Medninagar (Palamu) : झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ला ने कहा है कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग झारखंड द्वारा जारी अधिसूचना सरकारी विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने एवं शिक्षकों का शोषण करने के उद्देश्य से बनाया गया प्रतीत होता है. संघ स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की अधिसूचना का पुरजोर विरोध करता है. शिक्षकों से आह्वान करता है कि वे एकजुट होकर शिक्षा एवं शिक्षक विरोधी इस अधिसूचना को रद्द कराने तक के लिए संघर्ष को तैयार रहें. उन्होंने कहा कि इस तरह के काले कानून थोपना शिक्षकों को बर्दाश्त नहीं है. इसके लिए वे सरकार को घुटने टेकने के लिए बाध्य कर देंगे. इस संबंध में झारखंड के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव तथा शिक्षा मंत्री से अगले हफ्ते बात की जायेगी. उसके बाद आंदोलन की रूपरेखा तय की जायेगी. एक तरफ जहां कोरोना महामारी के पश्चात मुख्य सचिव के आदेशानुसार वर्ग पांच तक के विद्यालय बंद हैं एवं ऊपर के वर्ग अपराह्न 12 बजे तक ही संचालित हो रहे हैं साथ ही उस पत्र में बच्चों के पठन-पाठन के पश्चात शिक्षक को नहीं बनाये रखे जाने की बात कही गयी है. वैसी परिस्थिति में बच्चों को विद्यालय से जोड़ना एवं उपस्थिति बनाये रखना कठिन कार्य है.
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शिक्षण अवधि बढ़ाया जाना अतार्किक है एवं गैर जिम्मेदाराना कदम
जहां आरटीई के तहत वर्ग एक से पांच में 800 घंटे या 200 शिक्षण दिवस तथा वर्ग छह से आठ में 1000 घंटे या 220 शिक्षण दिवस होना चाहिए, जबकि झारखंड में पूर्व से ही प्रत्येक वर्ष लगभग 250 कार्य दिवस रहा है, जो कि निर्धारित शिक्षण घंटे के बराबर है. ऐसी परिस्थिति में शिक्षण अवधि बढ़ाया जाना अतार्किक है एवं गैर जिम्मेदाराना कदम है. छात्रों के लिए हितकारी न होकर के अभिशाप साबित होगा. दूसरी तरफ शिक्षकों के लिए लगभग एक घंटा 15 मिनट का अतिरिक्त कार्य समय बढ़ाकर सरकार शिक्षकों को परेशान करना चाहती है, जबकि सरकार शिक्षकों की लंबित समस्याओं यथा -उत्क्रमित वेतनमान , प्रोन्नति, एमएसीपी, जिला कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार, गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति, मध्यान भोजन को शिक्षकों से अलग कर एनजीओ को देने आदि का समाधान नहीं कर रही है.
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