कोलेबिरा धर्मशाला में 1941 से और जलडेगा में 1957 से हो रही है मां दुर्गा की आराधना
Simdega/Kolebira : कोलेबिरा धर्मशाला में आजादी के पहले से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. पहली बार यहां 1941 में दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया था. दुर्गा पूजा का शुभारंभ कोलेबिरा थाना में पदस्थापित जमादार सतीश चंद्र मुखर्जी, ओहदार रण बहादुर सिंह, हरिशंकर साहू, कालीचरण साहू, शिव शंकर साहू, बसंत नारायण साहू आदि द्वारा किया गया था. प्रारंभ में थाना परिसर में मां दुर्गा की पूजा की जाती थी. इसके बाद दुर्गा पूजा का आयोजन मौसीबाड़ी परिसर में किया जाने लगा. कुछ वर्षों तक मौसीबाड़ी परिसर में दुर्गा पूजा होने के बाद भंवर पहाड़गढ़ परगना के 33 मौजा के जमींदार ओहदार रण बहादुर सिंह द्वारा कोलेबिरा थाना मोड़ के समीप दुर्गा पूजा करने के लिए छह डिसमिल जमीन दी गयी. उक्त जमीन के कुछ हिस्से पर दो लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया. वर्तमान समय में मात्र ढाई से तीन डिसमिल जमीन पर भवन बना हुआ है. पहले इस जगह पर लोग खपरैल झोपड़ी बनाकर दुर्गा पूजा किया करते थे. सन 1998 में स्थानीय सांसद कड़िया मुंडा द्वारा सामुदायिक भवन का निर्माण कराया गया था, तबसे उसी भवन में प्रतिवर्ष दुर्गा पूजा हो रही है.
तीन पीढ़ियों से एक ही परिवार के लोग बना रहे मां दुर्गा की प्रतिमा
सबसे पहले मां दुर्गा की मूर्ति बंगाल के वृंदावन सूत्रधार ने बनाई थी
सर्वप्रथम मां दुर्गा की मूर्ति पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिले के डिमडिया निवासी वृंदावन सूत्रधार द्वारा बनायी जाती थी. उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र अनिल सूत्रधार व शिबू सूत्रधार ने मूर्ति बनायी. उन दोनों के निधन के बाद वृंदावन सूत्रधार की तीसरी पीढ़ी अनिल सूत्रधार के बेटे अश्विनी सूत्रधार, तुलसी सूत्रधार व ध्रुवा सूत्रधार द्वारा मूर्ति बनायी जाती है. 1941 में सर्वप्रथम लंबोदरपति ने पुरोहित की भूमिका निभायी. 1944 से सिमडेगा के आचार्य रमापति शास्त्री ने पूजा शुरू की. इसके बाद 1968 से उनके पुत्र योगेश शास्त्री पुरोहित रहे. उनके निधन के बाद 1992 से इनके पुत्र आनंद शास्त्री ने पुरोहित की भूमिका निभायी. वर्तमान समय में पलामू लेस्लीगंज के पुरोहित शंकर दयाल गिरी पुरोहित की भूमिका निभा रहे हैं. श्रोता पुरोहित की भूमिका केशव मिश्रा द्वारा निभायी जाती है. लोगों का कहना है कि शुरुआती दौर 1941 से 1950 तक दुर्गा पूजा महज 30-40 रुपये के खर्च में होती थी. 60 के दशक में दो से तीन सौ रुपये में संपन्न होने लगी. वर्तमान समय में बढ़ती महंगाई के कारण दुर्गा पूजा संपन्न कराने में दो से ढाई लाख का खर्च आता है. हर साल की भांति इस साल भी वर्तमान में युवा पूजा समिति द्वारा धूमधाम से दुर्गा पूजा मनाया जा रहा है. इसमें समिति अध्यक्ष प्रवीण कुमार, कोषाध्यक्ष सुधीर कुमार, उपाध्यक्ष अर्जुन साहू, राजेंद्र, गोपाल कुमार, राहुल कुमार, त्रिवेणी प्रसाद आदि अहम भूमिका निभा रहे हैं.
जलडेगा में 1956 से मां दुर्गा की हो रही पूजा
वहीं जिले के जलडेगा में 1956 से मां दुर्गा की पूजा की जा रही है. साथ ही पूजा के साथ यहां पर रामलीला का मंचन भी किया जाता है. जिसमें स्थानीय निवासी ही राम, लक्ष्मण, सीता, रावण, हनुमान आदि कलाकारों की भूमिका निभाते हैं. जिस कार्यक्रम की शुरुआत सप्तमी तिथि से किया जाता है. दशमी तिथि तक चलती है इस मुख्य रुप से रामौतार अग्रवाल, सुभाष साहू, महेश साहू, विश्वनाथ साहू, नरेश गोयल, ओम प्रकाश साहू अरूण मिश्रा संतोष सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है.
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