Ashish Tagore
लातेहार : नगर पंचायत, लातेहार के कारनामे निराले हैं. जिस एजेंसी को काली सूची में डालने की तैयारी की जा रही थी, उसी एजेंसी को फिर से शहर में कचरा उठाव का कार्य आवंटित कर दिया गया है. बता दें कि एमएलबीसीपीएल (मोहन लाल बजाज कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड) नामक एक रांची की एक एजेंसी को लातेहार में वर्ष 2018 में कचरा उठाव का कार्य आवंटित किया था. इस एजेंसी ने तकरीबन 23 माह तक यहां कार्य किया. उसके बाद कंपनी ने यहां कार्य करना छोड़ दिया. कंपनी ने तर्क दिया कि लातेहार में उसे कचरा डंप करने लिए जमीन नहीं दिया जा रहा है. सदर प्रखंड के हरखा ग्राम में नगर विकास के द्वारा कचरा प्रबंधन प्लांट लगाने का प्रस्ताव है और हरखा ग्राम में ही एमएलबीसीपीएल का वाहन कचरा डंप करता था. बाद में हरखा ग्रामीणों ने यहां कचरा डंप करने का विरोध कर दिया. इसके बाद एमएलबीसीपीएल के द्वारा एनएच-75 पर जगलदग्गा ग्राम के समीप कचरा डंप किया जाने लगा, लेकिन यहां भी ग्रामीणों ने विरोध कर दिया. इसके बाद एजेंसी ने कार्य बंद कर दिया.
जबकि नगर पंचायत के द्वारा एजेंसी के एकरारनामा की अवधि समाप्त भी नहीं हुई थी. नगर पंचायत के द्वारा एजेंसी को कई बार कार्य प्रारंभ करने के लिए पत्राचार किया गया, लेकिन एजेंसी ने लातेहार आकर कार्य प्रारंभ नहीं किया. नगर पंचायत के द्वारा उसे कचरा डंप करने के लिए जमीन भी उपलब्ध कराने की बात कही गयी. बावजूद एजेंसी ने कचरा उठाव का कार्य प्रारंभ नहीं किया. विगत दो वर्षों से नगर पंचायत अपने खर्चे से शहर में कचरा उठाव व डंप का कार्य कर रही थी. इस दौरान नगर पंचायत की बैठक में एमएलबीसीपीएल एजेंसी को काली सूची में डालने का प्रस्ताव नगर पंचायत के पदधारी एवं वार्ड पार्षदों ने दिया. गत दो मार्च की बैठक में भी नगर पंचायत उपाध्यक्ष नवीन कुमार सिन्हा ने इस मुद्दे को उठाया था. इसी बीच फरवरी माह में एमएलबीसीपीएल को पुन: शहर में कचरा उठाव कराने का कार्य आवंटित कर दिया गया. इस संबंध में पक्ष कथन लेने के लिए सिटी मैनेजर सह नोडल अधिकारी जया लक्ष्मी से दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.
वाहनों में नहीं है जीपीएस
एमएलबीसीपीएल के वाहन को जगलदग्गा में ही कचरा डंप करने का स्थान दिया गया है. लेकिन दीगर बात यह है कि एमएलबीसीपीएल के किसी कचरा उठाव करने वाली वाहन में जीपीएस नहीं लगा है. ऐसे में वाहन जगलदग्गा नहीं जाकर किसी भी खुले स्थान में कचरा डंप कर देते हैं, जबकि एजेंसी वाहनों को जगदलग्गा तक के लिए इंधन की राशि का भुगतान करती है. वहीं दूसरी ओर एजेंसी के द्वारा किसी को शहर में बतौर पर्यवेक्षक (सुपरवाइजर) नियुक्त नहीं किया गया है. एजेंसी के श्रमिक एवं कर्मचारियों के भरोसे कार्य किया जा रहा है.
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