New Delhi : संसद के नये भवन के उद्घाटन का मामला आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. खबर है कि अधिवक्ता जया सुकीन ने जनहित याचिका दायर कर यह निर्देश देने की मांग की है कि संसद के नये भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा कराया जाये. याचिकाकर्ता ने कहा है कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं कर संविधान का उल्लंघन किया है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें

हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करेगा या नहीं. जान लें कि कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के नये भवन का उद्घाटन किये जाने का विरोध किया है याचिका में मांग की गयी है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इसका उद्घाटन कराया जाये. संसद भवन का उदघाटन 28 मई को किया जाना है
18 मई को लोकसभा सचिवालय की ओर से बयान जारी किया गया
अधिवक्ता जया सुकीन द्वारा दायर याचिका में दलील दी गयी है कि नये संसद भवन के उद्घाटन के लिए 18 मई को लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी बयान और लोकसभा महासचिव द्वारा जारी आमंत्रण पत्र संविधान का उल्लंघन करता है. याचिका में उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रपति भारत की प्रथम नागरिक हैं और संसद की प्रमुख हैं तथा नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने के लिए एक निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया गया है.
नरेंद्र मोदी 28 मई को नये संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा जारी आमंत्रण के बाद 28 मई को नये संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं. याचिका में उल्लेख किया गया है कि संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति और शीर्ष विधानमंडल के दोनों सदन राज्यसभा और लोकसभा संसद में शामिल होंगे. इसमें दलील दी गयी है, साथ ही, अनुच्छेद 87 में कहा गया है कि संसद के प्रत्येक सत्र की शुरूआत में, राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण देंगे और इसकी बैठक बुलाये जाने के उद्देश्य से अवगत करायेंगे.

लेकिन प्रतिवादी और केंद्र) राष्ट्रपति को अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं. इसमें कहा गया है, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नये संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. नये संसद भवन का उद्घाटन करने के प्रधानमंत्री के फैसले की करीब 20 विपक्षी दलों ने आलोचना की है और उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है.

