Kiriburu (Shailesh Singh) : राजकीय अनुसूचित जनजातीय आवासीय बालक मध्य विद्यालय, छोटानागरा के गरीब आदिवासी बच्चों की शिक्षा व्यवस्था में आखिर गुणात्मक सुधार कैसे संभव होगा! यह स्कूल एक अकेले प्रभारी प्रधानाध्यापक मंगला कुर्ली के नेतृत्व में भगवान भरोसे चल रहा है. इनके अलावे स्कूल में चार घंटी आधारित शिक्षक-शिक्षिकायें हैं, लेकिन वे नियमित स्कूल नहीं आते हैं. इससे बच्चों की शिक्षा पूरी तरह से प्रभावित हो रही है. इस विद्यालय का निरीक्षण विधायक सोनाराम सिंकू ने 21 जून को किया था, लेकिन प्रायः शिक्षक-शिक्षिकायें अनुपस्थित पाये गये थे. यहां के मुखिया, मानकी व मुंडा का कहना है कि शिक्षकों को यहीं रहने व पढ़ाने की व्यवस्था की जाए. इससे पढ़ाई नियमित होगी.
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उल्लेखनीय है कि इस विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 78 है. पहले 85 बच्चे थे. नामांकन अभी चल रहा है. संभावना है कि नामांकित बच्चों की संख्या 88 हो जाये. इतने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रभारी प्रधानाध्यापक मंगला कुर्ली, अंशकालीन घंटी आधारित शिक्षक-शिक्षिकाओं में रघुनाथ महतो (चक्रधरपुर), आकाश बोदरा (गोईलकेरा), गीता कुमारी (मनोहरपुर), वंदनी महतो (मनोहरपुर/सोनुवा) नियुक्त हैं. लेकिन मंगला कुर्ली को छोड़ प्रायः सभी गायब ही रहते हैं. इस स्कूल में वर्ग 6 तक की पढ़ाई होती है. गर्मी छुट्टी में 17 मई से 3 जून तक स्कूल बंद था. 4 जून से स्कूल में पढ़ाई सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक होती है. घंटी आधारित शिक्षक-शिक्षिकाओं को सोमवार से शुक्रवार तक प्रत्येक दिन चार घंटे पढ़ाने का निर्देश है. किसी दिन अगर शिक्षक-शिक्षिकायें नहीं आये तो वह शनिवार को भी आकर पढ़ाकर क्षतिपूर्ति कर सकते हैं. लेकिन ये शिक्षक सप्ताह में दो-तीन दिन ही आते हैं, लेकिन उसका भी आने व जाने का कोई समय नहीं रहता है. भगवान भरोसे यहां शिक्षा व्यवस्था चल रही है. इस स्कूल में बच्चों को भोजन वर्तमान समय में ठीक से मिलने की बात ग्रामीणों व बच्चों ने बतायी. इस विद्यालय में छोटानागरा, राजाबेड़ा, जोजोगुटू, जामकुंडिया, बाईहातु, बहदा, तितलीघाट, दुबिल, मारंगपोंगा, बालिबा, उसरुईया, बिटकिलसोय, कोलायबुरु, घाघरा, गिंडुंग, गोईलकेरा, होलोंगउली, लिपुंगा आदि गांव के बच्चे पढ़ते हैं.
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छोटानागरा पंचायत की मुखिया मुन्नी देवगम, मानकी लागुड़ा देवगम, जोजोगुटु मुंडा कानुराम देवगम, जामकुंडिया मुंडा कुशु देवगम आदि ने लगातार न्यूज के साथ स्कूल का दौरा कर बताया कि यह सही है कि इस स्कूल में शिक्षक-शिक्षिकायें नियमित पढ़ाने नहीं आते हैं. वे घर बैठे पैसा ले रहे हैं. यहां हमारे गांव के ही अत्यंत गरीब आदिवासी बच्चे पढ़ते हैं. शिक्षा विभाग इस आवासीय विद्यालय में वैसे शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति करे जो यहीं पर रहें और बच्चों को पढ़ायें. चक्रधरपुर, गोईलकेरा, सोनुवा व मनोहरपुर से आकर यहां कोई पढ़ा नहीं सकता है. अगर कोई शिक्षक बोले कि हर दिन हम चक्रधरपुर व उक्त शहरों से नियमित पढ़ाने जाते हैं तो वह सभी को गुमराह करता है. इस व्यवस्था में सुधार होना चाहिए.
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