Ranchi : नदी-तालाब हमारे जलस्राोत हैं. उनके रहने से भू जलस्तर ऊंचा रहता है और पानी की कमी महसूस नहीं होती. लेकिन हाल के दिनों में चाहे वह सरकारी हो या निजी तालाब, उनपर भू माफिया की नजर लग गयी है. वे बेखौफ तालाबों को भरकर बेच रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद जमशेदपुर,धनबाद सहित कई शहरों में तालाबों को भर कर बहुमंजिली इमारतें खड़ी कर दी गयी हैं. अब भू-माफिया शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी और निजी तालाबों को भर कर प्लॉटिंग कर बेच रहे हैं. पर जिम्मेवार अधिकारी-कर्मचारी हैं बेखबर हैं. इस मामले में स्थानीय लोगों से जो सूचनाएं मिल रही है, उससे स्पष्ट होता है कि कर्मचारियों की मिलीभगत से ही नदी-तालाबों का अतिक्रमण किया जा रहा है और उन्हें भरकर कर बेचा जा रहा है. शुभम संदेश की टीम ने इस संबंध में राज्य के अलग-अलग जिलों में पड़ताल की , तो पता चला कि माफिया की वजह से हजारों तालाबों का अस्तित्व मिट गया है और वहां इमारतें खड़ी हो गई हैं. कॉलोनी बस गई है. पेश है रिपोर्ट.
लातेहार
अस्तित्व खोता जा रहा है शहर का बड़ा तालाब,विभागीय पेंच में फंसा
लातेहार शहर के मेन रोड में शहर के बीचोबीच भारतीय स्टेट बैंक के सामने है शहर का एक मात्र तालाब. इसे बड़ा तालाब कहा जाता है. दशहरा और सरस्वती पूजा समेत अन्य अवसरों पर यहां प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है. लेकिन आज यह तालाब अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. यह तालाब नगर पंचायत और मत्स्य विभाग के चक्कर में फंसा है. यूं तो यह तालाब मत्स्य विभाग कार्यालय परिसर में है, लेकिन मत्स्य विभाग इसे विभागीय तालाब मानने से इनकार करता है. विभाग के अधिकारी कहते हैं कि यह तालाब नगर पंचायत के अधीन हैं और इसकी रख रखाव एवं सुंदरीकरण की जवाबदेही नगर पंचायत की है. तो दूसरी ओर नगर पंचायत का कहना है कि चूकी यह तालाब मत्स्य विभाग परिसर में है, इस कारण जब तक उक्त तालाब को लिखित रूप से नगर पंचायत को स्थानांतरित नहीं किया जाता है तब तक नगर पंचायत उक्त तालाब की रख रखाव और सुदंरीकरण में राशि व्यय नहीं कर सकता है. बहरहाल जो भी इस तालाब की स्थिति नारकीय हो गयी है. प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद न तो इसकी सफाई नगर पंचायत कराता है और न ही मत्स्य विभाग. तालाब की नियमित सफाई नहीं होने के कारण तालाब के चारों ओर गंदगी पसर गयी है. सफाई नहीं होने से तालाब का पानी दूषित हो गया है. इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है. आज से आठ दस साल पूर्व तालाब के चारों किनारों पर सीमेंट की सीढि़यां बनायी गयी थी, लेकिन रख रखाव का अभाव एवं मिट्टी धंसने से सीढि़यां ध्वस्त हो गयी है.
क्या कहती हैं नपं अध्यक्ष
नगर पंचायत अध्यक्ष सीतामनी तिर्की ने कहा कि जब तक तालाब को नगर पंचायत को हस्तांतरित नहीं किया जाता है, तब तक इसमें नगर पंचायत की राशि खर्च नहीं की जा सकती है. वहीं दूसरी ओर जिला मत्स्य विभाग कर्मियों ने बताया कि इस तालाब को विकसित करने के लिए प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजा गया है. बहरहाल यह तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.
जमशेदपुर
जुगसलाई क्षेत्र में थे दो तालाब, एक का अस्तित्व समाप्त, दूसरे की घेराबंदी
सुप्रीम कोर्ट ने तालाबों को भरने पर रोक लगा रखी है. तालाब को भरकर उस पर किसी भी प्रकार के निर्माण को अवैध करार दिया है. इसके बावजूद तालाबों को भर कर बिल्डिंग खड़ी की जा रही है, कॉलोनियां बसायी जा रही हैं. कई जगहों पर सरकारी एवं निजी तालाबों का अतिक्रमण कर लिया गया है या उसे भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. जमशेदपुर में जुगसलाई नगर परिषद क्षेत्र में दो निजी तालाब थे. इसमें एक का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो गया है. एमई स्कूल रोड हरिजन बस्ती से सटे उक्त तालाब का रकबा लगभग तीन बीघा में था. उसे भरकर वहां मकान का निर्माण करा दिया गया है. सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि उपरोक्त तालाब पर बने मकानों को नगर परिषद ने होल्डिंग नंबर प्रदान कर दिया है. साथ ही वहां मुलभूत सुविधाएं बिजली, पानी, सड़क एवं नालियों का निर्माण कराया गया है. कुछ वर्ष पहले तक वहां रहने वाले लोग होल्डिंग टैक्स जमा करते थे. इधर एक वर्ष से होल्डिंग टैक्स का विवाद सामने आने के बाद लोगों ने टैक्स जमा करना छोड़ दिया है, जबकि दूसरे बड़े तालाब की घेराबंदी कर दी गई है.
जंगली तालाब का पानी सूख गया है
जुगसलाई महतो पाड़ा रोड में सात मंदिर से सटे नौ बीघा में बड़ा तालाब (जंगली तालाब) है. उक्त तालाब का पानी लगभग सूख गया है. हालांकि अगल-बगल बसे घरों का गंदा पानी, सड़क किनारे स्थित नालियों का पानी उक्त तालाब में जाता है.
पलामू
खत्म हो गया गोदमी पोखरा
हुसैनाबाद नगर पंचायत के अंतर्गत चार पोखरा आते हैं. पहला छठीयारी पोखरा, दूसरा गोदानी पोखरा, तीसरा पंच सरोवर पोखरा एवं चौथा चनैनीपर पोखरा. जिसमें सबसे दयनीय स्थिति गोदमी पोखरा की है. इस पोखरे का खाता नंबर 323, प्लॉट 727, जिसका रकबा 14 एकड़ के लगभग है. वर्तमान में इस पोखरा की जमीन में कुम्हार टोली के समीप सामुदायिक भवन, शौचालय,बस स्टैंड के समीप भूमिहीनों के लिए भवन, लंबीगली इस्लाम गंज में तालाब की ही जमीन पर निकाह भवन एवं उर्दू स्कूल बने हुए हैं. जानकारी के अनुसार जमींदारी जाने के बाद इस्लामगंज में गोदामी पोखरा की जमीन की बहुत से लोगों को अंचल द्वारा रसीद काटकर दी गई है और कुछ लोगों की रसीद नहीं काटी गई है.
निविदा निकाली गई तब अतिक्रमण का मामला संज्ञान में आया : शशि
इस संबंध में हुसैनाबाद नगर पंचायत अध्यक्ष शशि कुमार ने कहा कि मेरे नगर पंचायत अंतर्गत चार पोकरा आते हैं. पहला छठीयारी पोखरा. दूसरा गोदानी पोखरा. तीसरा पंच सरोवर एवं चौथा चनैनीपर पोखरा है. जिसमें सबसे दयनीय स्थिति गोदानी पोखरा की. जब पोखरा सुंदरीकरण के लिए निविदा निकाली गई तब अतिक्रमण का मामला संज्ञान में आया. इसलिए मैं अंचल पदाधिकारी के माध्यम से गोदानी पोखरा की नापी कराकर अतिक्रमण मुक्त कराने का प्रयास कर रहा हूं. मैं हर संभव प्रयास करूंगा कि गोदानी पोखरा अतिक्रमण मुक्त हो और इसका सुंदरीकरण का कार्य पूर्ण हो सके.
सभी भूमिहीनों की जांच की जाए : जुल्फिकार अली
जुल्फिकार अली का कहना है कि पूर्व में जैसे अन्य लोगों की जमीन की रसीद काटी गई है. उसी तरह सभी भूमिहीनों की भी जांच कर रसीद काटी जाएं. बाकी जो गोदानी पोखरा की जमीन बची हुई है उस पर सरकार अपना कार्य करें.
पूर्वज काफी समय से रहते आ रहे हैं : मोहम्मद नौशाद
मोहम्मद नौशाद का कहना है कि हम लोग के पूर्वज यहां काफी समय से रहते आ रहे हैं. यह गोदनी पोखरा की जमीन खाली थी. इसलिए हम लोग कब्जे के आधार पर घर बनाकर रह रहे हैं.
यह जमीन हम लोगों को किसी ने नहीं दी : गोविंद कुमार
गोविंद कुमार जो गोदानी पोखरा पर घर बनाकर रह रहे हैं उनका कहना है कि मेरा यह मकान पूर्वजों के द्वारा निर्मित है. यह जमीन हम लोगों को किसी ने नहीं दी है. अभी हम लोग इस घर में रहते हैं.
जमीन कहां से मिली पता नहीं पूर्वज यहां रहते आ रहे हैं : ललन
ललन राम ने कहा कि मेरे पूर्वज यहां रहते आ रहे हैं. हम लोगों को यह जमीन कहां से मिली है यह मुझे मालूम नहीं है. हम लोगों को पूर्व से ही इस जमीन का रसीद काटता आ रहा है.
गढ़वा
पुराने तलाब को दिखा कर नई योजना पास, राशि की बंदरबांट
गढ़वा जिले के भवनाथपुर प्रखंड के कोनमण्डरा के कुशमाही में मनरेगा से पूर्व में बनाए गए तलाब को क्षतिग्रस्त कर भूमि संरक्षण विभाग के अधिकारियों के मिली भगत से उसी तालाब को दिखा कर सरकारी राशि बंदर बाट किए जाने का मामला प्रकाश में आया है. मालूम हो कि कोनमण्डरा गांव के कुसमही में एक दशक पूर्व मनरेगा विभाग से बनाया गया था लेकिन सरकारी राशि को बंदरबाट करने के उदेश्य से विभागीय मिलीभगत से पुनः उसी तलाब को जिर्णोधार करने के नामपर चौदह लाख की लागत से 200×200 की तालाब स्वीकृत कर पुराने तालाब को जेसीबी से तोड़कर उसी पर तालाब का जीर्णोद्धार का कार्य किया जा रहा है. योजना के अध्यक्ष राजेंद्र साह हैं जबकि सचिव हीरालाल उरांव हैं. लेकिन उक्त योजना बिचौलिया के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है.
जांच के बाद होगी कार्रवाई
इस संबंध में भूमि संरक्षण विभाग के जेई अनिल कुमार ने कहा कि पुराने तालाब को काटना नहीं है,बल्कि पुराने तालाब को ही जीर्णोद्धार करना है. उन्होंने मामले की जांचोपरांत कार्रवाई की बात कही है. जबकि पंचायत की मुखिया सुकनी देवी ने कहा कि इस मामले को लेकर उच्च अधिकारी को जांच कर कार्रवाई के लिए पत्र लिखेंगे.
कभी ऐसा था हजारीबाग का कोर्रा स्थित जबरा तालाब
- पिछले साल श्रद्धालुओं ने की थी छठ पूजा, इस साल बदलना पड़ा घाट, सीमेंट की सीढ़ियों को तोड़कर उस पर मिट्टी गिरा कर बना दिया रास्ता
हजारीबाग
कई माह से भू माफिया तालाब को भरकर समतल कर रहे थे
मिट रहा जबरा तालाब का वजूद, भू-माफिया ने बेच दी जमीन
हजारीबाग के कोर्रा स्थित जबरा में छठ तालाब को भूमाफिया ने भर दिया. कई माह से यहां भू-माफिया मिट्टी भरकर उसे समतल करने की कोशिश कर रहे थे. पिछले साल इसी तालाब में न जाने कितने लोगों ने छठ पूजा भी की थी. लेकिन अब इस तालाब पर भू-माफियाओं की नजर पड़ गई है. आलम यह है कि सैकड़ों गाड़ी मिट्टी अब तक तालाब में भरे जा चुके हैं. भू-माफियाओं की हिमाकत देखिए कि सूखे तालाब के भीतर तक जाने के लिए छठ पूजा के लिए बनी सीमेंट की सीढ़ियों को तोड़कर उस पर मिट्टी गिरा का रास्ता बना दिया. इसके सहारे वहां तालाब के भीतर मिट्टी गिरा कर उसे समतल कर रहे हैं. जब पूरा प्रशासन पंचायत चुनाव में व्यस्त था, उस दौरान भू-माफिया गोरखधंधा कर रहे थे. तालाब की गहराई देखी जाए, तो लगभग 50 फीट है और यह तालाब लगभग डेढ़ एकड़ में फैला हुआ है.
जलस्रोत को भरना गैरकानूनी : अधिवक्ता प्रत्यूष शौनिक्य
हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता प्रत्यूष शौनिक्य का भी कहना है कि जलस्रोत को भरना गैर कानूनी है. इसके बावजूद रांची समेत कई इलाकों में जल स्रोतों को भरने का काम किया जा रहा है. जिससे जुड़ा जनहित याचिका हाई कोर्ट में भी लंबित है. हजारीबाग में जिस तरह से जल स्रोत को भरने की हिमाकत की गई है यह गैरकानूनी है.
मामला संज्ञान में आया है इसे देखते हैं : सांसद
हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि जलस्रोत को अतिक्रमण कर दिया गया है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि अगर कोई उनसे शिकायत करेगा, तो वह कार्रवाई भी करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अब संज्ञान दिया गया है, तो इसे देखते हैं.
कार्रवाई के लिए सीओ ने की थी पहल
ऐसे में हजारीबाग सदर सीओ राजेश कुमार बताते हैं कि इसकी शिकायत मिली है और मामले पर नजर रखे हैं. कई कर्मियों को घटनास्थल पर भेजा गया था ताकि कार्रवाई की जा सके.
गिरिडीह
50 से अधिक तालाबों गायब हो गए, अब खड़ी हो गईं इमारतें
बरगंडा में ढाई एकड़ में फैला तालाब कभी शहर का शान हुआ करता था. आज तालाब की जगह भव्य अट्टालिका खड़ी है,विरनी और धनवार में 50 से अधिक तालाबों का अस्तित्व मिट गया. नगर निगम की उप नगर आयुक्त स्मिता कुमारी ने कहा शहरी क्षेत्र में जितने भी तालाबों को भरकर बेचा गया, उसकी एनओसी नगर निगम से नहीं ली गई. जल संचय को लेकर सरकार गंभीर है, इसके लिए नए-नए तालाबों का निर्माण कराया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर पुराने तालाबों का अस्तित्व मिटाया जा रहा है. गिरिडीह जिले में भी तालाबों को मिटाने का खेल खेला जा रहा है. पुराने तालाबों को मिट्टी से भरकर बेच दिया जाता है. इस धंधे में भू माफिया, नेता व अधिकारियों की मिली भगत है. कई भू माफिया राजनीतिक चोला पहन रखे हैं. इस वजह से सरकारी अधिकारी इनके खिलाफ कार्रवाई करने से डरते हैं. शहर के बरगंडा स्थित ढाई एकड़ में फैला तालाब कभी शहर का शान हुआ करता था. आज तालाब की जगह पर भव्य अट्टालिका खड़ी है. यह तालाब शहर में जल स्रोत का बेहतर साधन था. इसके अलावा शहर के पावर हाउस, पंजाबी मोहल्ला, अरगाघाट, कोलडीहा, भंडारीडीह स्थित तालाबों का भी अस्तित्व मिटा दिया गया है. अरगाघाट में तालाब भरकर टुकड़े-टुकड़े में जमीन बेची गई है.
चंदवा
ग्रामीणों के लिए बने बांध का निजी उपयोग, अस्तित्व पर खतरा
चंदवा प्रखंड मुख्यालय के नजदीक स्थित गेरवागढ़ा में लगभग पैंतीस-चालीस साल पहले भदवा भुइयां की जमीन पर रिलीफ कमेटी के द्वारा एक बांध का निर्माण करवाया गया था. बांध का निर्माण कराने का उद्देश्य था कि ग्रामीणों को पानी की समस्या न हो, खेतीबारी करने में सहूलियत हो. बांध के बनने से किसान और ग्रामीणों को इसका लाभ भी मिला. किसान बांध के पानी से अच्छी खेतीबारी करने लगे. वहीं मवेशियों को भी पानी मिल जा रहा था. गांव वाले मछली का पालन कर अपना जीवन यापन करते थे. वर्तमान में इस बांध को निजी संपत्ति के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. जमीन खरीददार के द्वारा बांध को घेरकर निजी तालाब के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है. बांध को छोटा भी कर दिया गया है. ग्रामीणों का मानना है कि आने वाले समय में गेरवा गढ़ा बांध का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा.
धनबाद
हीरापुर तालाब भर कर बेच दी जमीन
धनबाद हीरापुर के जेसी मल्लिक रोड स्थित तालाब का अस्तित्व अतिक्रमणकारियों ने समाप्त कर दिया है. तालाब के नाम पर सिमटा गंदा पानी बीमारी को आमंत्रित कर रहा है. हीरापुर निवासी ज्योतिंद्र चंद्र मल्लिक (जेसी मल्लिक) के वंशज तालाब को भरवा कर बेचने में व्यस्त हैं. लगभग 7 बीघा में फैले इस तालाब का 3-4 बीघा हिस्सा बेचा जा चुका है. स्थानीय लोगों के विरोध के बाद शेष हिस्से को चोरी छिपे रात में भरा जा रहा है.
शिकायतों के बावजूद जारी है अतिक्रमण
बता दें कि तालाब पर अतिक्रमण के खिलाफ स्थानीय लोगों ने उपायुक्त सहित सक्षम अधिकारियों को कई बार शिकायत की. बावजूद तालाब भराई, जमीन की बिक्री और अवैध निर्माण जारी रहा. झामुमो नेता देबू महतो ने बताया कि उन्होंने पूर्व उपायुक्त अमित कुमार से शिकायत की थी. तालाब का अस्तित्व मिटने से यहां का जल स्तर भी नीचे जा रहा है. यदि यही हाल रहा तो चंद वर्षों में तालाब का अस्तित्व मिट जाएगा.
1102 तालाबों का अस्तित्व समाप्त
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार धनबाद में 2300 तालाब थे. परंतु अब तक 1102 तालाब गायब हो चुके हैं. शेष 1198 तालाबों में से अधिकतर के आसपास अतिक्रमण जारी है. सरकारी अधिकारियों की साठगांठ से भू-माफिया तालाब के किनारों की भराई कर जमीन बेचने में कामयाब हो रहे हैं.
राजा से तालाब के नाम पर मिली थी जमीन
लगभग 110 वर्ष पहले वर्ष 1913 में स्थानीय लोगों के हित के नाम पर ज्योतिंद्र चंद्र मल्लिक ने तालाब बनाने के लिए तत्कालीन झरिया राजा दुर्गा प्रसाद सिंह से हीरापुर मौजा में 7 बीघा 14 छटाक जमीन मांगी थी. बंदोबस्ती के समययह घोषणा की थी कि इसका उपयोग जनसाधारण के लिए तालाब खनन छोड़कर अन्य किसी काम के लिए नहीं किया जाएगा. लगभग 90 वर्षों तक यह तालाब अस्तित्व में रहा. हीरापुर क्षेत्र की बड़ी आबादी के लिए सैकड़ों वर्षों तक यह तालाब जीवनदायिनी बना रहा. परंतु झारखंड बनने के बाद ज्योतिंद्र चंद्र मल्लिक के वंशजों ने तालाब को भरवा कर बेचना शुरू किया. तालाब के आसपास कई घर और अपार्टमेंट बन चुके हैं.
साहिबगंज
तालाब को भरकर बेचे जाने की खबर नहीं
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार साहिबगंज जिले के कुल 9 प्रखंडों में 660 सरकारी राजस्व तालाब हैं. सरकार को इन तालाबों से राजस्व की आमदनी होती है. तालाब को भरकर बेचे जाने या अतिक्रमण किए जाने की खबर नहीं है. सभा तालाब सुरक्षित हैं.
प्रखंडवार तालाबों की सूची- साहिबगंज प्रखंड में कुल 30 तालाब, राजमहल प्रखंड- 64, तालझारी प्रखंड- 73, उधवा प्रखंड- 55, बरहरवा प्रखंड- 197, पतना प्रखंड- 69, बोरियो प्रखंड- 47, बरहेट प्रखंड- 98, मंडरो प्रखंड- 27. इन सभी तालाबों को मत्स्य विभाग ने टेंडर जारी कर मछुआ समिति दे दिया है.
660 सरकारी तालाब जिले में, सभी सुरक्षित
बोरियो प्रखंड के मछुआ समिति के सचिव पंकज कुमार ने बताया कि अबतक किसी भी तालाब के अतिक्रमण की सूचना नहीं है.
रामगढ़
कई तालाब गायब, कई भरे जा रहे हैं
सुप्रीम कोर्ट के तालाबों को भरने पर रोक के बावजूद भी रामगढ़ में तालाबों को भरने का काम जोरों से किया जा रहा है. जल संचय को लेकर जागरूक लोगों की चिंता इसको लेकर बढ़ने लगी है. दिनों दिन भू गर्भ जल स्तर नीचे की ओर जा रहा है. बात अगर रामगढ़ शहर की करें तो यहां की भी स्थिति काफी चिंताजनक है. लगातार भूगर्भ जलस्तर घट रहा है. चापाकलों का भी दम फूलने लगा है . वर्षा जल संचय का मुख्य स्रोत शहर में तालाबों का अस्तित्व भी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है . शहर के नक्शे का अवलोकन करें तो इसमें तो तालाब दिखता है लेकिन वर्तमान में इन तालाबों पर बड़े-बड़े भवन बनकर तैयार हो गए हैं या तालाब भर कर जमीन कब्जे का खेल चल रहा है. शहर स्थित कुछ तालाब हैं जिसका अस्तित्व मिटता चला जा रहा है
- थाना चौक स्थित तालाब/ बांध को दबाया रहा है. एक हिस्से में मुख्य सड़क है . इस तालाब के दक्षिण दिशा से तालाब के अस्तित्व को मिटाने का प्रयास जोरो से किया जा रहा है .धीरे-धीरे तलाब भरकर जमीन को कब्जा किया जा रहा है . जानकार बताते हैं कि तलाब/ बांध का खाता नंबर 292 ,प्लॉट नंबर 165 ,कुल रकबा 3 एकड़ 34 डिसमिल है . जो गैरमजरूआ खास भूमि है वर्तमान में यह लगभग 2 एकड़ के भी कम बच गया हैं .
- धांधर पोखर तालाब के अस्तित्व मिटाने में लोग लगे है जानकार बताते हैं कि इसकी जमीन भी अब बेचने की तैयारी चल रही है. तालाब के किनारे की जमीन का अतिक्रमण हो रहा है .
- थाना चौक पुरनी मंडप के पीछे स्थित तालाब का अस्तित्व पूरी तरह से मिट चुका है. तलाब को भरकर यहां बिल्डिंग बन गई है.
- गोला रोड झंडा चौक स्थित तालाब का अस्तित्व अब लगभग मिटने के कगार पर है धीरे-धीरे तालाब को भरकर आधी कर दी गई है और यहां आधी बचे तालाब में नालियों का गंदा पानी बहाया जाता है. तालाब भरने का काम भी जोरों से है .
- इतना ही नहीं बाजार टांड़ का तालाब ढूंढने से भी नहीं मिलता, पतरातू बस्ती में रेलवे के तालाब का भी अस्तित्व नहीं दिखता, साहू कॉलोनी का तालाब का अस्तित्व भी खतरे में दिख रहा है .