जब ‘दिल्ली चलो’ के नारे से गूंज उठा था शहर
हजारों नागरिकों की जुबां पर थे ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुझे आजादी दूंगा’ के बोल
Dr Pramod Kumar
Hazaribagh : हजारीबाग से नेताजी सुभाषचंद्र बोस की गहरी यादें जुड़ी हुई हैं. 11 फरवरी 1940 को नेताजी के आह्वान पर हजारों नागरिकों की भीड़ से हजारीबाग की सड़कें भर गई थीं. सबकी जुबान से बस एक ही नारा लग रहा था ‘तुम मुझे खून दो मैं तुझे आजादी दूंगा’. हजारीबाग की धरती पर नेताजी का अभूतपूर्व स्वागत किया गया था. उन्हें स्वागत कार्यकारिणी समिति के चेयरमैन हीरालाल महाजन ने अभिनंदन पत्र सौंपा था. केशव हॉल परिसर में विराट सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें स्वामी सहजानंद सरस्वती और शीलभद्र याजी जैसे सेनानी शामिल हुए थे. उस तिथि को 9 बजे दिन में आकर्षक शोभायात्रा निकाली गई थी, जिसके आगे आगे सुभाष चंद्र बोस चल रहे थे. केशव हॉल परिसर इस घटना का मुख्य गवाह है, जहां आने वाली पीढ़ी को नयी प्रेरणा अदृश्य रूप से हमेशा प्राप्त होता रहता है.
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नेताजी ने युवाओं को आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रेरित किया
रामगढ़ में संपन्न हुए कांग्रेस के 53वें अधिवेशन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आगमन हजारीबाग में हुआ था. उन्होंने शहर के नवयुवकों को देश की आजादी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था. लेकिन नेताजी ने कांग्रेस अधिवेशन के समानांतर एक दूसरा महासम्मेलन कर अंग्रेजी साम्राज्य को चुनौती देने का काम किया था. स्वामी सहजानंद सरस्वती, शीलभद्र याजी और धनराज शर्मा ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बिहार के तत्कालीन राज्यपाल आर आर दिवाकर की पुस्तक ‘बिहार सूरज’ की पृष्ठ संख्या-665 में इसकी चर्चा की गई है. डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने अपनी आत्मकथा पृष्ठ-551 में सुभाष बाबू के इस एंटी कंप्रोमाइज कॉन्फ्रेंस की चर्चा करते हुए उनके अधिवेशन को सफल बताया था क्योंकि वह वर्षा होने के पहले ही समाप्त हो गई थी. रामगढ़ में निकाली गई शोभायात्रा की आज भी कुछ जीवित लोग जो उसके प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं चर्चा करते हैं.
क्या सुभाष चंद्र बोस हजारीबाग केंद्रीय कारागार में बंद रहे ?
नेताजी सुभाष चंद्र बोस हजारीबाग के केंद्रीय कारागार में बंद रहे, लेकिन इसकी पुष्टि अब तक नहीं हुई है. लेकिन यूरोपियन जेल, जिसमें वर्तमान में इंदिरा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय संचालित है, उसमें उनकी हस्ताक्षरित तस्वीर लगाई गई थी, जिसकी चर्चा लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सेनानी गौतम सागर राणा करते हैं. उन्होंने जेल प्रशासन को इस तस्वीर को प्राप्त करने के लिए पत्र भी लिखा था, लेकिन अब तक वह चित्र अप्राप्त है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सिंह गर्जना केशव हॉल के अलावा कर्जन ग्राउंड में भी हुई थी. उनका रात्रि निवास सुभाष मार्ग स्थित घोष लॉज में हुआ था, अफसोस यह है कि नेताजी के नाम पर कोई भी प्रतिमा शहर में स्थापित नहीं है. हालांकि हजारीबाग में उनके नाम पर सुभाष मार्ग रखकर उनके प्रति शहरवासियों ने कृतज्ञता जाहिर की है. देश में अभी अमृत महोत्सव चल रहा है. शायद नेताजी से जुड़ी स्मृतियों को पुनर्जीवित किया जा सके. इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
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केशव हॉल में गूंजेगा ‘जयहिंद’ का नारा
हजारीबाग शहर की मध्यस्थली में स्थापित केशव हॉल में सोमवार की सुबह 9.30 बजे ‘जयहिंद’ का नारा गूंजेगा. जिला बंगाली एसोसिएशन की ओर से यहां नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती मनाई जाएगी. फ्लैग होस्टिंग यूनियन क्लब एंड लाइब्रेरी के सचिव शंकर कुमार बनर्जी और बंगाली एसोसिएशन के सचिव चिन्मय सरकार करेंगे. वहीं बंगाली समाज से जुड़े लोग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करेंगे.