Ranchi: रांची रेल मंडल की रांची और हटिया स्टेशन से भविष्य में भीड़ का दबाव करने की योजना पर काम बहुत धीमी गति से हो रही है. बता दें कि 2013 में टाटीसिलवे और बालसिरिंग स्टेशन के विस्तार करने की योजना बनी थी. लेकिन रेल मंडल की उदासीनता के कारण काम नहीं हो पा रहा है. बालसिरिंग में गुड्स शेड्स के लिए प्रक्रिया तो शुरू भी हुई है, लेकिन टाटीसिलवे में इस लिहाज से काम भी नहीं हुआ है. जबकि आनेवाले समय में ट्रेन और यात्रियों में वृद्धि को लेकर यह योजना बनायी गई थी.
कई कार्य शुरू किए गए
रांची रेल मंडल के अंतर्गत रांची को प्रमुख रेल लाइन से जोड़ने के उद्देश्य से कई विकास कार्य शुरू किए गए हैं. इन लाइनों के बन जाने के बाद रांची देश के मेन लाइन से जुड़ जाएगी. देश के दक्षिणी भाग के शहरों से उत्तर भारत के शहरों तक रांची होकर ट्रेनें आवाजाही करेंगीं. इससे रांची होकर चलनेवाली ट्रेनों की संख्या भी बढ़ेगी. अधिकारियों के मुताबिक रांची-टोरी, बरकाकाना-टाटीसिलवे, हटिया-बंडामुंडा दोहरीकरण, रांची मुरी चांडिल जैसी लाइनें उपलब्ध होने के बाद टाटीसिलवे और बालसिरिंग स्टेशनों में लंबी दूरी की ट्रेनों का ठहराव होगा. इसी के लिए लोधमा पिस्का लिंक लाइन भी बनाने की योजना है. इसमें रांची टोरी नई लाइन बन चुकी है.
उत्तर भारत की ओर जानेवाली ट्रेनें बालसिरिंग से खुलेंगी
योजना के अनुसार मौजूदा समय में हटिया से खुलनेवाली ट्रेनें टाटीसिलवे और उत्तर भारत की ओर जानेवाली ट्रेनें बालसिरिंग से खुलेंगी. इससे रांची और हटिया के स्टेशनों की भीड़ में कमी आएगी. रांची और हटिया स्टेशनों को विस्तार कर इसे यात्रियों के लिए और भी जनोपयोगी बनाया जाएगा. रांची की रेल कनेक्टिविटी बढ़ने से मालगाड़ियों की संख्या में वृद्धि होगी. इसके लिए लिंक लाइन बनाए जाएंगे. जिससे मालगाड़ी लिंक लाइन से होकर रांची और हटिया नहीं जाकर सीधे टोरी लाइन से निकल जाएगी. हटिया स्टेशन के विस्तार के लिए वहां से वाशिंग लाइन से साथ-साथ बालसिरिंग में यार्ड और गुड्स शेड्स बनाने की योजना बनायी गई थी.
यह योजना रांची के तत्कालीन डीआरएम गजानन मल्लया ने 2013 बनायी थी. उन्होंने इस प्रस्ताव को मुख्यालय भेजा था. लेकिन इस प्रस्ताव के मुताबिक काम नहीं हुए. बालसिरिंग स्टेशन में लाइन को आधुनिक बनाने के कार्य हुए हैं. लेकिन यह कार्य हटिया बंडामुंडा लाइन के दोहरीकरण के कारण हुए हैं. सीपीआरओ नीरज कुमार के अनुसार हटिया स्टेशन के गुड्स शेड्स और कोल डंप साइडिंग बनाने की प्रक्रिया जारी है. लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी इसे लेकर रेलवे गंभीर नहीं है.
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