Gaurav Prakash
Hazaribagh: सावन का महीना शुरू हो चुका है, लेकिन अब तक खेतों में धनरोपनी शुरू नहीं हुई है. हजारीबाग के ग्रामीण इलाकों में इस वक्त धनरोपनी के गीत सुनाई पड़ने लगते थे. किसानों के लिए दु:खद स्थिति यह है कि अब तक खेत वीरान पड़े हैं. दरअसल मॉनसून ने हजारीबाग के किसानों को इस बार धोखा दे दिया है, ऐसे संकेत लग रहे हैं. 15 जुलाई तक महज 58.6 मीटर ही बारिश हुई. ऐसे में खेतों में पानी कम है. बिचड़े की रोपाई नहीं हो पा रही है.
मॉनसून के दगा देने के कारण किसानों के चेहरे मुरझाने से लगे हैं. इस बात को लेकर किसान चिंतित हैं कि अब घर कैसे चलेगा. किसान अच्छी खासी रकम बिचड़े बनाने के लिए खर्च कर चुके हैं. उन बिचड़ों को बचाने के लिए हर दिन मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है. किसान जेनरेटर से पानी पटाकर कोशिश कर रहे हैं कि बिचड़े बचाये जा सकें, ताकि वर्षा हो तो खेती की जा सके. इस बार मौस्म विभाग का पूर्वानुमान था कि झमाझम बारिश होगी. लेकिन उस अनुमान के अनुरूप हजारीबाग जिले में वर्षा नहीं हो रही है. काले-काले बादल तो आसमान में दिखते हैं, लेकिन वर्षा नहीं होती है. हजारीबाग जिले में जुलाई महीने में औसतन 301.1 मिलीमीटर वर्षा होती थी. 2021 में जुलाई महीने में सामान्य से अधिक वर्षा हुई. रिकॉर्ड 334.4 एमएम आंकी गई. लेकिन इस वर्ष जुलाई माह बीत जाने तक महज 58.6 एमएम बारिश हुई है.
क्या कहते हैं किसान
हजारीबाग के लुपुंग गांव के किसान चंदन मेहता बताते हैं कि अपने खेत के लिए 1500 किलो बिहन से बिचड़े तैयार कर रहे थे. बारिश नहीं होने के कारण अब बिचड़े जलने लगे हैं. उसे बचाने के लिए प्रतिदिन 300 रुपए खर्च कर पटवन का काम करना पड़ रहा है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर एक महीने तक यूं ही डीजल से पटवन करें, तो उनलोगों को बड़ी रकम खर्च करनी होगी. उनका यह भी कहना है कि किसान से सरकार पैक्स के माध्यम से धान खरीदारी तो करती है, लेकिन अच्छा मूल्य नहीं मिल पाता है. वहीं बिचौलिए भी कम दाम में धान खरीद लेते हैं. अगर पूरा खर्च देखा जाए, तो इस बार उम्मीद नहीं है कि वह अच्छा पैसा कमा पाएंगे. वहीं हजारीबाग में कम बारिश पर सांसद जयंत सिन्हा भी चिंतित हैं. उन्होंने अखबार शुभम संदेश से बात करते हुए कहा कि इस समस्या को लेकर राज्य सरकार को पत्र लिखने जा रहे हैं कि क्षेत्र को सूखा घोषित करे. आपदा को देखते हुए बड़ी कदम उठाएं ताकि किसानों को राहत मिल सके.
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40% किसानों ने ही पैक्स से की है धान की खरीदारी
एक रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष लगभग 40% किसानों ने ही पैक्स से अनुदानित दर पर धान एवं अन्य खरीफ फसलों के बीज खरीदे हैं. यह मॉनसून के मिजाज को देखते हुए किया गया है. वर्षा नहीं होने की वजह से धान के बीज भी नहीं बोए गए हैं. बताया जाता है कि महज 60% जिले में बुआई हुई है. मॉनसून की बेरुखी को देखते हुए किसान भी अब चिंतित हो रहे हैं. दूसरी ओर सरकार से उम्मीद भी लगाए बैठे हैं कि कम वर्षा होने पर सरकार स्पेशल पैकेज देकर किसानों को राहत देने का काम करेगी.
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