Simdega/Kolebira: लचरागढ़ के मारवाड़ी समाज ने 5174वीं अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में महाराज अग्रसेन की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर आरती की. इसके बाद प्रसाद का वितरण किया गया. मौके पर नंदकिशोर अग्रवाल ने कहा कि महाराज अग्रसेन अग्रवाल जाति के संस्थापक ही नहीं, बल्कि एक महान पुरुष थे. उन्होंने भगवान राम, कृष्ण, महात्मा बुद्ध, भगवान महावीर स्वामी की भांति अपना सारा जीवन त्याग, तपस्या, प्रेम, भाईचारा और मर्यादाओं को समर्पित कर दिया. हमें भी उनके जीवन से सीख लेते हुए उनके बताए गए मार्ग पर चलना चाहिए. महाराजा अग्रसेन को भगवान श्रीराम का वंशज माना गया है. अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी शारदीय नवरात्रि के पहले दिन महाराजा अग्रसेन की जयंती मनाई जाती है.
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भगवान श्रीकृष्ण के समकालीन माने जाते हैं महाराज अग्रसेन
महाराज अग्रसेन, अग्रवाल अर्थात वैश्य समाज के जनक कहे जाते हैं. इनका जन्म द्वापर युग के अंत व कलयुग के प्रारंभ में हुआ था. वे भगवान श्री कृष्ण के समकालीन थे. धार्मिक मान्यतानुसार इनका जन्म आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्रीराम की 34वीं पीढ़ी में सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल के प्रतापनगर के महाराजा वल्लभ सेन के घर में द्वापर युग के अंतिम काल और कलियुग के प्रारंभ में आज से लगभग 5,187 वर्ष पूर्व हुआ था.
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भगवान राम के वंशज माने जाते हैं महाराज अग्रसेन
ऐसा माना जाता है कि महाराज अग्रसेन भगवान राम के पुत्र कुश की 34वीं पीढ़ी के संतान थे. महाभारत के युद्ध में 15 साल की आयु में पिता के साथ शामिल भी हुए थे. महाराजा अग्रसेन जयंती के दिन अग्रवाल और अग्रहरी समाज के लोग महाराजा अग्रसेन की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके बताए रास्ते पर चलने का प्रयास करते हैं. महाराजा अग्रसेन का दो विवाह हुआ था. पहला शादी राजा नागराज की पुत्री राजकुमारी माधवी से हुई थी. यह शादी स्वयंवर थी, इस स्वंय वर मे राजा इंद्र ने भी हिस्सा लिया था. इस स्वंयवर मे राजकुमारी माघवी ने अग्रसेन को अपने वर के रुप में चुनने का फैसला किया. कार्यक्रम में नंदकिशोर अग्रवाल, विकास मित्तल, संजय अग्रवाल, मनीष सिंगोदिया रिकी अग्रवाल, अंकित अग्रवाल, दीपू जैन, केदारनाथ अग्रवाल के साथ मारवाड़ी समाज के लोग उपस्थित थे.