New Delhi / Jamshedpur : द एनर्जी ऐंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) और टाटा स्टील फाउंडेशन ने ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट के चौथे चरण की गतिविधियों के तहत ’वन, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन’ विषय पर विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए मंगलवार को ऑनलाइन सत्र का आयोजन किया. ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट के विभिन्न सहभागी स्कूलों के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने इस विशेषज्ञ सत्र में हिस्सा लिया, जिसका उद्देश्य जलवायु में वनों की महती भूमिका और जैव विविधता संरक्षण की तत्काल आवश्यकता पर स्टेकहोल्डरों के बीच जागरूकता पैदा करना था.
जोड़ा-नोआमुंडी के भी बच्चों ने लिया हिस्सा
वेस्ट बोकारो, जामाडोबा, जोडा, नोआमुंडी, कलिंगानगर, सुकिंदा और आंगुल के 34 स्कूलों के 130 से अधिक बच्चे इस ऑनलाइन सत्र में शामिल हुए. साथ ही, टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा संचालित ‘मस्ती की पाठशाला’ के विभिन्न केंद्रों से 100 विद्यार्थियों ने भी हिस्सा लिया. पद्मश्री जमुना टुडू और पंकज सतीजा, चीफ रेगुलेटरी अफेयर्स, टाटा स्टील ने सत्र में तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में प्रतिभागियों के साथ रू-ब-रू हुए. नेहा, फेलो, इन्वायर्नमेंट एजुकेशन ऐंड अवेयरनेस डिवीजन, टेरी ने सत्र का संचालन किया.
चुनौतियों ने मुझे कभी लक्ष्य तक पहुंचने से नहीं रोका: जमुना टुडू
वनों और जैव विविधता के महत्व को रेखांकित करते हुए जमुना टुडू ने कहा कि पेड़ों और पौधों के संरक्षण के अपने प्रयासों में मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन उनमें से किसी ने भी मुझे अपने लक्ष्य से नहीं रोका. अगर आपने अपना मन बना लिया है और किसी चीज के लिए आपमें जुनून है, तो उसकी ओर बढ़ते रहें, इस तरह आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं. लकड़ी माफिया के खिलाफ लड़ाई के लिए टुडू को ‘झारखंड की लेडी टार्जन’ के रूप में जाना जाता है. वह 25-30 लोगों के लगभग 300 समूहों का नेतृत्व करती हैं, जो जंगलों में गश्त लगाते हैं और झारखंड के जंगलों में पेड़ों की अवैध कटाई की घटनाओं पर सतर्क करते हैं. ये समूह नये पौधे लगाते हैं और क्षेत्र के जंगलों व जैव विविधता को पुनर्जीवित करने और बनाए रखने के लिए ग्रामीणों (विशेष रूप से महिलाओं) को अपने अभियान में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
स्थिति बिगाड़ने में जिसका योगदान सबसे कम, वे सबसे अधिक प्रभावित: पंकज सतीजा
इस अवसर पर अपने संबोधन में पंकज सतीजा ने कहा, “ऊर्जा का अकुशल उपयोग, बेलगाम संसाधन खपत और प्रतिकूल भूमि उपयोग की ओर जा रही मानवजनित गतिविधियां जैव विविधता के नुकसान और जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा दे रही हैं. जलवायु आवरण के स्थान बदलने से कुछ प्रजातियों के प्रवास के लिए बहुत कम जगह बच रही है, जिससे कई मामलों में आजीविका प्रभावित हो रही है. दुर्भाग्यवश सबसे अधिक प्रभावित वे हैं, जो कमजोर हैं और शायद स्थिति को बदतर बनाने में उनका योगदान सबसे न्यूनतम है. हर सकारात्मक कदम जैव विविधता के नुकसान को कम करने, ग्लोबल वार्मिंग को नीचे लाने और सिर पर मंडरा रही बिगड़ती असमानता को रोकने में मदद करेगा.” सत्र में विशेषज्ञों ने ’जलवायु परिवर्तन के प्रभावों’, ‘सर्वाेत्तम अभ्यासों को अपनाने’ और ‘जलवायु कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए वनों एवं जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए एक व्यक्ति क्या कर सकता है’ जैसे विषयों समेत महत्व के अन्य प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श किया. सत्र का उद्देश्य विद्यार्थियों को स्थिरता और पर्यावरण चेतना के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित कार्यवाही करने के लिए प्रेरित करना था.
ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट 2017 में किया गया था शुरू
सत्र में नेहा ने कहा, “ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट का चौथा चरण इन गुणों को उनमें आत्मसात करा कर पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्स्थापित करने और कल के चेंजमेकर बनाने पर केंद्रित है. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य स्थायी भविष्य के लिए धरती की रक्षा करने और उसे पुनर्स्थापित करने में विद्यार्थियों का क्षमता-निर्माण करना और सहभागी टूल्स विकसित करना है. ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट औपचारिक रूप से अप्रैल 2017 में लॉन्च किया गया था, ताकि झारखंड और ओडिशा में टाटा स्टील के परिचालन क्षेत्रों में छात्र-छात्राओं को उनकी महत्वपूर्ण, अंतर-अनुशासनात्मक और समग्र सोच में सुधार करने में मदद मिल सके. प्रोजेक्ट का फोकस जागरूकता पैदा करना और विद्यार्थी व शिक्षक बिरादरी को प्रकृति के साथ अपने संबंध बेहतर ढंग से समझने में सक्षम बनाना और स्थानीय स्तर पर संसाधन प्रबंधन पहल के माध्यम से इसे संरक्षित करने के लिए ठोस प्रयास करना है.