोगों के पास ड्रेसिंग, इंजेक्शन, स्लाइन आदि का पर्याप्त अनुभव है. लेकिन आउटसोर्सिंग पर रखे गए कर्मियों को कोई अनुभव नहीं है. कंपनी ने अनुभवहीन कर्मियों को सदर अस्पताल में रखवा दिया है. इन कंपनी और कर्मियों को मरीजों की जान की कोई परवाह नहीं. यही वजह है कि छह दिनों से धरने पर मासूम बच्चों को लेकर बैठी हैं, लेकिन उन लोगों पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. कम पैसे में ही सरकार का काम चल जा रहा है, तो उनलोगों की सेवा स्थायी क्यों की जाएगी.
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