NewDelhi : अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार में मंत्री बनने वालों को आतंकी लिस्ट से बाहर करने को लेकर क्या भारत मंजूरी देगा? यह सवाल भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का है. स्वामी का सवाल मोदी सरकार के लिए है. भाजपा सांसद ने इस संबंध में कहा है कि सरकार इस पर नीति स्पष्ट करे, जान लें कि इससे पहले सुब्रमण्यम स्वामी ने अफगानिस्तान संकट पर लोगों को चेताया था. आशंका जताते हुए कहा था कि देश आने वाले समय में तीन मोर्चों पर तालिबान, पाकिस्तान और चीन का सामना करने के लिए तैयार रहे. वह भी अकेले.
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सिराजुद्दीन के सिर पर एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम है.
अफगान सरकार पर नजर डालें तो अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद, उनके दो उपप्रधानमंत्रियों समेत तालिबान की अंतरिम सरकार के कम से कम 14 सदस्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ब्लैक लिस्ट की शोभा बढ़ा रहे हैं. इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है. वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया सिराजुद्दीन हक्कानी को कार्यवाहक गृहमंत्री बनाया गया है. सिराजुद्दीन हक्कानी के चाचा खलील हक्कानी शरणार्थी मामलों के कार्यवाहक मंत्री नामित किये गये है. बता दें कि सिराजुद्दीन के सिर पर एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम है.
कार्यवाहक रक्षामंत्री मल्ला याकूब, कार्यवाहक विदेश मंत्री मुल्ला अमीर खान मुत्ताकी, उपविदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनिकजई भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद 1988 प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध है. इसे तालिबान प्रतिबंध समिति के नाम से भी जाना जाता है.
33 सदस्यीय मंत्रिमंडल में चार ऐसे नेता हैं, जिन्हें गुआंतानामो जेल में रखा गया था
स्वामी कहते हैं कि तालिबान की अंतरिम सरकार के कम से कम 14 सदस्यों के नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ब्लैक लिस्ट में दर्ज है. अफगानिस्तान के 33 सदस्यीय मंत्रिमंडल में चार ऐसे नेता शामिल हैं, जिन्हें गुआंतानामो जेल में रखा गया था. उनमें मुल्ला मोहम्मद फाजिल (उप रक्षामंत्री), खैरूल्लाह खैरख्वा (सूचना एवं संस्कृति मंत्री), मुल्ला नूरुल्लाह नूरी (सीमा एवं जनजातीय विषयक मंत्री) और मुल्ला अब्दुल हक वासिक (खुफिया निदेशक) शामिल हैं. इस समूह के पांचवें सदस्य मोहम्मद नबी उमरी को हाल में पूर्वी खोस्त प्रांत का गवर्नर नियुक्त किया गया है,
तालिबान के पांच शीर्ष नेताओं को 2014 में ओबामा प्रशासन ने रिहा किया था
तालिबान के पांच शीर्ष नेताओं को 2014 में ओबामा प्रशासन ने रिहा किया था. फाजिल और नूरी पर 1998 में शिया हजारा, ताजिक और उज्बेक समुदायों के नरसंहार का आदेश देने का आरोप है.जान लें कि मंगलवार को घोषित सारे मंत्री पहले से ही स्थापित तालिबान नेता हैं. उन्होंने 2001 से अमेरिकी नीत गठबंधन सेना के विरूद्ध लड़ाई लड़ी.
पूर्व भारतीय राजनयिकों ने अफगानिस्तान में नयी अंतरिम सरकार पर अपनी राय रखते हुए इसे नयी बोतल में पुरानी शराब करार दिया है. इन्होंने बुधवार को कहा कि काबुल में गठित कैबिनेट ने तालिबान 2.0 को लेकर सभी मिथक दूर कर दिये हैं. उनका कहना है कि अफगानिस्तान की नयी सरकार पर पाकिस्तान की पुख्ता छाप है जो भारत के लिए चिंता का सबब है. पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह, पूर्व राजनयिक मीरा शंकर, अनिल वाधवा और विष्णु प्रकाश का कहना है कि चरमपंथी तत्वों वाली नयी सरकार पर भारत को वेट एंड वॉच की नीति पर रहना चाहिए.