- छद्म विधानसभा में रोड सेफ्टी पर चर्चा, विधेयक भी पारित किया गया
- तारांकित, अल्पसूचित प्रश्नों और शून्यकाल में छात्रों ने उठाये अपने क्षेत्र से जुड़े सवाल
- राज्यभर के कॉलेजों से चुने गये 24 छात्र-छात्राएं बने छात्र संसद का हिस्सा
- धनबाद के पीयूष कुमार को छात्र संसद में मिला प्रथम स्थान
- हजारीबाग की मुस्कान सेंकेंड और रांची की साक्षी प्रिया तीसरे नंबर पर रही
Ranchi: झारखंड विधानसभा में आयोजित छात्र संसद में राज्यभर से चुने गये 24 छात्र-छात्राओं ने गुरुवार को सदन चलाया, उन्होंने विधायिका की बारीकियां सीखी. सदन के अंदर अनुशासित तरीके से अनुभवी नेता की तरह अपनी बातों को रखा. छात्र संसद के लिए सेंट्रल हॉल में छद्म विधानसभा बनाया गया था. जिसमें छात्र-छात्राएं स्पीकर, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के विधायक की भूमिका में नजर आए. मरियम खलखो स्पीकर और गीता श्रेया मुख्यमंत्री की भूमिका में थीं, छात्र संसद की कार्यवाही शुरू होने के बाद प्रोटेम स्पीकर का प्रारंभिक वक्तव्य हुआ. विधायक बने छात्रों ने शपथ ग्रहण किया. इसके बाद सड़क सुरक्षा विषय पर सदस्यों ने अल्पसूचित और तारांकित प्रश्न के तहत अपने सवाल सदन में रखा. मंत्री बने छात्रों ने उन सवालों का जवाब दिया. जवाब मिलने के बाद पूरक प्रश्न भी पूछा गया. सदन में सड़क सुरक्षा से संबंधित विधेयक भी रखा गया. उसपर चर्चा हुई और उसे पारित भी कराया गया.
सभी छात्र-छात्राओं को किया गया पुरस्कृत
सदन की कार्यवाही में छात्रों का प्रदर्शन आंकने के लिए अनुभवी एवं युवा विधायकों का एक निर्णायक मंडल का गठन किया गया था. इसमें विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो, विधायक स्टीफन मरांडी, सीपी सिंह, अमित कुमार मंडल और दीपिका पांडेय सिंह शामिल थे. छद्म विधानसभा की कार्यवाही में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए धनबाद के पीयूष कुमार को प्रथम स्थान, हजारीबाग की मुस्कान कुमारी को दूसरा स्थान और रांची की साक्षी प्रिया को तीसरा स्थान मिला. विजेताओं के साथ-साथ छात्र संसद में हिस्सा लेने वाले सभी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया. सभी छात्र-छात्राओं को विधानसभा की कार्यवाही का प्रशिक्षण विधानसभा कर्मियों और पीआरएस लेजिस्टेटिव रिसर्च के प्रशिक्षकों ने दिया था.
राजनीति इतना भी आसान नहीं- स्पीकर
छात्र-छात्रों को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष रविंद्रनाथ महतो ने कहा कि युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सहभागी बनना चाहिए और इन प्रक्रियाओं के प्रति जागरूक करना चाहिए. यह जरूरी नहीं है कि वह बड़े होकर राजनीति में शामिल हों ही, लेकिन एक सजग नागरिक के रूप में छात्रों को इस व्यवस्था के बारे में जरूर जानना चाहिए. स्पीकर ने कहा कि राजनीति इतना आसान भी नहीं है, जितना दूर से देखकर लगता है. राजनीति में कई चुनौतियां हैं. किसी भी चुनाव में कम से कम 8-10 उम्मीदवार खड़े होते हैं. उनमें से कोई एक ही जीत पाता है. चुनाव में खड़ा नेता इससे पहले अपने दल में प्रतिस्पर्धा पार कर वहां पहुंचता है. हजारों कार्यकर्ताओं में से किसी एक का ही चयन चुनाव लड़ने के लिए होता है. जो बेहतर होता है वही आगे आता है.
नई पीढ़ी को लोकतांत्रिक व्यवस्था को समझने का मौका मिले- आलमगीर आलम
संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि छात्र संसद के आयोजन का मकसद यह है कि हमारी नई पीढ़ी को लोकतांत्रिक व्यवस्था को समझने का मौका मिले. वह यह जानें कि विधानसभा की कार्यवाही कैसे चलती है. कैसे विधेयक और कानून बनते हैं. सदन में किस तरह चर्चा होती है. उन्होंने कहा कि सड़क सेफ्टी विषय पर स्टूडेंट्स ने जिस आत्मविश्वास के साथ अपनी बातों को रखा है, वह काबिले तारीफ है. मंत्री ने कहा कि हम सड़क हादसों के बाद सिस्टम और सरकार को कोसते हैं. लेकिन कभी हम खुद को नहीं देखते. आये दिन लोग ट्रैफिक नियमों को तोड़कर हादसों को निमंत्रण देते हैं. अधिकांश हादसे यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण होते हैं.
छात्र-छात्राओं ने अच्छे-अच्छे सांसदों-विधायकों को कर दिया फेल- सीपी सिंह
भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि छद्म विधानसभा का आयोजन एक अच्छा प्रयास है, शांतिपूर्ण माहौल में सत्ता पक्ष और विपक्ष ने सदन चलाया. असल सदन में वास्तव में ऐसा नहीं होता है. सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे से सवाल पूछते हैं. कई बार ऐसा माहौल बन जाता है कि सत्ता पक्ष के गलत निर्णयों का भी उस पक्ष के लोग समर्थन करते हैं. कई बार विपक्षी दल के विधायक भी सत्ता पक्ष के फैसले की आलोचना करते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सदन में लोग ह्विप से बंधे होते हैं. उन्होंने कहा कि छात्रों ने जिस तरह सदन की कार्यवाही चलाई और सदन में अपनी बात को रखी अच्छे-अच्छे सांसद और विधायक भी इतनी बेहतर तरीके से अपनी बात नहीं रख पाते.
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