Simdega: सिमडेगा में सुहागिनों ने वट सावित्री की पूजा कर अखंड सौभाग्य का वरदान मांगा. कई स्थानों पर सुबह से ही महिलाएं हाथों में टोकरी, पंखा व पूजा की सामग्री के साथ नजर आई. महिलाओं ने वट वृक्ष पर जल, कुमकुम, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाकर, व्रत की कथा को सुना. इस दिन सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं. वट सावित्री के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर के निर्जला उपवास रखती हैं और विधि विधान के साथ वट यानी बरगद पेड़ की पूजा करती हैं.
आज के दिन बरगद पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है. कहते हैं कि यमराज ने माता सावित्री के पति सत्यवान के प्राणों को वट वृक्ष के नीचे ही लौटाया था और उन्हें 100 पुत्रों का वरदान दिया था. उसी समय से वट सावित्री व्रत और वट वृक्ष की पूजा की परंपरा शुरू हुई. मान्यता है कि आज के दिन बरगद पेड़ की पूजा करने से यमराज देवता के साथ त्रिदेवों की भी कृपा प्राप्त होती है.
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