NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा एक केस में सुनाये गये फैसले की भाषा पर दंग रह गया. खबर है कि नाराजगी जताते हुए दो न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ ने अपीलकर्ता के वकील निधेश गुप्ता से पूछा कि हाईकोर्ट क्या कहना चाहता है. जस्टिस ने कहा कि हम इसे क्या समझें? क्या यह लैटिन है. जस्टिस जोसेफ ने गुप्ता के जवाब पर हैरानी जताई, जब उन्होंने कहा कि वह भी इसे समझ नहीं पा रहे हैं.
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फैसला हाईकोर्ट को वापस करना पड़ सकता है
सुनवाई करते हुए बेंच में शामिल जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने कहा कि उसे फिर से लिखने के लिए फैसला हाईकोर्ट को वापस करना पड़ सकता है. जानकारी के अनुसार सीनियर वकील ने बेंच को बताया कि यह संपत्ति पर विवाद था और वह ट्रायल कोर्ट के फैसले से यह बता सकते हैं, जो बहुत साफ था. इस पर अदालत ने दूसरे पक्ष के वकील के साथ बैठने और यह देखने के लिए कहा कि क्या यह मामला दो सप्ताह में बातचीत से सुलझाया जा सकता है?
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फैसले की लिखावट पर यह पहला मामला नहीं
जान लें कि यह पहली बार नहीं है जब SC ने हाईकोर्ट के इस तरह फैसलों पर हैरानी जताई हो. मार्च 2021 में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के एक फैसले पर तेवर तल्ख करते हुए कहा था कि हम अपनी बुद्धि के अंत में हैं. ऐसा बार-बार किया जा रहा है.
मुझे टाइगर बाम का इस्तेमाल करना चाहिए
हाईकोर्ट के 27 नवंबर, 2020 के एक फैसले के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक ने याचिका दायर की थी. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने हिंदी में पूछा था, यह क्या फैसला लिखा गया है? मैं कुछ समझ नहीं पाया. इसमें लंबे-लंबे वाक्य हैं. फिर, कहीं एक अजीब अल्पविराम दिखाई दे रहा है. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. मुझे अपनी ही समझ पर शक होने लगा है. कहा कि शायद मुझे टाइगर बाम का इस्तेमाल करना चाहिए.