New Delhi : जलवायु अनुकूलन संबंधी कई अग्रणी पहल करने के लिए जाने जाना वाला तमिलनाडु देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने देश को जी-20 की अध्यक्षता मिलने के तुरंत बाद 9 दिसंबर को तमिलनाडु जलवायु परिवर्तन मिशन शुरू किया.. इस मिशन के साथ राज्य ने इस साल सितंबर में ग्रीन तमिलनाडु मिशन और अगस्त में तमिलनाडु वेटलैंड्स मिशन भी प्रारंभ किया है. इस नवीनतम जलवायु परिवर्तन मिशन के तहत, समर्पित रूप से कार्य करने वाली एक विशेष प्रायोजक कंपनी – तमिलनाडु ग्रीन क्लाइमेट कंपनी (टीएनजीसीसी) राज्य जलवायु कार्य योजना का प्रभावी कार्यान्वयन करेगी.
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तमिलनाडु क्लाइमेट चेंज मूवमेंट का योगदान महत्वपूर्ण होगा
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, जलवायु परिवर्तन आज मानवता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है. एक तटीय राज्य होने के कारण जलवायु परिवर्तन के संभावित दुष्प्रभावों का सामना करने के लिए तमिलनाडु क्लाइमेट चेंज मूवमेंट का योगदान महत्वपूर्ण होगा. हमारी सरकार जलवायु परिवर्तन को एक प्रमुख मानवीय संकट के रूप में देखती है. सत्ता में आने के बाद से हमने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई उपाय किए हैं. उच्च कार्बन उत्सर्जन के कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पैदा हुई है. कई वैज्ञानिकों ने कहा है कि दुनिया को 2050 तक कार्बन न्यूट्रल का लक्ष्य हासिल कर लेना चाहिए. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि तमिलनाडु उससे पहले यह लक्ष्य हासिल कर लेगा. स्टालिन ने हाल ही में जी-20 तैयारी बैठक में भाग लेते हुए भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया था.
क्या है जलवायु परिवर्तन मिशन का प्रमुख लक्ष्य
तमिलनाडु में ग्रीनहाउस गैस का समग्र उत्सर्जन कम करना, सार्वजनिक परिवहन उपयोग में वृद्धि, हरित ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से उत्सर्जन कम करने की कार्यनीति तैयार करना, तमिलनाडु में वन आच्छादन बढ़ाना, कचरे का प्रभावी ढंग से निपटारा करना, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के तरीकों का विकास, अनुकूलन के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना, शैक्षिक संस्थानों में जलवायु शिक्षा की शुरुआत, जलवायु कार्ययोजना में महिलाओं और बच्चों पर प्राथमिक रूप से ध्यान केंद्रित करना और जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को समझने के लिए स्वास्थ्य संबंधी एक समग्र दृष्टिकोण, जिसमें मानव, पशु और पारिस्थितिक स्वास्थ्य शामिल हैं.
सरकार ने किया गवर्निंग काउंसिल का गठन
भारत में यह पहली बार है कि जलवायु परिषद की अध्यक्षता मुख्यमंत्री करेंगे. परिषद तमिलनाडु जलवायु परिवर्तन मिशन के लिए नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करेगी, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव कम करने संबंधी सलाह देगी, तमिलनाडु राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना तैयार करेगी और इसके कार्यान्वयन के लिए उचित दिशा-निर्देश प्रदान करेगी. डॉ सुप्रिया साहू (आईएएस – अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग, तमिलनाडु) ने कहा, एक तटीय राज्य होने से तमिलनाडु लगातार सख्त मौसम की घटनाओं के कारण जलवायु परिवर्तन के प्रकोप का सामना कर रहा है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व में राज्य ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के तीन पहलुओं – न्यूनीकरण, अनुकूलन और इसका सामना करने में सक्षम बनने संबंधी कई अभिनव और अनूठे कार्यक्रम और अभियान शुरू किए हैं.
विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ पैनल में शामिल
विभिन्न प्रमुख सरकारी विभागों के अनुभवी वरिष्ठ सचिवों के अलावा, जलवायु परिवर्तन से संबंधित विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ पैनल में शामिल हैं. अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया, इंफोसिस के संस्थापक और अध्यक्ष नंदन एम नीलकेनी, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अवर महासचिव और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के छठे कार्यकारी निदेशक एरिक एस सोलहेम, नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट के संस्थापक और निदेशक रमेश रामचंद्रन, पूवुलागिन नानबर्गल के समन्वयक जी. सुंदरराजन, रामको सोशल सर्विसेज के प्रमुख निर्मला राजा इस कार्यकारी परिषद के विशिष्ट सदस्य हैं.
भारत जलवायु परिवर्तन के गंभीर दुष्प्रभावों का सामना कर रहा
गवर्निंग काउंसिल के सदस्य जी सुंदरराजन ने कहा, “ऐसे समय में जब भारत जलवायु परिवर्तन के गंभीर दुष्प्रभावों का सामना कर रहा है, यह मिशन स्थापित करने की तमिलनाडु सरकार की पहल स्वागत योग्य है. ऐसा करते हुए तमिलनाडु सरकार भारत के अन्य राज्यों के लिए मिसाल भी कायम कर रही है. मुझे आशा है कि यह मिशन जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को अनुकूल बनाने और कम करने में मदद करेगा.
ग्रीन फाइनेंस में अग्रणी बन सकता है
एरिक. एस. सोलहेम, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अवर महासचिव और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के छठे कार्यकारी निदेशक ने कहा- अपने प्राकृतिक संसाधनों, उर्जावान लोगों और प्रगतिशील नेतृत्व के साथ तमिलनाडु भारत और विश्व के पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन का नेतृत्व करने के लिए बेहतरीन स्थिति में है. राज्य की महत्वाकांक्षा सौर, पवन और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का बड़ा केंद्र बनने की है. यह अपने हरित आच्छादन को 23 से बढ़ाकर 33 करेगा. तमिलनाडु पर्यावरण अनुकूल कृषि, बिजली से चलने वाले वाहनों और ग्रीन फाइनेंस में अग्रणी बन सकता है. भारत के सबसे समृद्ध और सफल राज्यों में से एक के रूप में यह बेहतर पर्यावरण संरक्षण के जरिए पूरे देश को जलवायु संकट से सफलतापूर्वक निपटने में मदद कर सकता है तथा रोजगार और समृद्धि पैदा कर सकता है. मैं मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता वाली तमिलनाडु क्लाइमेट गवर्निंग काउंसिल में शामिल होकर और राज्य के हरित नेतृत्व की राह का सहयात्री बनकर उत्साहित हूं.
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