भ्रष्टाचार-पर्यावरण के मामलों में नही मिलेगी कोई ढील, पावर मिनिस्ट्री के सचिव आलोक कुमार का दौरा उसी कड़ी का एक हिस्सा बताया जा रहा
Praveen Kumar
Hazaribagh : भारत सरकार की महारत्न कंपनी एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह के कोल परियोजना से संबंधित घोटाले, गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार की लगातार मिल रही शिकायतों पर केंद्र सरकार गंभीर हो गई है. शनिवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव आलोक कुमार और संयुक्त सचिव पीयूष सिंह के साइट दौरे को मिल रही शिकायतों और परियोजना से संबंधित स्थानीय अधिकारियों की रिपोर्टों को जांचने-परखने के लिए स्थलीय निरीक्षण किया जाना बताया जा रहा है. केंद्रीय सचिव और संयुक्त सचिव ने खनन स्थल से लेकर साइडिंग तक का निरीक्षण कर परियोजना में खनन, उत्पादन और संचालन की जानकारी ली. समस्याओं और सुविधाओं पर जिला-प्रशासन से जानकारी ली. परियोजना प्रभावित इलाकों में विकास की जानकारी भी ली. केंद्र के सूत्रों के अनुसार, एनटीपीसी के स्थानीय अधिकारी परियोजना से संबंधित गड़बड़ियों-लापरवाहियों को स्थानीय राजनीति, विधि-व्यवस्था की समस्या और विभागीय समस्याओं को बताकर कवर करता रहा है. जब मंत्रालय को पुख्ता साक्ष्यों के साथ शिकायतें मिलने लगी हैं तो केंद्र गंभीर हुआ है. बताया जाता है कि 16 अक्टूबर 2022 को पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता नवेन्दु कुमार के एक नोटिस के कारण ऊर्जा मंत्रालय को हरकत में आना पड़ा. शुभम संदेश पाठकों को बताने जा रहा है कि एनटीपीसी के किन गड़बड़ियों को केंद्र ने राडार पर रखा है.
जमीन अधिग्रहण करने के लिए मुआवजा घोटाले पर केंद्र ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र
एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए मुआवजा वितरण से संबंधित गड़बड़ियों की शिकायत पर झारखंड सरकार द्वारा सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता की जांच रिपोर्ट में हुए घोटाले की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की शिकायत मंटू सोनी ने प्रधानमंत्री कार्यालय से की थी. प्रधानमंत्री कार्यालय ने शिकायतों के अध्ययन के लिए एक अधिकारी को लगाया. दो महीने बाद मामले की गंभीरता समझ में आने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय के अवर सचिव संजय कुमार चौरसिया ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को अगस्त 2022 में पत्र लिखकर कार्रवाई कर रिपोर्ट तलब की थी. एक अन्य शिकायत में एनटीपीसी ने यह स्वीकार किया था कि उसने 80 एकड़ गैरमजरूआ जमीन के बदले आठ करोड़ रुपये का मुआवजा भुगतान किया था. इसमें अपनी भूमिका से बचने के लिए सरकार के अंचल कर्मियों-अधिकारियों द्वारा जमीन के कागजात के क्लियरेंस के आधार पर अपनी जिम्मेवारियों से बचने की कोशिश की लेकिन इस बात पर फंस गए कि मुआवजा वितरण से पहले कंपनी के अधिकारी ने स्थल निरीक्षण क्यों नहीं किया? या जान-बूझकर झूठ बोल रहे हैं?
फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन कर अवैध खनन पर बुरी फंसी एनटीपीसी
पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों का उल्लंघन कर इलाके की जीवन रेखा नदी दुमुहानी नाले को नष्ट कर उसके दोनों तरफ 50 मीटर के ग्रीन बेल्ट बनाने के एरिया को अवैध तरीके से खनन कर दुमुहानी नाला के तीन किलोमीटर प्रवाह क्षेत्र को मिलाकर कुल सौ एकड़ एरिया में अवैध खनन कर लिया गया. इसे लेकर केंद्र सरकार ने झारखंड के मुख्य सचिव और वन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भी लिखा है. वन विभाग के अधिकारियों ने अवैध खनन की जांच की पुष्टि करते हुए कार्रवाई की अनुशंसा भी कर दी है. इस मामले को लेकर हजारीबाग के तत्कालीन वन प्रमंडल पदाधिकारी आरएन मिश्रा ने नियमों-निर्देशों और वरीय अधिकारियों के खिलाफ जाकर एनटीपीसी और उसके एमडीओ त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों को बचाने के लिए अपनी ही रिपोर्ट बदल दी. इसे लेकर उनपर कार्रवाई की तलवार लटक गई है.
ऊर्जा मंत्रालय में गलत जवाब देकर फंसी एनटीपीसी
पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना से संबंधित ऊर्जा मंत्रालय में शिकायत की गई थी. शिकायत में एनटीपीसी द्वारा अवैध खनन, ट्रांस्पोर्टेशन के लिए वन विभाग में अतिक्रमण और बाणादाग में अवैध साइडिंग चलाने की विस्तृत जानकारी दी गई थी. शिकायत पर विद्युत मंत्रालय के डायरेक्टर ने 16 अगस्त 2022 को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. एनटीपीसी ने 14 सितंबर 2022 को ऊर्जा मंत्रालय में जवाब दिया. एनटीपीसी के दिए जवाब को शिकायत कर्ता मंटू सोनी ने गलत और भ्रामक करार देते हुए एनटीपीसी के जवाब को गलत और भ्रामक जवाब साबित करते हुए दस्तावेजी सबूत ऊर्जा मंत्रालय में प्रस्तुत कर दिया. इसके बाद पुनः ऊर्जा मंत्रालय एनटीपीसी की भूमिका पर गंभीर हो गई.
पटना अधिवक्ता नवेन्दु कुमार के नोटिस का जवाब देने में एनटीपीसी के छूट रहे पसीने, ऊर्जा मंत्रालय के पास जवाब नहीं
केंद्र द्वारा एनटीपीसी मामलों में गंभीरता से लेने का एक बड़ा कारण पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता नवेन्दु कुमार द्वारा अक्टूबर 2022 में दिया एक लीगल नोटिस है, जिसे उन्होंने अपने क्लाइंट्स मंटू सोनी की ओर से यह नोटिस दिया है. अधिवक्ता नवेन्दु कुमार के लीगल नोटिस का जवाब न तो एनटीपीसी दे रही और न ही ऊर्जा मंत्रालय के पास कोई जवाब दिख रहा सिवाय कार्रवाई के. नोटिस का जवाब देने में सबके पसीने छूट रहे हैं क्योंकि नोटिस का जवाब सिर्फ कार्रवाई ही हो सकती है. कोई अन्य दलील नहीं, इस संबंध में नवेन्दु कुमार ने बताया कि एनटीपीसी की परियोजना में शुरुआत से ही गड़बड़ियों की झड़ी लगी हुई है. इसके अधिकारियों की गलती की वजह से भारत सरकार को सैकड़ों करोड़ का सीधा नुकसान हुआ है. परियोजना संचालन के लिए नियम-कानून की धज्जियां उड़ाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर अवैध खनन किया जा रहा है.
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