Jamshedpur : आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन) के संस्थापक सह पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि झारखंड की वर्तमान दुर्दशा देखकर अंतरात्मा काफी आहत है. जिन उम्मीदों के साथ अलग राज्य की लड़ाई लड़ी गई, वे उम्मीदें पूरी तरह धराशायी हो गई. दो वर्षों के हेमंत सोरेन के कार्यकाल में तो झारखंड की भद्द पिट गई. बेसरा गुरुवार को निर्मल गेस्ट हाउस में मीडियाकर्मियों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अमीर राज्य को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गरीब बना दिया. यहां के धनी लोगों पर गरीबी का लेबल लगा दिया. बच्चों की पढ़ाई में स्कूल फीस में छूट नहीं दी. गार्जियन परेशान हैं, लेकिन वोट बैंक की राजनीति के तहत धनी लोगों को गरीब बनाकर तेल में छूट दे रही है. जबकि यहां की वर्षों पुरानी कई समस्याएं ज्यों की त्यों पड़ी है. मसलन स्थानीय नीति, नियोजन नीति, भाषा नीति, आंदोलनकारियों की समस्याएं सरीखे कई मामले ठंडे बस्ते में हैं. सूर्य सिंह बेसरा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चुनौती दी कि उनमें राजनीतिक काबिलियत और इच्छाशक्ति नहीं है. हिम्मत है तो उन्हें एक दिन का सीएम बनाकर दिखाएं. 20 वर्षों की समस्या को 20 नियम-कानून बनाकर खत्म कर देंगे, जिससे यहां की जनता को इस जंगल राज्य से निजात मिल सके.
हेमंत सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान
पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि अब बहुत हो चुका यहां की जनता को मूर्ख बनाकर शासन करना. अब जनता जाग गई है. अब हेमंत सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान हो चुका है. उन्होंने मुख्यमंत्री समेत तमाम मंत्रियों से इस्तीफा देने की मांग की. कहा कि जिस वादे और घोषणाओं के नाम पर सत्ता हासिल की. वे सभी आज अधूरी हैं. झारखंड अलग राज्य की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले शहीदों को सम्मान नहीं मिला. आश्रितों की हालत किसी से छुपी नहीं है. आज तक झारखंड की स्थानीय नीति नहीं बन पायी. नियोजन नीति स्पष्ट नहीं होने से झारखंडी अपने ही घर में मजदूर बनकर रह गए हैं. 1932 का खतियान लागू करने की घोषणा हवा-हवाई साबित हुई. इसलिए झारखंड की स्थानीय जनता ने हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ आर-पास की लड़ाई का ऐलान किया है. जिसकी आज शुरूआत हो चुकी हैं. रांची अलबर्ट एक्का चौक पर मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग पर उनका पुतला दहन किया जा रहा है. कोयलांचल में जनता सड़कों पर उतरकर आंदोलन को विवश है.
4 फरवरी को झारखंड बंद का निर्णय
पूर्व विधायक ने कहा कि हेमंत सरकार के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत आज से ही हो गई है. लेकिन सरकार पर दबाव बनाने के लिए पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो ने 4 फरवरी को झारखंड बंद की घोषणा की है. उनकी घोषणा का समान विचारधारा वाले दलों का समर्थन मिलेगा. इसको लेकर एक-दो दिनों में बैठक होगी. इसके बाद इसकी घोषणा की जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर चार फरवरी को झारखंड बंद होता है, तो पूरी ताकत के साथ बंदी को सफल बनाया जाएगा. इससे हेमंत सरकार गद्दी छोड़ने को विवश हो जाए.
मुद्दा नहीं मुद्रा की राजनीति कर रहा झामुमो
सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने शुरू से ही मुद्दा विहिन राजनीति की है. उसकी पहचान मुद्रा (नोट) की राजनीति की रही है. यह जगजाहिर है. झारखंड आंदोलन को इस पार्टी ने पैसे के लालच में बेच दिया. झारखंड अलग राज्य की लड़ाई के दौरान उन्हें भी पैसे के ऑफर दिए गए, लेकिन उन्होंने पैसा और पद दोनों ठुकरा दिया. झारखंड अलग राज्य के लिए विधायक का पद त्याग दिया. लेकिन आज के नेताओं को कुर्सी प्यारी हो गई है. नन मैट्रिक को शिक्षा मंत्री बना दिया, जिसके नीचे वीसी, प्रोफेसर, डॉक्टर, इंजीनियर वगैरह आते हैं. ऐसे में शिक्षा का विकास किस कदर होगा. यह कल्पना की जा सकती है.