Ranchi : झारखंड के पाकुड़ जिले के पत्थर की क्वालिटी बेहतरीन मानी जाती है. पाकुड़ के पत्थर से ही विश्व का सबसे ऊंचा ब्रिज बन रहा है. इस ब्रिज को बनाने में 65 हजार क्यूबिक टन पत्थर लगेगा. यह ब्रिज गुवाहाटी के पास नोनी की इजाई नदी पर बन रहा है, जिसकी ऊंचाई 141 मीटर है. अभी यूरोप में 139 मीटर ऊंचा ब्रिज है.
वर्ष 2020 में ही 141 मीटर ऊंचाई वाले ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा होना था, मगर कोरोना महामारी की वजह से निर्माण कार्य प्रभावित हो गया. वहीं पाकुड़ से पर्याप्त मात्रा में पत्थर की आपूर्ति नहीं हो सकी. कोरोना की वजह से खदान में पत्थर निकालने का काम भी बंद था. अब पत्थर स्टॉक हो गया है, जिसे रेलवे रैक से गुवाहाटी भेजा जाएगा. ब्रिज के लिए भेजा जाने वाला पत्थर का उत्पादन कम ही होता है.
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पाकुड़ के पत्थर से बन रहे ब्रिज को नेशनल प्रोजेक्ट का दर्जा
गुवाहाटी की मिट्टी ब्रिज को संभालने में सक्षम नहीं है. इसलिए इन पत्थरों की जरूरत पड़ी. अब ब्रिज का काम कुछ ही रह गया है. ब्रिज निर्माण को नेशनल प्रोजेक्ट (नेशनल डेवलपमेंट एंड इंटीग्रेशन) का दर्जा दिया गया है. ब्रिज के बनने से इंफाल तक रेल लाइन बनने के बाद नॉर्थ ईस्ट से कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी. इससे उत्तर-पूर्वी राज्यों में ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा बढ़ेगी. व्यापारिक संपर्क भी बढ़ेगा.
13,760 करोड़ लागत आएगी ब्रिज निर्माण में
विश्व के सबसे ऊंचे ब्रिज को बनाने की लागत 13,760 करोड़ रुपये आंकी गई है. ब्रिज की लंबाई 703 मीटर है. इस ब्रिज को सितंबर 2013 में बनाना शुरू किया गया था. यह ब्रिज 2020 में बनकर तैयार हो जाना था, मगर अचानक कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन की वजह से निर्माण कार्य और सामग्रियों की आपूर्ति बंद हो गई. इसे वर्ष 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
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