Simdega : केरसई प्रखंड के रेंगारटोली बासेन में गोंडवाना आदिवासी कल्याण एवं विकास मंच के तत्वावधान में विगत 6 दिनों से चल रहे गोंडवाना शेर शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक बालक/बालिका खेल महोत्सव का समापन हो गया. वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस के मौके पर इसका आयोजन किया था. इस मौके पर सर्वप्रथम अतिथियों ने फाइनल मुकाबला खेलने पहुंचे बालक-बालिका की चारों टीम से परिचय प्राप्त किया. अतिथियों ने उन्हें अनुशासित होकर मैच खेलने के लिए प्रोत्साहित किया.
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कोनसकेली की टीम 1-0 से हुई विजयी
बालक वर्ग में फाइनल मुकाबला पैकपारा और कोनसकेली के बीच खेला गया, जिसमें कोनसकेली की टीम कड़े मैदानी संघर्ष के बाद 1-0 गोल से मैच जीतकर चैंपियन होने का गौरव प्राप्त किया. वहीं बालिका वर्ग में फाइनल मुकाबला चीर-प्रतिद्वंद्वी टीम जामबहार और रेंगारटोली के बीच खेला गया, जिसमें रेंगारटोली की टीम ने जामबहार को पेनाल्टी में 5-4 गोल से मात देकर चैंपियनशिप को अपने नाम किया.
कुरीतियों को छोड़ें- डॉ. गणेश मांझी
फाइनल मुकाबला के बाद मंचीय कार्यक्रम की शुरूआत गोंड समाज के भुमक/पहान के अगुवाई में सिमडेगा-कुरडेग मार्ग पर स्थापित वीर नारायण सिंह के मूर्ति पर पूजा-अर्चना के साथ किया गया. समापन सह श्रद्धांजलि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. गणेश मांझी असि. प्रोफेसर आईआईटी जोधपुर (राजस्थान) जिन्होंने युवाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से राजस्थान से मोटरसाइकिल से सफर कर कार्यक्रम में उपस्थित हुए थे. उन्होंने कहा कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए गलत धारणा और कुरीतियों को छोड़ते हुए अच्छे परंपरा-मान्यताओं को आगे बढ़ाना होगा. प्रत्येक गाँव में गोटूल शिक्षण व्यवस्था जहाँ लाइब्रेरी की सुविधा हो. इस पहल को आगे बढ़ाना होगा. आज भौगोलिक दूरी अच्छे शिक्षा के लिए बाधक नहीं है आप युवा मेहनत करें रास्ता अपने से खुलते जायेगा.
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छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता सेनानी वीर नारायण सिंह
वीर नारायण सिंह को प्रथम छत्तीसगढ़ी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते हैं. वे गोंड आदिवासी समूह के थे और भानगढ़ के रहने वाले थे. अंग्रेजों ने उन्हें 1856 में एक व्यापारी के अनाज के भंडार को लूटने और अकाल के वर्ष में गरीबों के बीच बांटने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. 10 दिसंबर 1857 को रायपुर, छत्तीसगढ़ के जयस्तंभ चौक पर उन्हें फाँसी दे दी गई थी.