NewDelhi : भारत में मौजूदा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की नीतियां बोलने की आजादी पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है. अमेरिकी अखबार The New York Times की यह टिप्पणी पत्रकारों की भर्ती के विज्ञापन में की गयी है. प्रोफेश्नल नेटवर्किंग साइट लिंक्डइन पर एनवाईटी के हैंडल से साउथ एशिया बिजनेस कॉरसपॉन्डेंट (नयी दिल्ली में) के लिए विज्ञापन निकाला गया है.
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भारत हिंदू राष्ट्र बनने के करीब पहुंच रहा है?
जान लें कि न्यूयॉर्क टाइम्स पूर्व में अपने लेख में कह चुका है कि पीएम नरेंद्र मोदी से भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि के लिए खतरा है. न्यूयॉर्क टाइम्स NRC का विरोध करता है, न्यूयॉर्क टाइम्स लेख लिखकर कहता है, कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने के करीब पहुंच रहा है? अनुच्छेद 370 की समाप्ति को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स में रिपोर्ट छपी थी कि कश्मीर में हजारों मुस्लिम हिरासत में हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स भारत के मिशन मंगलयान का मजाक उड़ाकर माफी मांग चुका है,
अमेरिका के इसी अखबार ने भारत में पत्रकारों की भर्ती के लिए एक विज्ञापन निकाला है. जॉब डिस्क्रिप्शन वाले सेक्शन में कहा गया, भारत जल्द ही चीन को आबादी के मामले में पछाड़ देगा और विश्व मंच पर एक बड़ी आवाज जीतने की महत्वाकांक्षा रखता है. अपने करिश्माई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत भारत एशिया में चीन की आर्थिक और राजनीतिक ऊंचाई की प्रतिद्वंदिता करने के लिए आगे बढ़ गया है, एक नाटक जो उनकी तनावपूर्ण सीमा पर और पूरे क्षेत्र में राष्ट्रीय राजधानियों के भीतर चल रहा है.
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करोड़ों लोग अपने बच्चों के बेहतर जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं
इसी क्रम में लिखा गया है कि घरेलू स्तर पर, भारत वर्ग और धन असमानता के कठिन सवालों से जूझ रहे लोगों और भाषाओं का एक पिघलने वाला बर्तन है. इसमें अमेज़ॅन, वॉलमार्ट और अन्य प्रमुख वैश्विक कंपनियों द्वारा प्रतिष्ठित एक शिक्षित और महत्वाकांक्षी मध्यम वर्ग है. भारतीय बिजनेस टायकून के एक नये वर्ग ने वॉल स्ट्रीट और लंदन में दर्शकों का दिल जीत लिया है. फिर भी करोड़ों लोग अपने बच्चों के बेहतर जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
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भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ठप होने के संकेत दे रही है
भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ठप होने के संकेत दे रही है. विज्ञापन में यह भी कहा गया, भारत का भविष्य अब चौराहे पर खड़ा है. मोदी, देश के हिंदू बहुसंख्यक पर केंद्रित एक आत्मनिर्भर, बाहुबली राष्ट्रवाद की वकालत कर रहे हैं. यह दृष्टि उन्हें आधुनिक भारत के संस्थापकों के अंतर-धार्मिक, बहुसांस्कृतिक लक्ष्यों के साथ खड़ा करती है. ऑनलाइन भाषण और मीडिया प्रवचन को दबाने से जुड़े सरकार के बढ़ते प्रयासों ने मुक्त भाषण के साथ सुरक्षा और गोपनीयता के मुद्दों को संतुलित करने के बारे में कठिन प्रश्न उठाये हैं.