Patna: राज्य सरकार अब आपसी सहमति के आधार पर भूमि विवाद सुलझाने की कोशिश करेगी. इसके लिए कानून बनाने पर भी विचार चल रहा है. राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मामूली बातों को लेकर भूमि विवाद हो रहा है. इससे कानून-व्यवस्था पर असर पड़ रहा है. जमीन का उपयोग भी बाधित हो रहा है.
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बहुमत के आधार पर बंटवारे को मिलेगी मान्यता
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विचार कर रही है कि सहमति आधारित जमीन बंटवारा को कानूनी रूप दिया जाए. फिलहाल उसके प्रारूप पर विचार हो रहा है. पुश्तैनी जमीन के बंटवारा में अड़चन विवाद का बड़ा कारण है. यह हो सकता है कि परिवार के बहुमत सदस्यों की राय को कानूनी रूप दिया जाए. किसी परिवार में 10 सदस्य हैं और उनमें से कम से कम छह सदस्य बंटवारा के किसी एक स्वरूप पर सहमत हैं. ऐसे मामलों में सहमति पत्र तैयार कर उसे कानूनी मान्यता दे दी जाएगी.
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सहमति पत्र पर मुखिया समेत अन्य के हस्ताक्षर
राय ने कहा कि सहमति पत्र पर परिवार के बहुमत सदस्यों के अलावा पंचायत के मुखिया, मुखिया चुनाव के निकटतम प्रतिद्वंद्वी, वार्ड सदस्य और चकबंदी एवं राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी दस्तखत करेंगे. इसे कानूनी मान्यता मिल जाएगी तो अल्पमत सदस्यों के लिए इस तरह के सहमति पत्र को मानना कानूनी तौर पर बाध्यकारी होगा. उन्होंने कहा कि सर्वे अभियान चल रहा है. चकबंदी शुरू होने से पहले हर तरह के पारिवारिक भूमि विवाद का निबटारा जरूरी है.
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भू-माफिया चले गए अदालत
मंत्री ने कहा कि सरकार ने फैसला किया था कि जिसके नाम से जमीन की जमाबंदी है, वही जमीन की रजिस्ट्री कर सकता है. इससे बहुत हद तक विवाद कम होने की उम्मीद थी. लेकिन, भू-माफिया ने अदालत में इस आदेश को चुनौती दे दी. लिहाजा इस पर अमल नहीं हो पाया. सरकार कोशिश कर रही है कि इस मामले में लगी अदालती रोक जल्द से जल्द हट जाए. विवाद का एक बड़ा कारण यह भी है कि बिना जमाबंदी वाले रैयत जमीन की बिक्री कर देते हैं. जमीन पर कब्जे को लेकर लंबी लड़ाई चलती है.