Ranchi: तांतनगर जलापूर्ति योजना पेयजल विभाग के लिए ही नहीं, पूरे सरकारी सिस्टम में चर्चा का विषय बनी हुई है. इस योजना को लेकर 30 करोड़ की फर्जी निकासी और निर्माण कार्य में अनियमितता की शिकायत मिली थी. इसके बाद विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने तांतनगर जलापूर्ति योजना का खुद स्थल निरीक्षण किया. निरीक्षण के बाद मंत्री ने बताया कि कुछ खामियां मिली हैं. प्रोग्रेस रिपोर्ट 25% गलत है. एक जून को मंत्री के निरीक्षण के बाद 13 जून को विभागीय जांच टीम बनायी गयी. इसमें सेंट्रल डिजाइन आर्गेनाइजेशन के मुख्य अभियंता रघुनंदन शर्मा, संयुक्त सचिव पशुपति नाथ मिश्रा, मुख्य अभियंता, रांची प्रक्षेत्र प्रदीप कुमार चौधरी, पीएमयू निदेशक सुधाकांत झा और अधीक्षण अभियंता प्रभात कुमार सिंह शामिल थे.
प्रथम दृष्टया लेनदेन में मिली थी करीब 17 करोड़ रुपये की गड़बड़ी
जांच टीम में शामिल पांचों इंजीनियरों को सात दिनों के अंदर सौपने को कहा गया. टीम ने जांच शुरू की. प्रथम दृष्टया टीम को लेनदेन में करीब 17 करोड़ रुपये की गड़बड़ी मिली. इतना ही नहीं, कुछ वैसे सामान का भी पता जांच में चला, जिनकी आपूर्ति नहीं हुई, मगर कंपनी को उसका भुगतान कर दिया गया. टीम के सदस्यों ने जांच में मिले साक्ष्य और अनियमितता की जानकारी आला अफसरों को दी. आज विभागीय बैठक में टीम के सदस्यों ने बताया कि जांच में बहुत कुछ नहीं मिला है. थोड़ी बहुत कमियां हैं, जिन्हें कंपनी दूर कर लेगी. तांतनगर जलापूर्ति योजना में कोई बहुत बड़ा घोटाला नहीं हुआ है. 94 करोड़ की तांतनगर जलापूर्ति योजना का काम चेन्नई की कंपनी श्रीराम ईपीसी नामक कंपनी कर रही है.
बैठक में कहा गया, बहुत ज्यादा गड़बड़ी नहीं है
श्रीराम ईपीसी द्वारा 30 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी करने की शिकायत मिली थी. पांच सदसीय टीम ने जांच शुरू की, तो तीन करोड़ गड़बड़ी की बात समाने आई. जांच टीम अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली है. जांच टीम के सदस्यों ने बैठक में जैसा बताया, उसके अनुसार रिपोर्ट कंपनी के पक्ष में आना तय है. टीम के अनुसार जिस निकासी और लेन-देन को अनियमिता बताया जा रहा है, वह बड़ी अनियमिता नहीं है. करोड़ों का भुगतान कंपनी ने जिन चीजों की आपूर्ति के एवज में लिया है, उनकी आपूर्ति विलंब से हुई है. बहुत ज्यादा गड़बड़ी नहीं है.
पहले भी चार योजनाओं में संतोषजनक नहीं रहा है कंपनी का काम
श्रीराम ईपीसी कंपनी ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग धनबाद प्रमंडल-2 के अंतर्गत बलियापुर मेगा ग्रामीण जलापूर्ति योजना, टुंडी और कोल्हर जलापूर्ति समेत चार जलापूर्ति योजनाओं का काम किया था. इसका काम संतोषजनक नहीं मिला था. इस मामले में रांची मुख्यालय ने धनबाद पेयजल कार्यालय से जवाब तलब किया था. यह मामला भी अचानक ठंडे बस्ते में चला गया है.