New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वर्चुअल प्रारूप में प्रथम भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन (India-Central Asia Summit) की मेजबानी की. समिट में संबंधों को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने और उभरती क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की गई. वर्चुअल सम्मेलन में पांच देशों के राष्ट्रपति शामिल हुए. भारत-मध्य एशिया समिट की पहली बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, इस सम्मेलन का दूसरा उद्देश्य हमारे सहयोग को एक प्रभावी ढांचा देना है. इससे विभिन्न स्तरों पर और विभिन्न हितधारकों के बीच नियमित बातचीत का एक ढांचा स्थापित होगा और तीसरा उद्देश्य हमारे सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी रोडमैप बनाना है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इनके माध्यम से ही हम अगले तीन सालों में क्षेत्रीय संपर्क और सहयोग के लिए एक समन्वित रुख अपना सकेंगे
भारत और मध्य एशिया के देशों का आपसी सहयोग अनिवार्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा को भारत और मध्य एशिया के देशों के लिए एकसमान ‘चिंता का विषय’ करार दिया और कहा कि सुरक्षा और समृद्धि के उद्देश्य को हासिल करने के लिए भारत और मध्य एशिया के देशों का आपसी सहयोग अनिवार्य है. डिजिटल माध्यम से पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और मध्य एशिया के देशों के कूटनीतिक संबंधों ने 30 ‘सार्थक वर्ष’ पूरे कर लिये हैं और पिछले तीन दशकों में आपसी सहयोग ने कई सफलताएं भी हासिल की है.
महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गये हैं
उन्होंने कहा कि आज यह रिश्ते अब इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गये हैं कि सभी को आने वाले सालों के लिए एक महत्वाकांक्षी दूरदृष्टि परिभाषित करनी चाहिए और वह दूरदृष्टि ऐसी हो, जो बदलते विश्व में लोगों की, विशेषकर युवा पीढ़ी की आकांक्षाओं को पूरा कर सकें. मध्य एशिया के सभी देशों के साथ भारत के संबंधों की घनिष्ठता का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कजाकिस्तान जहां भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार बन गया है, वहीं उज्बेकिस्तान के साथ उनके गृह राज्य गुजरात सहित भारत के विभिन्न राज्यों की सक्रिय भागीदारी भी है. अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रमों को उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए हम सभी की चिंता और उद्देश्य एक समान हैं. अफगानिस्तान के घटनाक्रम से हम सभी चिंतित हैं. इस संदर्भ में भी हमारा आपसी सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए और महत्वपूर्ण हो गया है.’
शिखर सम्मेलन में इन्हाेंने शिरकत की
सम्मेलन के तीन प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत और मध्य एशिया का आपसी सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए अनिवार्य बताया और स्पष्ट किया कि मध्य एशिया एक समन्वित और स्थिर विस्तारित पड़ोस के लिए भारत के ‘विजन’ का केंद्र है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इनके माध्यम से ही हम अगले तीन सालों में क्षेत्रीय संपर्क और सहयोग के लिए एक समन्वित रुख अपना सकेंगे. बता दें कि भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन में कजाखस्तान के काजयम जोमार्त तोकायेव , उज्बेकिस्तान के शावकत मिजियोयेव , ताजिकिस्तान के इमोमाली रहमान , तुर्कमेनिस्तान के जी. बर्डीमुहामेदोव और किर्गिज गणराज्य के सदयर जापारोव ने शिरकत की.
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