Ranchi : झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने हेमंत सरकार द्वारा आरक्षण का दायरा बढ़ाने वाले विधेयक को लेकर अटॉर्नी जनरल से सलाह मांगी है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया में दी. उन्होंने लिखा, झारखंड विधानसभा द्वारा आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 से 77 किए जाने का अनुमोदन किया गया, जिसे वहां के राज्यपाल द्वारा एटॉर्नी जनरल को उनके अभिमत के लिए भेजा गया है.
छत्तीसगढ़ राज्य में जनभावनाओं के विपरीत विधानसभा द्वारा ‘सर्वसम्मति’ से पारित विधेयक को राज्यपाल महोदया द्वारा यहाँ के भाजपा नेताओं के दबाव में अनावश्यक रोक कर असंवैधानिक प्रक्रिया के तहत प्रश्न पर प्रश्न किए जा रहे हैं।
एक देश, एक संविधान तो राज्य की जनता के साथ भेदभाव क्यों?
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) January 6, 2023
11 नवबंर को झारखंड विधानसभा से पारित हुआ था विधेयक
बीते 11 नवबंर को झारखंड विधानसभा से झारखंड में सरकारी पदों और सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022 पारित हुआ था. इसमें एसटी, एससी, ईबीसी, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण का कोटा वर्तमान 50 फीसदी से बढ़ाकर 77 प्रतिशत किया गया है. विधेयक को हेमंत सरकार संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करना चाहती है. इसे लेकर विधेयक को राज्यपाल रमेश बैस को भेजा गया है. राज्यपाल ने इस बाबत एटॉर्नी जनरल से सलाह मांगी है.
छत्तीसगढ़ में टकराव की स्थिति
बता दें कि छत्तीसगढ़ में राज्य विधानसभा द्वारा पारित आरक्षण विधेयकों पर राज्यपाल की सहमति को लेकर राजभवन और छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गयी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्यपाल अनुसुइया उइके पर आरक्षण संशोधन विधेयकों को मंजूरी देने में कथित देरी को लेकर भारतीय जनता पार्टी के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है.
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