Buenos Aires : दुनिया के सर्वकालिक महान फुटबॉलरों में शुमार अर्जेंटीना डिएगो माराडोना का बुधवार रात निधन हो गया. अर्जेंटीना की मीडिया के मुताबिक, माराडोना का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ. उन्होंने 60 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. माराडोना लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन से दुनिया भर के फुटबॉल जगत और खेल प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गयी है.
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कुछ ही समय पहले हुई थी ब्रेन सर्जरी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दो सप्ताह पहले ही उन्हें ब्रेन में क्लॉट की वजह से सर्जरी करवानी पड़ी थी. माराडोना के निधन पर प्रतिक्रियाओं का दौर भी शुरू हो गया है. टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने ट्वीट किया कि मेरे हीरो नहीं रहे. मैंने आपके लिए फुटबॉल देखा. डिएगो माराडोना को सर्वकालिक महान फुटबॉलर कहा जाता है. अर्जेंटीना को 1986 फुटबॉल वर्ल्ड कप जितवाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. माराडोना ने साल 1976 में फुटबॉल की दुनिया में कदम रखा. इसके एक दशक बाद उनकी कप्तानी में अर्जेंटीना ने 1986 का विश्व कप जीता. इस दौरान उन्होंने खेल के इतिहास के दो यादगार गोल भी किए.
ब्यूनस आयर्स में माराडोना की 9 फीट ऊंची प्रतिमा है
इस बेहतरीन खिलाड़ी के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके देश अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में 9 फीट ऊंची उनकी प्रतिमा लगी है. साल 2018 में डिएगो माराडोना के 58वें जन्मदिन का जश्न मनाते हुए उनकी पहली कांसे की प्रतिमा का अनावरण किया गया था. इस प्रतिमा में इंग्लैंड के खिलाफ उनके गोल को दर्शाया गया है, जो 20वीं शताब्दी का सर्वश्रेष्ठ गोल चुना गया था.यह प्रतिमा ब्यूनस आयर्स में अर्जेंटिनोस जूनियर्स क्लब स्टेडियम के समीप है. माराडोना ने 1976 में यहीं से पदार्पण किया था.
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‘हैंड ऑफ गॉड’ की बदौलत अर्जेंटीना को दिलाया था वर्ल्ड कप
1986 के विश्व कप की उस घटना को कौन भूल सकता है जब डिएगो माराडोना ने हाथ की मदद से गोल किया था. बाद में उन्होंने इसे ‘हैंड ऑफ गॉड’ यानी ईश्वर का हाथ करार दिया था. माराडोना ने ये गोल इंग्लैड के खिलाफ मैच में किया था. माराडोना 1986 में मैक्सिको में खेले गए विश्व कप में अर्जेंटीना के कप्तान थे. उन्होंने क्वार्टर फाइनल में अर्जेंटीना की इंग्लैंड के खिलाफ 2-1 से जीत के बाद कहा था, ‘यह ईश्वर का हाथ यानी ‘हैंड ऑफ गॉड’ था.’ उस विश्व कप में माराडोना के दम पर अर्जेंटीना दूसरी बार चैम्पियन बना था. फाइनल में अर्जेंटीना ने वेस्ट जर्मनी को 3-2 से शिकस्त देकर दूसरी बार इस ट्रॉफी पर कब्जा किया था. उनका यह कथन खेल जगत की सबसे चर्चित टिप्पणियों में शामिल है.