- किसी का पति तो किसी का बच्चा बीमार, दवा के भी पैसे नहीं
Ranchi : इस समय राज्यभर की करीब 76 हजार सेविका-सहायिकाएं आर्थिक तंगी का सामना कर रही हैं. उन्हें छह माह से केन्द्रीय मानदेय नहीं मिला है. जिसके कारण उनका घर-परिवार कठिनाइयों के दौर से गुजर रहा है. सेविका-सहायिकाओं के कितने घर ऐसे हैं जहां राशन-पानी का जुगाड़ भी नहीं हो पा रहा है. किसी का पति तो किसी का बच्चा बीमार है, उनकी दवा जुटाना कठिन हो रहा है. इनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी चौपट हो रही है. वे कहते हैं कि कई माह से मानदेय नहीं मिला है. महंगाई में घर चलाना पहले भी मुश्किल था, अब तो और भी मुश्किल हो गया है. किसी तरह उधार में सामान लाकर घर की जरुरतें पूरी हो रही हैं. पर अब दुकानदार भी सामान देने से कतरा रहे हैं. कुछ दिन ऐसे ही चला तो खाने के लाले पड़ जाएंगे.घर-परिवार को लेकर वे खासे चिंतित हैं. शुभम संदेश की टीम ने राज्य के विभिन्न जिलों की सेविका-सहायिकाओं से इस संबंध में बात की है. पेश है रिपोर्ट.
रामगढ़
गुजारा कैसे हो पाएगा : बसंती
सेविका बसंती कहती है कि सभी को समान मानदेय मिलना चाहिए, लेकिन यहां किसी को 9000 तो किसी को 6000 तो किसी को 3000 मानदेय मिलता है. ऐसे में घर का गुजारा कैसे हो पाएगा. हमलोग सेविका की नौकरी करते हैं, जिससे कि परिवार का पालन हो सके. लेकिन सही समय पर सही मानदेय नहीं मिलने के कारण कभी कभी आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है. महीने भर काम करने के बाद जब वेतन नहीं मिलता है तो उदास हो जाती हूं. चिंता रहती है कि महीने भर का खर्च कैसे चलेगा.घर में कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं.
हमारी मजबूरी को समझा जाए : किरण
सौंदा टिपला की सहायिका किरण कहती हैं लंबे समय तक वेतन नहीं मिलने से आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है. हम नौकरी इसलिए करते हैं ताकि हमारे घरों में जो आश्रित हैं उनकी मदद हो सके. लेकिन एक तरफ सेविकाओं को समय पर मानदेय नहीं मिल रहा है. एक सहायिका को अध्यक्ष और सचिव सबकी बातें सुननी पड़ती हैं. हम भी मेहनत करते हैं तो हमें भी सम्मानजनक मानदेय मिलने का आधिकार है. केंद्रों में पोषण सामग्री की आपूर्ति की जाति है तो फिर हम सहायिका के साथ अन्याय क्यों हो रहा है.
घर में कई तरह की समस्याएं हैं : देवंती
सेविका के रूप में कार्य करने वाली देवंती देवी कहती हैं कि सरकार हमें कम मानदेय देती है. ऊपर से सही समय पर न मिलने से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. घर का पूरा बजट बिगड़ जाता है. देवंती कहती है कि हम सभी मानदेय पर आश्रित हैं और कहीं न कहीं हमारा परिवार भी उससे जुड़ा हुआ है. ऐसे में यदि समय पर मानदेय नहीं मिले तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कहने को तो सरकार हमें वेतन देती है, लेकिन यह वेतन नहीं मानदेय है.
हजारीबाग
अब तो आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के पोषाहार पर भी आफत
हजारीबाग की सेविका-सहायिकाओं का कहना है कि अब तो आंगनबाड़ी केंद्रों में आनेवाले पोषाहार पर भी आफत है. उसके पैसे भी नहीं मिल रहे हैं. ऊपर से मानदेय भी नहीं मिल रहा है, तो कहां से घर चलाएं और आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को खाना खिलाएं. सरकार तो जैसे आंखें ही मूंद ली हैं. पिछले तीन माह से 9500 रुपए मानदेय नहीं मिला है. इसमें झारखंड सरकार से 5000 रुपए और केंद्र सरकार से 4500 रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता है. पिछले छह माह से केंद्र सरकार का भी मानदेय बकाया है. ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो गया है.
आंगनबाड़ी केंद्र की हालत भी खराब : रीता कुमारी
हजारीबाग सदर प्रखंड स्थित ओरिया-2 के आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका रीता कुमारी ने बताया कि मानदेय नहीं मिलने से उनके घर की स्थिति ठीक नहीं है. आंगनबाड़ी केंद्र में पोषाहार की राशि भी नहीं आ रही. अब तक किसी प्रकार से पोषाहार की व्यवस्था कर रहे थे. अब तो आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों का भोजन भी बनना दुश्वार हो गया है. उसके खुद के परिवार में आठ सदस्य हैं. बिना मानदेय के घर कैसे चलाएं.
कैसे चलेगा हमारा घर-परिवार : लीना
चौपारण स्थित आंगनबाड़ी केंद्र लोहंडी की सेविका लीना सिन्हा ने कहा कि उसके पति व्यवसायी हैं और एक बेटा व एक बेटी है. फिलहाल पति घर चला रहे हैं. लेकिन मानदेय के अभाव में काफी परेशानी हो रही है. सरकार यह बताए कि उनका मानदेय नहीं देगी, तो घर का काम कैसे चलेगा. सेविका-सहायिका काम तो कर ही रही हैं, तो फिर वक्त पर उनका पारिश्रमिक भी मिलना चाहिए.
घर की मरम्मत कैसे कराएं : पार्वती देवी
बरही स्थित आंगनबाड़ी केंद्र उज्जैना की सहायिका पार्वती देवी ने कहा कि घर के चार सदस्यों का खर्च वहन करना मुश्किल हो गया है. किसी तरह घर चल रहा है. उन्हें तीन माह से मानदेय नहीं मिल रहा है. बरसात आनेवाला है, सोचा था कुछ पैसे बचाकर खपरैल और मिट्टी के घर की मरम्मत करा लेंगे ताकि बरसात में परेशानी नहीं हो. लेकिन खाने के पैसे नहीं जुट रहे, तो घर की मरम्मत कहां से कराएंगे.
कब तक दूसरों से मांग-मांग कर काम चलाएंगे : मगदली बाड़ा
बरही स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में बतौर सेविका मगदली बाड़ा कहती हैं कि छह माह से मानदेय बकाया है. पति किसान हैं. उनके दो बेटे विवाहित हैं. परिवार बड़ा है, मुश्किल हालत में हैं. कर्ज लेकर कब तक दूसरों से पैसे मांग-मांग कर घर चलाएंगे. सिर पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है. अब दुकानदार राशन देने से भी आनाकानी करता है. कहता है पहले पुराने उधार चुकता करो, उसके बाद आगे अनाज देंगे. पास-पड़ोस के लोग कुछ-कुछ मदद कर रहे हैं.
साहिबगंज
आर्थिक संकट, न इलाज के पैसे, और न भोजन के, भुखमरी की नौबत
बकाया मानदेय का भुगतान नहीं होने से राजमहल प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत सेविका और सहायिका आर्थिक परेशानी से जूझ रही हैं. उन्हें घर चलाना मुश्किल हो गया है. परिवार के समक्ष भुखमरी की नौबत आ गई है. उधारी नहीं चुकाने पर किराना दुकानदार ने सामान देना बंद कर दिया है.
दुकानदार ने उधार देना बंद कर दिया : समुराह
राजमहल प्रखंड के प्राणपुर पंचायत अंतर्गत हरिजन टोला आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका समुराह खातून ने बताया कि मानदेय का भुगतान प्रतिमाह नहीं किए जाने से आर्थिक परेशानी की सामना करना पड़ रहा है. स्थिति यह है कि किराना दुकानदार उधारी देने से मना कर दिया है. दुकानदार कह रहे हैं कि पहले बकाया चुकाएं उसके बाद सामान मिलेगा.
मानदेय कम और देने में भी देरी : शबनम
प्राणपुर पंचायत के दक्षिण टोला आंगनवाड़ी केंद्र की सेविका शबनम बीबी और सहायिका जुबेदा खातून का कहना है कि अपने केंद्र पर कार्य का निर्वहन बखूबी कर रही हूं. आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चों का पूरा ध्यान रखती हूं. वैसे ही हम लोगों का मानदेय कम है. इसके बाद भुगतान में देरी होती है. मानदेय का भुगतान समय पर हर माह किया जाना चाहिए.
नहीं मिल रहा समय पर मानदेय : अंजुमआरा
प्राणपुर पंचायत के ही पुन्नी टोला गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका अंजुमआरा बीबी और सहायिका फिरोजा बीवी का कहना है कि मानदेय का भुगतान प्रतिमाह नहीं किया जाता. हर माह मानदेय नहीं मिलने से परिवार को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सरकार बकाया मानदेय का भुगतान अविलंब करें. बहुत दिनों से हमारा परिवार आर्थिक संकट में है.
जल्द भुगतान हो जिससे जरूरत का सामान खरीद सकूं : नूरुन नेशा
उत्तर टोला गांव आंगनवाड़ी केंद्र की सेविका नूरुन नेशा और सहायिका कल्पना प्रमाणिक ने बताया कि बकाया मानदेय का भुगतान नहीं होने से घर-परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. सरकार जल्द मानदेय का भुगतान करे, जिससे अपने परिवार को जरूरत का सामान खरीद कर दे सकूं.
जमशेदपुर
केंद्र में कैसे रहते हैं, देखने वाला कोई नहीं : नीलम
जमशेदपुर सदर अंतर्गत बागुननगर के आदर्शनगर केंद्र की सेविका नीलम का कहना है कि गर्मी के दिनों में आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे कैसे रहते हैं, इसको देखने वाला कोई नहीं है. हमलोग किस तरह मैनेज कर बच्चों को गर्मी के दिनों में रखते हैं, हमारी इस परेशानी को कोई समझना नहीं चाहता है. मानदेय का नियमित नहीं मिलना तो समस्या है ही, लेकिन मकान का भाड़ा समय पर नहीं मिलना उसके साथ पोषाहार का पांच महीने का पैसा नहीं मिलने से हमें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं केंद्र के निरीक्षण के दौरान आने वाले पदाधिकारी थोड़ी भी कमी रहने पर बात सुनाते हैं.
परेशानी तो है, किसी तरह करते हैं मैनेज : लीला देवी
जमशेदपुर सदर अंतर्गत विद्यापितनगर स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका लीला देवी का कहना है कि समय पर मानदेय नहीं मिलने से परेशानी होती है. अभी दो दिन पहले राज्य सरकार को दो माह का मानदेय प्राप्त हुआ है. लेकिन समय पर मानदेय और पोषाहार का पैसा नहीं मिलने से बहुत सारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. जो भी पैसा मिलता है वह बकाया चुकाने में चला जाता है. पांच महीने से पोषाहार का पैसा नहीं मिला, लेकिन बच्चों को तो भूखा नहीं रख सकते. दुकानदार उधार देने से मना कर देते हैं. किसी तरह मैनेज करके चलाते हैं. हमारी परेशानी समझने वाला कोई नहीं है.
पोषाहार की राशि का अग्रिम भुगतान हो : पूजा कर्मकार
जमशेदपुर सदर अंतर्गत बिरसा नगर जोन नंबर 1 स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका पूजा कर्मकार का कहना है कि पोषाहार की राशि का पूर्व की तरह अग्रिम भुगतान हो, ताकि खाद्यान्न खरीदने में परेशानी न हो. पांच महीने से पोषाहार की राशि का भुगतान नहीं हुआ है, जबकि बच्चों को प्रतिदिन भोजन कराना पड़ता है. सरकार को चाहिए की पोषाहार के लिए राशि का अग्रिम भुगतान करे. केंद्र और राज्य सरकार का मानदेय एक साथ मिलने से बहुत राहत मिलेगी. वहीं पोषाहार का पैसा समय पर नहीं मिलने से बहुत परेशानी होती है, क्योंकि प्रतिदिन बच्चों को भोजन कराना है. किसी भी हाल में उसको बंद नहीं किया जा सकता है.
आदित्यपुर
मानदेय बंद होने से परेशानी बढ़ गई है : नीता करवा
आदित्यपुर आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 823 की सेविका नीता करवा कहती हैं कि हमें राज्य सरकार से मिलने वाला मानदेय 5000 रुपए पिछले 2 महीने से नहीं मिला है. साथ ही केंद्र सरकार से मिलने वाली अतिरिक्त राशि 4500 रुपए भी जनवरी 2023 से बंद है. इस वजह से घर का कामकाज चलाने के साथ सेंटर चलाने में भी परेशानी हो रही है. मैं 2007 से इस केंद्र का संचालन कर रही हूं. मानदेय बंद होने से परेशानी हो रही है. पति का कोई स्थायी रोजगार नहीं है, जिससे घर बार चलाना मुश्किल हो रहा है. बच्चों की स्कूल फीस नहीं भर पा रही हूं.
महंगाई में घर चलाना हुआ मुश्किल : आशा चालक
आदित्यपुर के रेलवे कॉलोनी के बाउरी बस्ती आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 824 की सेविका आशा चालक कहती हैं कि मैं वर्ष 2020 से केंद्र चला रही हूं. जनवरी से केंद्र सरकार का अतिरिक्त मानदेय और 2 महीने से राज्य सरकार का मानदेय बंद है. मेरे केंद्र में 27 बच्चे हैं. केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाले मानदेय की राशि से ही केंद्र का रख रखाव और खुद का लालन पालन भी करती हूं. मेरे पति कुछ काम नहीं करते हैं., जिसकी वजह से इस महंगाई में घर चलाना मुश्किल हो रहा है. मैंने अपने मायके वालों से मदद लेकर घर चला रही हूं.
धनबाद
सिर पर महंगाई, आफत में पड़ी बच्चों की पढ़ाई
राज्य भर की 60 हजार आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाएं के 5-6 महीने से मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है. सेविका-सहायिका आर्थिक तंगी का सामना कर रही हैं. धनबाद जिले में लगभग 22 सौ आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जहां चार हजार से अधिक सेविका-सहायिकाएं काम कर रही है. उन्हें विगत 5 महीने से मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है. सेविका-सहायिकाओं का कहना है कि मानदेय बंद हो चुका है. महंगाई में घर चलाना पहले भी मुश्किल था, अब तो राशन-पानी का जुगाड़ भी नहीं हो पा रहा है. इधर बीमार पड़ने पर दवा जुटाना कठिन हो रहा है, जबकि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी चौपट हो रही है.
मानदेय मिल नहीं रहा है कैसे हो गुजारा: संतोषी
झरिया के साधन कोठी स्थित आंगनबाड़ी की सहायिका संतोषी देवी कहती हैं कि पति नहीं हैं और 4 बच्चों की जिम्मेवारी हमारे ऊपर है. ऐसे में पिछले कई महीनों से मानदेय नहीं मिलने के कारण कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को सहायिका और सेविकाओं की समस्या पर ध्यान देना चाहिए. आखिर परिवार का भरन-पोषण कैसे करेंगे.
कैसे होगी बच्चों की परवरिश : वीणा देवी
झरिया कतरास मोड़ की सेविका वीणा देवी ने कहा कि बढ़ती महंगाई में लगातार 5 – 6 महीनों से मानदेय नहीं मिलने के कारण स्थिति बदतर हो चुकी है. बच्चों की पढ़ाई के साथ खान पान में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि घर की आर्थिक स्थिति पहले से कमजोर रहने के कारण कोई कर्ज भी देना नहीं चाहता. सरकार प्रत्येक माह समय पर भुगतान करे.
पूरा बजट हो गया है गड़बड़: अकीला खातून
सेविका अकीला खातून कहती हैं कि मानदेय का भुगतान प्रत्येक माह नहीं होने से घर का पूरा बजट गड़बड़ हो गया है. घर महिलाओं को चलाना ही पड़ता है. ऐसे में कमाई भी बंद है तो कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार को प्रत्येक माह मानदेय का भुगतान करना चाहिए, ताकि अपने परिवार का भरन-पोषण सही ढंग से कर सकें.
मुसीबतों का पहाड़, कैसे करेंगे गुजारा: कंचन देवी
झरिया साधन कोठी मोटिया पट्टी की सेविका कंचन देवी ने बताया कि लगातार 5 -6 महीनों से मानदेय का भुगतान नहीं होने के कारण मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है. समझ में नहीं आ रहा कि इस महंगाई में परिवार का भरन पोषण कैसे करें. कहा कि 1-2 महीना तो दुकानदार ने उधार राशन दे दिया पर, अब वह भी तगादा कर रहा है. सरकार ने जल्द मांगें पूरी नही की तो स्थिति बदतर हो जाएगी.
गोड्डा
मानदेय का भुगतान नहीं,अब घर चलाना हो रहा मुश्किल
आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका मानदेय भुगतान में देरी होने से आर्थिक संकट झेल रही हैं. सेविका व सहायिका को कई महीने से मानेदय का भुगतान नहीं किया गया है. रुपए-पैसे के अभाव में इन्हें घर-परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.
समय पर कभी भी मानदेय नहीं मिला : रेणुका देवी
आंगनबाड़ी केंद्र फुलवार पौड़ेयाहाट की सहायिका रेणुका देवी के अनुसार मानदेय का भुगतान प्रत्येक माह नियत समय पर किया जाना चाहिए. कार्य शुरू करने के समय से मानदेय भुगतान अनियमित है. आज तक हम लोगों को समय पर मानदेय का भुगतान किया गया होगा. सरकारी आदेश है कि केंद्र बंद नहीं होना चाहिए. बिना मानदेय के केंद्र का संचालन कैसे होगा? आदिवासी बहुल क्षेत्र होने की वजह से यहां अधिकांश बच्चे गरीब तबके के हैं. बच्चे नियमित केंद्र में आते हैं. सभी बच्चों को पोषाहार दी जाती है. वैसे उन्हें उम्मीद है कि गोड्डा जिले में बकाया मानदेय का भुगतान शुरू है. हो सकता है मानदेय मिल जाए.
बेरमो
आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, कब होगी परेशानी दूर
आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत सेविका और सहायिका को नियत समय पर मानदेय का भुगतान नहीं होने से आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सेविका और सहायिका का कहना है कि हम लोगों का मानदेय वैसे ही कम है. इसके बाद भुगतान भी समय पर नहीं किया जाता है.
पोषाहार की राशि मार्च से नहीं मिली है : सीता
गोमिया प्रखंड के कुन्दा पंचायत अंतर्गत चगड़ी आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सीता देवी का कहना है कि मानदेय और पोषाहार की राशि नहीं मिली है. मानदेय का भुगतान फरवरी से नहीं किया गया है. पोषाहार की राशि मार्च से नहीं मिली है. मानदेय नहीं मिलने से घर-परिवार चलाने में दिक्कत हो रही है. बड़ी बेटी बीए फाइनल इयर में है, जबकि दूसरी बेटी आईएससी और कंप्यूटर की पढ़ाई कर रही है.
चार माह से मानदेय का भुगतान नहीं : कुंती देवी
गोमिया प्रखंड के चगड़ी आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत कुंती देवी ने बताया कि मानदेय नहीं मिलने के कारण परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. बेटा हजारीबाग में पढ़ाई करता है. हर माह उसे पढ़ाई का खर्च भेजना पड़ता है. विगत चार माह से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है. आय का कोई दूसरा जरिया नहीं है. पति खेती बाड़ी करते हैं. पोषाहार की राशि भी नहीं मिली है.
इलाज नहीं करवा पा रही हूं : विलासो देवी
गोमिया प्रखंड के टिकाहरा आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका विलासो देवी का कहना है कि उनके दो बच्चे और सास- ससुर हैं. सास व ससुर की आयु 70 वर्ष से ज्यादा है. बुजुर्ग होने के कारण अक्सर बीमार रहते हैं. डाक्टर से दिखाने और दवाइयां खरीदने में रुपया खर्च होता है. दोनों बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं. स्कूल में हर माह फीस जमा करना पड़ता है. मानदेय नहीं मिलने से सास-ससुर का इलाज नहीं हो पा रहा है.
घाटशिला
बच्चे नामांकन से हो जाएंगे वंचित : माया
घाटशिला प्रखंड के पावड़ा 2 आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका माया सीट ने बताया कि जनवरी से मानदेय बकाया था. एक जून को आधा मानदेय का भुगतान किया गया है. मानदेय भुगतान नहीं होने से बच्चों का एडमिशन कराना मुश्किल हो गया है. सरकार यदि जल्द से जल्द बकाया मानदेय का भुगतान नहीं करती है तो बच्चे नामांकन से वंचित हो जाएंगे. पैसे के अभाव में अन्य कई समस्याएं हो रही हैं.
बकाए से हो रही परेशानी : सुनीता
आंगनबाड़ी केंद्र बैतालपुर की सेविका सुनीता हांसदा कहती हैं कि मानदेय नहीं मिलने सरकार द्वारा आंगनबाड़ी सेविका से ही सब काम लिया जाता है, परंतु मानदेय भुगतान को लेकर आंगनबाड़ी सेविकाओं को ही समस्या का सामना करना पड़ता है. जनवरी माह से मानदेय नहीं मिलने से घर की स्थिति काफी खराब हो गई है. भोजन के साथ साथ बच्चों की पढ़ाई लिखाई तथा इलाज कराने में भी परेशानी हो रही है. सभी काफी चिंतित हैं.
मझगांव
छह माह से नहीं मिला है मानदेय भुखमरी से जूझ रहे हैं : बसंती
मझगांव प्रखंड अंतर्गत घोड़ाबंधा पंचायत के बाईपी आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका बसंती पिंगुवा ने कहती हैं कि लगभग छह माह से हम लोगों का मानदेय भुगतान नहीं किया गया है. रोजाना विभाग की ओर से आश्वासन ही दिया जा रहा है. क्या हम लोगों का परिवार नहीं है, सिर्फ हम लोग आश्वासन पर ही जी सकते हैं. हमारे परिवार में 7 सदस्य हैं. इसी मानदेय से ही परिवार का भरण पोषण हो पाता है, लेकिन अब तो भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. घर में कोई बीमार पड़ता है तो इलाज के लिए सोचना पड़ता है कि कैसे इलाज करवाएं. सरकार हमारी सुध तक नहीं ले रही है. यही हाल लगभग हम सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं का है. हमारी पारिवारिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. दुकान से उधार लेकर सामान लाते हैं, लेकिन अब दुकानदार भी सामान देने से कतरा रहा है. इस हालत में हम जाएं तो कहां, समझ में नहीं आता है.
पैसे के अभाव में बच्चे नहीं जा रहे ट्यूशन पढ़ने : उर्मिला पिंगुवा
मझगांव प्रखंड अंतर्गत घोड़ाबंधा पंचायत के ग्राम हल्दिया आंगनबाड़ी सेंटर 2 की सेविका उर्मिला पिंगुवा कहती हैं कि छह महीना बीत चुका है, लेकिन तब तक सरकार ने मानदेय भुगतान नहीं किया है. परिवार में 9 सदस्य हैं. पति बीमार हैं और तीन बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. हालत इतनी खराब है कि बच्चों की ट्यूशन फीस तक जमा नहीं कर पा रही हूं. इसके कारण बच्चे ट्यूशन जाना छोड़ दिए हैं. घर की माली हालत इतनी खराब है कि चावल और सब्जी बनती है. कभी-कभी बिना सब्जी के ही खाना खाते हैं. पैसे की कमी के कारण घर की मरम्मत भी नहीं करवा पाए हैं. सप्ताह भर बाद ही बरसात आने वाली है. पर्व त्योहार में उधार लेना पड़ता है. अब उधार देने वाले रोजाना तगादा कर रहे हैं. समझ में नहीं आ रहा है कि पैसा दें तो कहां से. आए दिन हमारे विभाग से सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है कि जल्द ही भुगतान किया जाएगा.
चक्रधरपुर
मानदेय नहीं मिलने से घर चलाना हुआ मुश्किल : चंपा
चक्रधरपुर के बारहकाटा गांव के आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका चंपा महतो कहती हैं कि समय पर मानदेय नहीं मिलने के कारण घर चलाना मुश्किल हो गया है. पांच महीने से मानदेय भुगतान नहीं हुआ है. इससे आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मजबूरी में खेत में होने वाली सब्जियों को बेचकर गुजारा करना पड़ता है. समय पर मानदेय नहीं मिलने से बच्चों की ट्यूशन फीस जमा करने में भी परेशानी हो रही है. सरकार को सेविका सहायिकाओं की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए.
घर निर्माण का काम अधूरा पड़ गया : अलविना केराई
चक्रधरपुर के दुईकासाई गांव की आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका अलविना केराई ने कहा कि घर का निर्माण कराया जा रहा था, लेकिन मानदेय नहीं मिलने के कारण घर निर्माण का कार्य अधूरे में ही रुक गया है. पति खेतीबाड़ी करते हैं. मेरे मानदेय से ही घर परिवार चलता है. समय पर मानदेय नहीं मिलने के कारण घर के हालात बिगड़ जाते हैं. जनवरी माह से मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है. मानदेय को लेकर संघ को भी अवगत कराया गया है. दुकानों में कर्ज हो गए हैं. पांच महीने से मानदेय नहीं मिलने के कारण घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है.
बच्चों की किताब खरीदने में हो रही परेशानी : सावित्री
पुसालोटा गांव के आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सावित्री हेम्ब्रम कहती हैं कि मानदेय नहीं मिलने के कारण बच्चों के स्कूल की किताब खरीदने में परेशानी हो रही है. साथ ही दो महीने से बच्चों की स्कूल और ट्यूशन फीस भी जमा नहीं कर सकी हूं. पति मजदूरी करते हैं. मेरे मानदेय से घर में काफी हद तक सहयोग होता है. पांच महीने से मानदेय नहीं मिलने के कारण परिवार चलाने में परेशानी हो रही है. संघ से आश्वासन मिला है कि अगर मानदेय का भुगतान नहीं होता है तो आंदोलन किया जाएगा. सरकार को हमारी समस्या पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
चाईबासा
मानदेय में विलंब से घर की स्थिति खराब : कंचन महतो
चाईबासा की आंगनबाड़ी सेविका कंचन महतो कहती हैं कि सेविकाओं को समय पर मानदेय का भुगतान नहीं होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लगातार इसे लेकर सरकार से मांग की जाती है, लेकिन सरकार इस पर गंभीर नहीं रहती है. पोषाहार के लिये राशि में अलग से आवंटन नहीं हो रहा है. इससे हम सब परेशान हैं. एक साथ तीन-चार माह का मानदेय मिलता है. विलंब होने के कारण घरों की स्थिति खराब हो जाती है. एक तो सरकार कम मानदेय सहायिकाओं को दे रही है, ऊपर से चार-पांच माह के बाद मिलती है.
घर में मरीज, लेकिन नहीं करा पा रही इलाज : अनिता कुमारी
चाईबासा सदर की आंगनबाड़ी सेविका अनिता कुमारी कहती हैं कि पश्चिमी सिंहभूम सहायिका सेविका संघ की ओर से लगातार समय पर मानदेय मिले, इसको लेकर प्रशासन से लेकर सरकार तक दबाव बनाया जा रहा है. लेकिन इसका असर कुछ भी नहीं हो रहा है. पिछले कई माह से मानदेय नहीं मिला है. इसके कारण घरों की स्थिति खराब हो चुकी है. अब इतनी स्थिति खराब हो चुकी है कि राशन भी घर में नहीं है. एकमात्र रोजगार होने के बावजूद काफी परेशानी हो रही है. सरकार से मांग है कि हमें नियमित रूप से समय पर मानदेय देने का कष्ट करे.