NewDelhi : नये कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की पहली बैठक 21 जनवरी को होगी. कमेटी के एक सदस्य अनिल घनवट ने कहा है कि अदालत ने हमें निर्देश दिया है कि किसान संगठनों, कृषि कानून के समर्थक और विरोधी ग्रुप के प्रतिनिधियों से बात कर उसकी रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट को भेजें.
If the govt wants to come and speak with us, we welcome it. We will hear the Govt too. The biggest challenge is to convince the agitating farmers to come and speak with us, we will try our level best: Anil Ghanwat, member of SC-formed committee on #FarmLaws https://t.co/eh0mAU8se3
— ANI (@ANI) January 19, 2021
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21 जनवरी को सुबह 11 बजे पहली बैठक होगी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की पहली बैठक मंगलवार को पूसा कैंपस में हुई. इस कमेटी के तीन सदस्य अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ), अनिल घनवत (महाराष्ट्र के बहुचर्चित शेतकारी संगठन के प्रमुख) और प्रमोद जोशी (कृषि मामलों के जानकार) के बीच 11.30 से करीब 12.45 बजे तक मीटिंग चली.
बैठक के बारे में अनिल घनवट ने जानकारी दी और कहा कि यह तय हुआ है कि किसानों के साथ 21 जनवरी को सुबह 11 बजे पहली बैठक होगी. कहा कि बैठक में यदि किसी किसान संगठन के प्रतिनिधि नहीं आ सकते हैं तो हम वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए उनकी बातें सुनेंगे.
अनिल घनवट का कहना था कि यदि सरकार हमारे साथ आना या बोलना चाहती है तो हम उसका स्वागत करेंगे. हम सरकार का भी पक्ष सुनेंगे और गतिरोध को खत्म करने के लिए अपने स्तर पर सर्वोच्च प्रयास करेंगे.
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कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक
बता दें कि कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर लगभग दो माह से राजधानी दिल्ली के बॉर्डर हजारों किसान धरने पर बैठे हैं. केंद्र सरकार की किसानों के साथ नौ दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन अब तक सरकार और किसान संगठनों के बीच कोई सहमति नहीं बन पायी है.
इस बीच यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. अदालत ने किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए तीनों कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी और एक कमेटी गठित कर दी, जो दोनों पक्षों से बातचीत कर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी.
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भूपिंदर सिंह मान के अलग होने पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
किसानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गयी कमेटी से भूपिंदर सिंह मान के अलग होने पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि लोगों को समझने में कुछ भ्रम है. समिति का हिस्सा होने से पूर्व एक व्यक्ति की कोई राय हो सकती है, लेकिन उसकी राय बदल भी सकती है.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि एक व्यक्ति ने इस मामले पर विचार रखा, वह समिति का सदस्य होने के लिए अयोग्य नहीं हो सकता, कमेटी के सदस्य कोई जज नहीं होते हैं. कमेटी के सदस्य केवल अपनी राय दे सकते है, फैसला तो जज ही लेंगे. असल में, कोर्ट ने लीगल सर्विस अथॉरिटी के जरिये अपील दाखिल होने में हो रही देरी को लेकर एक कमेटी बनाई और उसी दौरान ये टिप्पणी की.