हर साल एक से सवा लाख लोग संघ के साथ विविध गतिविधियों में जुड़ रहे हैं.
Ranchi : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि देश के युवा राष्ट्रहित की भावना से बड़ी संख्या में संघ से जुड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि नये लोगों को जोड़ने के लिए वर्ष 2012 में ज्वाइन आरएसएस (वेबसाइट) के तहत एक ऑनलाइन माध्यम शुरू किया गया था. इससे हर साल एक से सवा लाख लोग संघ के साथ विविध गतिविधियों में जुड़ रहे हैं. इस वर्ष भी जून के अंत तक 66529 लोगों ने संपर्क कर संघ से जुड़ने की इच्छा व्यक्त की है. सरला बिरला विवि में चल रही अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के अंतिम दिन रविवार को प्रेस ब्रीफिंग में सुनील आंबेकर ने बताया कि इसमें देशभर के 227 कार्यकर्ता हिस्सा ले रहे हैं.
समन्वय बैठक 31 अगस्त से दो सितंबर तक केरल के पलक्कड़ में
तीन दिनी बैठक के दौरान संगठन दृष्टि से महत्वपूर्ण विविध विषयों पर मंथन हुआ. भावी योजनाओ की रूप रेखा तय की गयी. उन्होंने बताया कि अब आपसी विचार-विमर्श के लिए विविध संगठनों की तीन दिनी समन्वय बैठक 31 अगस्त से दो सितंबर तक केरल के पलक्कड़ में बुलायी गयी है. कार्यक्रम में झारखंड प्रांत संघचालक सच्चिदानंद लाल, सह प्रचार प्रमुख चंडीगढ़ के प्रदीप जोशी, दिल्ली के नरेंद्र कुमार और पटना के राजेश पांडेय मौके पर मौजूद थे.
72 प्रशिक्षण वर्गों के 20615 युवाओं ने लिया हिस्सा
सुनील आंबेकर ने बताया कि इस वर्ष से संघ प्रशिक्षण वर्गों की रचना और पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया गया है. देशभर में 40 वर्ष से कम आयु के स्वयंसेवकों के लिए इस वर्ष कुल 72 वर्ग (संघ शिक्षा वर्ग – 60, कार्यकर्ता विकास वर्ग प्रथम – 11, कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय – 01) आयोजित हुए. इनमें कुल 20615 लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया. 40 से 65 वर्ष की आयु के लोगों के लिए आयोजित 18 वर्गों में 3335 शिक्षार्थियों ने भाग लिया. पिछले वर्ष आयोजित प्राथमिक शिक्षा वर्गों में एक लाख नये लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया. ऐसे ही नयी रचना में सामान्य स्वयंसेवकों के लिए पहली बार तीन दिनी प्रारंभिक वर्गों का आयोजन देशभर में हो रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में युवा सहभागी हो रहे हैं.
देश के कोने-कोने में संघ की पहुंच बनाने का है लक्ष्य
सुनील आंबेकर ने बताया कि विजयादशमी 2025 को संघ के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं. देश में संघ कार्य विस्तार को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सभी मंडल और शहरी क्षेत्रों में सभी बस्तियों में दैनिक शाखा का लक्ष्य तय किया गया है. उन्होंने बताया कि मार्च 2024 तक देश में 58981 मंडलों में से 36823 मंडल में प्रत्यक्ष दैनिक शाखा है, ऐसे ही शहरी क्षेत्रों में 23649 बस्तियों में से 14645 बस्तियों में संघ कार्य कर रहा है. शेष में साप्ताहिक अथवा मासिक संपर्क है. उन्होंने बताया कि अभी देश में 73117 दैनिक शाखाएं, और 27717 साप्ताहिक मिलन चलते हैं. इसके अलावा जहां संपर्क नहीं है. संघ ऐसे 158532 गांवों में जागरण पत्रिकाओं के माध्यम से सकारात्मक संदेश, आध्यात्मिक विचार, संतों का संदेश लोगों तक पहुंचा रहा है. श्रीराम जन्मभूमि अक्षत वितरण अभियान के दौरान 15 दिनों मे देश के पौने छह लाख गांवों तक स्वयंसेवक पहुंचे थे.
जन-जन को दिया जायेगा अहिल्यादेवी जीवन संदेश
सुनील आंबेकर ने बताया कि यह वर्ष पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर की त्रि-शताब्दी का वर्ष है. अहिल्यादेवी ने अपने जीवन में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एक आदर्श स्थापित किया. उनके जीवन संदेश, जीवन आदर्श को जन-जन तक पहुंचाने के लिए स्वयंसेवक समाज के साथ मिलकर वर्ष भर कार्य करेंगे. इसका शुभारंभ 31 मई को इंदौर से हो चुका है.
गांव के विकास में सहभागी बनें युवा
सुनील आंबेकर ने कहा कि गांव के विकास के लिए युवाओ को आगे आना चाहिए. माह में एक दिन 24 घंटे ग्रामीण क्षेत्र में रहें और योगदान दें. उन्होंने बताया कि इसके मद्देनजर गौ सेवा और ग्राम विकास को मिलाकर विशेष अभियान चलाया जायेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयास बढ़ाये जा रहे हैं, ताकि गांव की स्थिति और भी बेहतर हो. कहा कि जनसंख्या असंतुलन को लेकर समाज को भी चिंता करनी चाहिए,
गलत था आपातकाल लगाना
सुनील आंबेकर ने कहा कि आपातकाल लगाना गलत था, लोकतंत्र में ऐसी बातें नहीं होनी चाहिए. एमेरजेंसी के विरोध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने संघर्ष भी किया था, संघ के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी थी. कईयों को जेल में भी बंद कर दिया गया था. मतांतरण पर उन्होंने कहा कि धोखे से, जबरन, लालच से मतातंरण नहीं होना चाहिए, यह पूर्णतया गलत है. इसे रोकने के लिए कानून भी हैं. सभी को कानून का पालन करना चाहिए.
सीधे चुनाव कार्य में नहीं जाता संघ
सुनील आंबेकर ने कहा कि संघ चुनाव कार्यों में सीधे तौर पर नहीं लगता है. संघ लोकगत परिष्कार, जन जागरण का कार्य करता है. इस बार भी स्वयंसेवकों ने छोटी-छोटी गोष्ठियों के माध्यम से लोकमत परिष्कार का कार्य किया था. लोकतंत्र में लोक सबसे ऊपर है. सभी दल अपनी-अपनी बात लेकर जाते हैं और जनता ने उस पर अपना निर्णय दिया है. इसका सभी को सम्मान करना चाहिए.