Ranchi (Rajnish Prasad) : आर्यभट्ट सभागार में मंगलवार को रांची विश्वविद्यालय का 63वां स्थापना दिवस मनाया गया. यह कार्यक्रम आजादी का 75वां अमृत महोत्सव के तहत किया गया. मौके पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि आज से 42 साल पहले विश्वविद्यालय के हॉस्टल की कमरा संख्या 205 में एक डरा -सहमा सा एक विद्यार्थी रहता था. आज विश्वविद्यालय के 63वें स्थापना दिवस पर कुलपति के रूप में आप सभी के बीच खड़ा है. रांची विश्वविद्यालय के कुछ नाम जैसे डॉ. रामदयाल मुंडा, बीपी केशरी अपने आप में एक संस्थान थे. विवि में पढ़ाये जाने वाले विषयों के विभाग किसी संस्थान से कम नहीं हैं. विश्वविद्यालय का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है. जब विवि की स्थापना हुई थी, तब केवल 10 विभाग थे. आज कई सारे विभाग और लाखों की संख्या में विद्यार्थी हैं. देश ही नहीं बल्कि विदेशों में लगभग हर क्षेत्र में यहां से पढ़े विद्यार्थी कार्यरत हैं.
झारखंड के स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र
इससे पहले कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने विशेष तौर पर स्वतंत्रता संग्राम में जुड़े तथ्यों पर चर्चा की. वक्ताओं ने झारखंड के स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र करते हुए कहा कि झारखंड में ऐसे वीर थे, जिन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे. उनका नाम गुम हो गया है. उनकी जानकारी होना बहुत जरूरी है. कार्यक्रम में झारखंड ओपन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टीएन साहु, प्रतिकुलपति कामिनी कुमार,रजिस्ट्रार एमसी मेहता, डीएसडब्ल्यू राजकुमार सिंह, परीक्षा नियंत्रक एके झा उपस्थित रहे.
झारखंड के कई वीरों का नाम गुम हो गया है : निदेशक
रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय विभाग के निदेशक रनेन्द्र कुमार ने कहा कि झारखंड के स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड के वीरों ने अपना बलिदान दिया. लेकिन बहुत लोगों का नाम इतिहास के पन्नों में है ही नहीं. उन नाम को आगे लाना हमारी जिम्मेदारी है. झारखंड के इतिहास को पाठ्यक्रमों में पढ़ाने कि जरूरत है.
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