NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने रेवड़ी(मुफ्त) कल्चर को लेकर केंद्र की मोदी सरकार, चुनाव आयोग, सीनियर एडवोकेट और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल सहित कई याचिकाकर्ताओं से सुझाव मांगा है. SC ने कहा है कि वे इस मामले में एक विशेषज्ञ समूह के गठन पर अपना सुझाव दें. खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव अगले 7 दिनों के भीतर देने को कहा है. बता दे कि विशेषज्ञ समूह इस बात की भी जांच करेगा कि चुनाव से पहले बांटे जाने वाले मुफ्त के गिफ्ट (रेवड़ियों) को कैसे नियंत्रित किया जाये.
SC suggests formation of apex body to control freebies by political parties during election campaign
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— ANI Digital (@ani_digital) August 3, 2022
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली चीजों(वादा करना) को कैसे नियंत्रित किया जाये. SC ने कहा कि इस पर सुझाव देने के लिए नीति आयोग, वित्त आयोग, सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों, आरबीआई और अन्य हितधारकों से मिलकर एक शीर्ष निकाय की आवश्यकता है.
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मुफ्त का उपहार देने वाली पार्टियों का रजिस्ट्रेशन खत्म करने की मांग
जान लें की जनहित याचिका में चुनाव के दौरान मुफ्त का उपहार देने वाली पार्टियों का रजिस्ट्रेशन खत्म करने की मांग भी की गयी है पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए मुफ्त चुनावी घोषणाएं करने वाले सियासी दलों के मुद्दे को गंभीर रूप से चिन्हित किया था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले की जांच करने को कहा था कि ताकि मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए मुफ्त के वादों को नियंत्रण में लाया जा सके. सुप्रीम कोर्ट आज बुधवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें चुनाव के दौरान मुफ्त उपहार देने का वादा करने वाली पार्टियों का पंजीकरण रद्द करने की मांग की गयी है. .
पूर्व में CJI एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से वित्त आयोग से यह पता लगाने को कहा था कि क्या राज्य सरकारों और राजनीतिक दलों को मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए तर्कहीन मुफ्त उपहार देने से रोकने की संभावना है. इसके पहले न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे नटराज से कहा, आप एक स्टैंड लेंगे कि मुफ्त उपहार जारी रहना चाहिए या नहीं!
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