Ranchi: राजधानी रांची में भूमि के फाजीवड़ा से जुड़ा मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसका विस्तार जिला मुख्यालय तक हो चुका है. जहां भू-माफिया आदिवासियों की जमीन धड़ल्ले से गैर-कानूनी ढंग से छिन और बेच रहे हैं. इस कारनामे को अंजाम देने के लिये फर्जी हुकुमनामा बनाकर कर भूमि माफियाओं, थाना प्रभारी और जिला प्रशासन के कुछ कर्मियों की भी संलिप्तता सामने आयी है.
ऐसे कई मामले कांके, नामकूम, ओरमाझी, खूंटी एवं अंडकी के अंचलों में देखे जा रहे हैं. जरपेशगी के माध्यम से सीएनटी भूमि को गैर सीएनटी बनाने का राज्य में खेल चल रहा है. जिसे लेकर आदिवासी रैयतों में आक्रोश देखा जा रहा है.
प्रेम शाही मुंडा ने उठाया मामला
इस मामले पर आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने लगातार न्यूज से बातचीत में कहा कि कांके, सोनाहातू, नामकुम एवं अड़की अंचलों में आदिवासियों को उनकी भूमि से बेदखल किया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा, कांके प्रखंड के अंतर्गत आरएस एजुकेशन फाउंडेशन, वास्तु बिहार और फुलेश्वर कुम्हार के द्वारा श्रीनाथ मुंडा, बुधवा मुंडा और फूलचंद पाहन भोगाधिकारी बंधक जर पेशगी/खैखैलासी जमीन पर गैर कानूनी ढंग से कब्जा कर लिया गया.
जबकि मनी लेंडर एक्ट 1974 की धारा 12 में यह उपबंध किया गया है कि जरपेशगी/खैखलासी /भोगा अधिकारी बंधक जमीन की अवधि 7 वर्ष तक कर दिया गया है. उक्त बंधक जमीन में अगर बंधकदार के द्वारा 7 वर्ष या उससे अधिक भोग कर लिया गया है तो वह बंधककर्ता को संबंधित जमीन स्वत: आदिवासीयों को वापस हो जाती है.
जरपेशगी भूमि नहीं हो रही आदिवासी रैयतों को वापस
कानूनी प्रावधान के अनुसार यदि बंधकदार(मोरगेज) के द्वारा संबंधित जमीन पर दखल देने से इंकार किया जाता है तो बिहार साहूकार नियमावली 1977 बिहार मनी लेंडर रूल्स 1977 के नियम 9 के तहत फॉर्म ML 4 के द्वारा बंधककर्ता के द्वारा आवेदन पत्र बंधकदार को देने का प्रावधान है. जिसकी एक प्रति अंचल अधिकारी को भी देनी होती है.
अंचल में आवेदन प्राप्ती के 30 दिनों के अंदर अगर बंधकदारों के द्वारा बंधककर्ता को संबंधित जमीन पर दखल नहीं दिया जाता है, तब उक्त भूमि साहूकार अधिनियम 1977 के नियम 10 के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए. जो राज्य में नहीं हो रहा है. अंचल अधिकारी के द्वारा 90 दिनों के अंदर संबंधित जमीन पर दखल दिलाने के लिए कानूनी कार्रवाई किया जाना है. लेकिन इस संबंध में सैकड़ों आवेदन पत्र कांके अंचल कार्यालय में लंबित पड़े हुए हैं. इसके बावजूद भी कांके सीओ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
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