Bokaro : हेमंत सरकार ने झारखंड में स्थानीय निवासी की परिभाषा तय कर दी है. झारखंड में 1932 के खतियानधारी ही स्थानीय निवासी माने जायेंगे. हेमंत सरकार कैबिनेट में इस प्रस्ताव पर स्वीकृति मिल जाती है. इस प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद झारखंडवासियों में खुशी देखी जा रही है. स्वीकृति मिलने के बाद से ही नेताओं की प्रक्रिया आने लगी है. पूर्व मंत्री उमाकांत रजक ने कहा कि झारखंड के वीर शहीदों और अमर बलिदानियों तथा आंदोलनकारियों का सपना एक लंबे जन संघर्ष के बाद आज साकार हुआ है.खतियान ही झारखंडी माटी की पहचान है. खतियान ही हमारे पूर्वजों की परम्परा, पहचान और संस्कृति को अक्षुण्ण रखने की बुनियादी कड़ी है. पढ़ें – सरकार का पक्ष रखने के लिए PP, स्पेशल PP और APP नियुक्त, जानिए 58 वकीलों की टीम में कौन-कौन हैं शामिल
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हमारी पहचान 1932 का खतियान
पूर्व मंत्री उमाकांत रजक ने कहा कि निश्चित रूप से हमारी पहचान 1932 का खतियान है, जो माय, माटी और रोजगार से जुड़ी हुई है. झारखंड राज्य आसानी से नहीं मिला है.हजारों लोगों ने कुर्बानियां दी है, शहीद हुए हैं . अलग झारखंड राज्य आंदोलन में खुद मैं भी नौ बार जेल गया हूं.परिणामस्वरूप लंबे संघर्षों और जन आंदोलनों के बाद आज आदिवासी – मूलवासियों को हक और अधिकार मिला है.
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ओबीसी को 27% का आरक्षण वाजिब हक
रजक ने कहा कि झारखंड का निर्माण झारखंडियों के लिए हुआ है. भाषा, साहित्य, परम्परा, हमारी अस्मिता को अक्षुण्ण रखने के लिए ही आंदोलनकारियों द्वारा लंबी लड़ाई लड़ी गई थी. रजक ने कहा कि ओबीसी को 27% का आरक्षण वाजिब हक है. झारखंड सरकार के इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं. इस मौके पर मुख्य रूप से केन्द्रीय सचिव बधन शर्मा, जिला प्रधान सचिव तपन सिंह चौधरी, अशोक महतो, प्रकाश शर्मा, भोलानाथ शर्मा, नरेश महतो,अक्षय शर्मा समेत अन्य उपस्थित थे.
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