LagatarDesk: 13 अप्रैल 2021 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. नवरात्र के पहले दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री रूप की आराधना की जाती है. मार्केण्डय पुराण के अनुसार पर्वतराज यानि शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा. साथ ही माता का वाहन बैल होने के कारण इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है.
माता शैलपुत्री की पूजा के बाद क्रमश: ब्रह्मचारिणी माता, चंद्रघंटा माता, कूष्मांडा माता, स्कंदमाता, कात्यायनी माता, कालरात्रि माता, महागौरी माता और सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है.
उपवास के साथ नियमों का भी करना पड़ता है पालन
मां शैलपुत्री के दो हाथों में से दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का फूल सुशोभित है. मां दुर्गा की पूजा लगातार नौ दिनों तक अलग-अलग रूपों में होती है. इन नौ दिनों में भक्त श्रद्धा-भाव से माता की कृपा पाने के लिए उपवास रखते हैं. नवरात्रि में उपवास करने के साथ ही नियमों का पालन करना भी आवश्यक होता है. नवरात्रि के दौरान कुछ कार्य वर्जित माने जाते हैं.
जानें नवरात्रि में किन कामों को नहीं करना चाहिए
- नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना का बहुत महत्व होता है. यदि आपने अपने घर में कलश स्थापना की है तो अपने घर और को खाली छोड़कर या ताला लगाकर कहीं न जायें.
- यदि आपने अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की है तो उसका विशेष ध्यान देना पड़ता है. इसलिए पूजा स्थान को कभी भी अकेला न छोड़ें यदि आपको कोई काम है तो घर के किसी सदस्य को ज्योति का ध्यान रखने को कहें.
- नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान भूलकर भी घर खाली छोड़कर बाहर नहीं जाना चाहिए.
- नवरात्रि में नौ दिनों तक किसी भी तामसिक चीजों का सेवन वर्जित है. इसलिए नवरात्रि के मांस, मछली, अंडे और किसी भी तरह के मादक पदार्थो से दूर रहें. इसके साथ ही नवरात्रि में खाने में प्याज और लहसुन का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए. क्योंकि इन्हें भी तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा जाता है.
- नवरात्रि के दौरान व्रत रखने वालों और अन्य लोगों को भी काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. ये दिन बहुत ही शुभ होते हैं. और काले रंग को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है.
- इस दौरान सिलाई-कढ़ाई जैसे काम भी वर्जित माने जाते हैं.