LagatarDesk : केंद्र सरकार दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और हैदराबाद एयरपोर्ट में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना तैयार कर रही है. सरकार ने Asset monetization से 2.5 लाख करोड़ जुटाने की योजना बनायी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इन चार एयरपोर्टों का पहले ही निजीकरण हो चुका है. विमान पत्तन प्राधिकरण (AAI) के माध्यम से इन एयरपोर्टों में सरकार की आंशिक हिस्सेदारी अभी बची हुई है.
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13 एयरपोर्ट के निजीकरण की तैयारी
AAI वित्त वर्ष 2021-22 में 13 अन्य एयरपोर्ट के निजीकरण की तैयारी में है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा कि इन चारों एयरपोर्ट का संचालन कर रहे जॉइंट वेंचर में AAI की इक्विटी में हिस्सेदारी के लिए मंजूरी प्राप्त करेगी. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के पास इसकी मंजूरी के लिए पत्र भेजे जाने की संभावना है. निजीकरण के लिए 13 AAI एयरपोर्टों के प्रस्ताव को अधिक आकर्षक बनाने के लिए मुनाफेवाले और बिना मुनाफेवाले हवाईअड्डों को मिलाकर पैकेज तैयार किया जायेगा.
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100 से अधिक एयरपोर्ट AAI के अधीन
नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा हवाई अड्डों के निजीकरण के पहले दौर में अडाणी समूह को पिछले साल छह एयरपोर्ट के परिचालन का लाइसेंस मिला था. ये छह एयरपोर्ट लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी है. देश भर में 100 से अधिक एयरपोर्ट AAI के अधीन है. AAI ही इन 100 एयरपोर्टों का प्रबंधन करता है.
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मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट में अडाणी की 74 फीसदी हिस्सेदारी
मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में अडाणी समूह की 74 प्रतिशत हिस्सेदारी है. शेष 26 प्रतिशत हिस्सेदारी AAI के पास है. दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में जीएमआर समूह के पास 54 प्रतिशत, 26 प्रतिशत हिस्सेदारी AAI के पास और 10 फीसदी हिस्सेदारी फ्रापोर्ट एजी तथा एरमान मलेशिया के पास है.
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3 सालों में 2.5 लाख करोड़ इकट्ठा करने का लक्ष्य
पीएम मोदी ने अगले तीन सालों में असेट मोनेटाइजेशन की मदद से 2.5 लाख करोड़ रुपये इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार 1.3 लाख करोड़ रुपये रेलवे और टेलिकॉम सेक्टर से जुटायेगी. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सरकार ने विनिवेश और निजीकरण का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये रखा है.
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