Ranchi : भीमा-कोरेगांव मामले में कथित संलिप्तदता को लेकर पिछले माह 83 वर्षीय फादर स्टेथन स्वामी की गिरफ्तारी हुई थी. जेल में फादर की ओर से किये गये दावे को एनआइए ने झूठा और शरारती करार दिया है. गौरतलब है कि पार्किंसन बीमारी के मरीज फादर स्टे न ने स्ट्रा -सिपर कप और सर्दी से बचने के कपड़ों की मांग की थी.
जब फादर स्टेन अरेस्ट हुए थे, उस दौरान जब्तन किये गये स्ट्राो और सिपर को वापस करने के लिए दावा किया था. जिसे एनआइए की ओर से झूठा और शरारती करार दिया गया है.
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स्ट्रॉ -सिपर कप के लिए स्वामी ने कोर्ट में किया था दावा
यहां बता दें कि 6 नवंबर को स्टेन स्वामी ने मुंबई स्थित एनआइए कोर्ट में एक आवेदन दायर किया था. ताकि वह अपने स्ट्रा -सिपर वापस ले सकें. जिसके बाद कोर्ट ने एनआइए को 26 नवंबर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा था. जिसके बाद एनआइए ने कोर्ट में अपना जवाब विधिवत दाखिल किया. जिसमें कहा गया था कि एनआइए ने स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी में अपनी व्यक्तिगत खोज की थी और ऐसा कोई स्ट्रॉ और सीपर नहीं मिला था.
कोर्ट ने स्टेन स्वामी के आवेदन को खारिज कर दिया और 26 नवंबर को जेल अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किया, ताकि स्टेन स्वामी स्ट्रॉ और सिपर प्रदान किया जा सके.
क्या है भीमा-कोरेगांव मामला
ये मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुए एक कार्यक्रम से जुड़ा है. जिसके बाद पूरे महाराष्ट्र में हिंसा और आगजनी जैसी घटनाएं हुई थीं और एक व्यक्ति की जान भी गयी थी. जांचकर्ताओं का कहना है कि कार्यक्रम में एल्गार परिषद के लोगों ने भड़काऊ बयान दिये थे. जिससे अगले दिन ही हिंसा भड़क उठी थी. जांच में दावा किया गया है कि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश का भी खुलासा हुआ था. स्टेन स्वामी को एनआइए ने बीते 8 अक्टूबर को भाकपा माओवादी की गतिविधियों में शामिल होने और उसकी अग्रिम कार्रवाई के लिए गिरफ्तार किया था.
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